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शहरी सत्ता की जंग ने दावेदारों के दिलों में भरा उमंग, The battle for urban power filled the hearts of the contenders

भिलाई / रिसाली निगम क्षेत्र में शहरी सत्ता के लिए वार्डों का आरक्षण होने के बाद रिसाली नगर निगम के 40 वार्डों में चुनाव के तारीख की घोषणा होने से पहले ही दावेदारी करने वालों की बाढ़ सी आ गई है. अभी महापौर पद का आरक्षण होना बाकी है और इधर दावेदार अपने अपने वार्ड की जनता को रिझाने की कोशिश में लग गए हैं. पार्टी से जुड़े सदस्य इस सोच के साथ कि टिकट पाने के लिए अधिक से अधिक लोगों का समर्थन हासिल हो सके. रिसाली नगर निगम के 40 वार्डों में आरक्षण की स्थिति इस प्रकार है. 20 वार्ड सामान्य हैं जिसमें 7 वार्डों में सामान्य महिला, अन्य पिछड़ा वर्ग 10 जिसमें 3 वार्डों में ओबीसी महिला, 3 वार्ड अनुसूचित जनजाति 1 में महिला और 7 वार्ड अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है जिसमें से 2 वार्ड में केवल महिला प्रत्याशी ही चुनाव लड़ेंगी. आरक्षण के आधार पर जिस भी पार्टी से जुड़े सदस्य हों पार्टी की टिकट पाने की होड़ इस कदर तक मची हुई है कि अपने आपको अपनी तर्कों के बदौलत मजबूत दावेदार की पहली श्रेणी में मानने लगे हैं. इस राजनीतिक दाँवपेंच में पूराने चेहरों के साथ नए चेहरों की भी लम्बी फेहरिश्त है. लाजिमी है पहले 13 वार्डों का आंकड़ा अब 40 वार्डों का हो गया है. इन दावेदारों में कुछ ऐसे भी हैं जिनकी दावेदारी, पार्टी के उन सदस्यों को रास नहीं आ रहा है जो पार्टी के प्रति हमेशा से समर्पित और सक्रिय हैं. वे अपने राजनीतिक अनुभवों के आधार पर यह मानकर चल रहे हैं कि पार्टी की टिकट ऐसे लोगों को नहीं मिली तो ये पार्टी का समर्थन करने के बजाए निर्दलीय चुनाव लडऩे से भी नहीं हिचकेंगे. उनका यह भी मानना है कि इन दावेदारों में से कुछ तो ऐसे हैं जो केवल अपना आर्थिक हित साधने के लिए ही चुनाव मैदान में दिखाई देंगे. यहां के चुनावी रण में मुख्य रूप से मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों के बीच ही होगा. जाहिर है कि दोनों पार्टी शहर की सत्ता पर काबिज होने का कोई भी अवसर गंवाना नहीं चाहेगी और सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर प्रत्याशियों का चयन करेगी. वर्तमान में कांग्रेस के एल्डरमेन तरुण बंजारे, संगीता सिंह, प्रेम साहू, डोमार देशमुख, अनूप डे, कीर्ति लता वर्मा, फकीर राम ठाकुर और विलास बोरकर अपने अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों को पूरा कराने के लिए सक्रिय हैं. यहां कांग्रेस विकास कार्यों के बलबूते अपने प्रत्याशी चुनावी समर में उतारेगी. भाजपा के पास भी मुद्दों की कमी नहीं है. कमियों और खामियों पर नजर लगाए हुए तैयारी में है. चर्चा में है कि भाजपा नए चेहरों पर दांव लगा सकती है? 13 वार्डों को विभाजित कर 40 वार्ड बनाए गए हैं. नए चेहरे तो दिखाई देंगे ही साथ ही इन नए वार्डों में किसी में कांग्रेस तो किसी में भाजपा के मतों का प्रतिशत ऊपर नीचे होगा. सबसे रोचक खबर तो वार्ड डुन्डेरा का है. डुन्डेरा को दो वार्ड में विभाजित किया गया है. अबकी बार होने वाले चुनाव में वार्ड 35 डुन्डेरा पश्चिम एवं वार्ड 36 डुन्डेरा पूर्व लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. संभावना व्यक्त की जा रही है कि यहां किसी एक वार्ड से इस क्षेत्र के विधायक एवं गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के पुत्र जितेन्द्र साहू  चुनाव लड़ सकते हैं? सच्चाई यह भी है कि अविभाजित नगर निगम भिलाई के पिछले चार चुनावों में इस वार्ड से दो चुनाव में भाजपा और दो बार निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की. कांग्रेस के प्रत्याशी को चारों चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. रिसाली नगर निगम में चुनाव के लिए अन्दर ही अन्दर राजनीतिक बिसात बिछाने की तैयारी चल रही है. चंद दिनों में शहर की सत्ता के लिए हार-जीत का खेल शुरु हो जाएगा. बस देखना इतना ही है कि इस चुनावी जंग में कौन होगा पास और कौन होगा फेल ।

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