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केंद्र सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन का हिस्सा देश का हर एक नागरिक, Every citizen of the country is part of the peasant movement against the central government

आज देश का किसान आंदोलन कर रहा है यह तीन काले कानून को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ इस आंदोलन का हिस्सा देश के हर एक नागरिक को बनना चाहिए आंदोलन उस आंदोलन की याद दिलाता है जिस आंदोलन के लिए हमारे  बुजुर्गों ने अपनी जान की आहुति दी और देश के लिए कुर्बान हो गए यह किसान आंदोलन उन दिनों की याद दिलाता है जब हमारे देश के हर एक नागरिक के ऊपर यह गोरे अंग्रेज हुकूमत कर रहे थे अत्याचार कर रहे थे उस समय हमारे बुजुर्गों ने देश में क्रांति लाइ और अपनी शहादत देते हुए देश को आजाद किया उस समय भी व्यापार के माध्यम से हमारे देश मे अंग्रेजों ने राज्य किया कब्जा किया ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से और आज वही दौर फिर हमारे सामने आ चुका है यहां एक किसान का आंदोलन नहीं  किसानों को ही नुकसान नहीं देश की हर एक नागरिक को इससे नुकसान है और गुलामी की राह पर चल पड़ेगा देश फिर अगर यह तीनों काले कानून ला दे जाते हैं तो इसका सीधा असर आम नागरिकों में पड़ेगा जैसे कि किसान अपने खेत में एक फल और अनाज का एक दाना तोड़ नहीं पाएगा अगर वह तोड़ता है तो उसका जो जुर्माना उसे देना पड़ेगा किसान अपने खेत में लोन नहीं उठा पाएंगे अगर उसकी बच्ची यह बीमारी में उस लेना पड़ता है तो फिर वह क्या करेगा जिन से अनुबंध किया गया है उससे कर्ज लेना होगा अदर करने पटाने में देरी होती है या नहीं पटा पाता तो ब्याज दर पर दर बढ़ती जाएगा और उसकी खेती उसके हाथ से चली जाएगी जैसे पहले साहूकारी चलती थी फिर दूसरा नुकसान जब किसान अपने खेत के लिए जो सामग्री लाता है दवा बीज वगैरह वगैरह वह खुद नहीं ला सकता जिन से अनुबंध है वही सब लाकर देंगे इससे दवा व्यापारी बीज व्यापारी और जो जो सामग्री लगती है वह सब बेरोजगार हो जाएंगे जब किसान आपने खेत से मंडी पर जिस वाहन में लाता था वह वाहन वाला बेरोजगार हो जाएगा क्योंकि अनुरोध करने वाला वह साहूकार अपने वाहन का इस्तेमाल करेगा तीसरी बात जब यह साहूकार सब्जी फल दाल चना अपने गोडाउन में जमा करेंगे तो सरकार के पास क्या रहेगा कुछ नहीं  आज सरकार गरीबी रेखा के अंतर्गत शासकीय राशन दुकानों पर चावल दे रही है दाल गेहूं वह सब मिलना बंद हो जाएगा सोचिए फिर क्या हाल होगा हम सब गुलाम बन जाएंगे इन साहूकारों के ।

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