सड़क की जमीन में हुए अतिक्रमण पर चला बुलडोजर:Encroachment in road land led to bulldozer
मॉडल रोड के सौंदर्यीकरण में थी अड़चन
भिलाई। अपनी हद से आगे निकलकर सड़क की जमीन पर अतिक्रमण करना कुछ लोगों को भारी पड़ गया। भिलाई-चरोदा निगम ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना के तहत बन रहे मॉडल रोड के सौंदर्यीकरण में बाधा बने ऐसे अतिक्रमण को बुलडोजर चलाकर हटाने की कार्यवाही शुरू कर दिया है। इन अतिक्रमणों के चलते मॉडल रोड में पाथवे व नाली का निर्माण बाधित हो रहा था।
भिलाई-चरोदा नगर निगम ने लंबे अंतराल के बाद सड़क की जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाने की कार्यवाही को अंजाम दिया है। विश्व बैंक कालोनी को गौरव पथ से जोडऩे वाली निर्माणाधीन मॉडल रोड के किनारों पर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही आज भी चली। इस कार्यवाही को अंजाम देने से पहले निगम आयुक्त कीर्तिमान सिंह राठौर ने स्वयं मौके पर जाकर चिन्हित अतिक्रमणकारियों को सड़क की जमीन से अपना कब्जा हटा लेने की समझाइश दी। जिसके बाद गत तीन दिनों से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही चल रही है। जेसीबी सहित अन्य जरुरी संसाधन के साथ निगम के सहायक अभियंता डीके पांडेय, उप अभियंता विक्टर वर्मा, प्रशांत शुक्ला और रेवती रमन शर्मा के नेतृत्व में तोडफोड़ टीम के सदस्य श्यामता साहू, भीषम वर्मा व राकेश जोशी मॉडल रोड को योजना के अनुरुप बनाने के लिए अतिक्रमण हटाने में जुटे हुए हैं।
बताया जाता है कि विश्व बैंक कालोनी से उमदा रोड पर बने गौरव पथ को जोडऩे वाली सड़क के लिए तात्कालीन साडा काल में 320 मीटर लंबी और 100 फीट चौड़ी जगह सुनिश्चित करते हुए दोनों ओर आवासीय भूखण्ड तय किए गए थे। लेकिन लगभग आधा दर्जन भूखंड मालिकों ने अपनी हद से आगे निकलकर सड़क के लिए छोड़ी गई जमीन तक मकान निर्माण करा लिया है। अब जब निगम द्वारा इस सड़क को मॉडल रोड के रूप मे विकसित किया जा रहा है तो लोगों का किया गया अतिक्रमण उसमें अड़चन बन गया था। गौरतलब रहे कि लगभग एक करोड़ की लागत से इस मॉडल रोड को बनाया जा रहा है। इसमें 4 फीट की डिवाइडर बनाकर दोनों ओर 23-23 फीट की डामर वाली सड़क बनकर तैयार हो चुकी है। आधे हिस्से में पाथवे और आरसीसी नाली का भी निर्माण हो चुका है। अब अतिक्रमण हटने के बाद शेष जगह पर पाथवे और नाली बनाया जाएगा। अतिक्रमण की जद में आ रहे एक छोटे से मंदिर को मकान मालिक ने निगम की समझाइश पर विधिवत घर में स्थापित करा दिया। वहीं जिन मकानों के छज्जे व पोर्च सड़क की जमीन पर बने थे, उन्हें जेसीबी लगाकर तोड़ा गया।