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अमृत मिशन के कार्य में हो रही लगातार लापरवाही , जिम्मेदार कौन : Continuous negligence in the work of Amrit Mission, who is responsible

दुर्ग / दुर्ग निगम क्षेत्र में जब से अमृत मिशन का कार्य प्रारंभ हुआ तभी से यह कार्य अनियमितता , लापरवाही , मिलावट , कमीशनखोरी के कारणों से विवादों से घिरा हुआ है ! जब तक निगम में भाजपा की सरकार रही और कांग्रेस की सरकार विपक्ष की भूमिका में रही थी तब तक दुर्ग शहर विधायक वोरा लगातार निगम के कार्यो में होने वाली लापरवाही का विरोध करते दिखाई पड़ते थे ! निगम में कांग्रेस की सत्ता आने के कुछ समय तक यह विरोध चलता भी रहा किन्तु जल्द ही विधायक वोरा ने विरोध करना बंद कर दिया, कहा जाए तो सत्ता का भले ही परिवर्तन हो गया हो लेकिन निगम का कार्य पुराने ठर्रे पर ही है, अब ये बड़ा सवाल है कि  शहर विधायक वोरा ने आवाज़ उठाना क्यों बंद कर दिया, क्योकि वर्तमान समय में भी अमृत मिशन के कार्यो में भारी अनियमितता देखने को मिल रही है,  पहले और अभी में हाँ ये बात ज़रूर है कि अब अमृत मिशन के कई कार्यो का पेटी ठेका दुर्ग विधायक के बंगले में हाजिरी भरने वाले ही कर रहे है, शायद विरोध ना करने का यह भी एक कारण हो सकता है, अमृत मिशन के कार्यो में लापरवाही , मिलावट खोरी के विषय में कई बार निगम प्रशासन को दी गई, समाचार पत्रों में भी खूब प्रकाशित हुआ,  अमृत मिशन के कार्य को देखने वाली एजेंसी के साइड सुपर वाईसर कपिश कुमार से कई बार कार्य के गुणवत्ता में सुधार और सम्बंधित ठेकेदार पर कार्यवाही की बात कही गयी . कई मौके ऐसे भी आये की स्थल पर इसके प्रमाण कपिश को दिखाए गए और इसकी सम्पूर्ण जानकारी से निगम के सम्बंधित सब इंजिनियर भीम राव को भी अवगत कराया गया किन्तु ना ही कार्य की गुणवत्ता में कोई सुधार आया और ना ही सब इंजिनियर द्वारा किसी तरह की कोई कार्यवाही कार्य एजेंसी के विरुद्ध की गयी सिर्फ कार्यवाही का आश्वासन जरुर देते रहे . अब ये बड़ा सवाल हो सकता है कि आखिरकार लगातार शिकायतों और ख़बरों के बाद भी किसी भी प्रकार की ठोस कार्यवाही नहीं होना, डायरेक्ट लाभ या फिर सब इंजिनियर की विशेष कृपा पात्र है अमृत मिशन के साइड सुपरवाइजर कपिश कुमार जिसका लाभ दोनों को ही मिल रहा होगा और अनियमितता पर लगातार बढ़ोतरी हो रही है ! ऐसा नहीं कि अनियमितता की जानकारी भीम राव तक ही सिमित है . भीमराव के ऊपर ईई नगर पालिक निगम दुर्ग को भी इसकी जानकारी है किन्तु पिछले साल भर में ईई का लगातार बदलना ईई की कार्य प्रणाली पर कोई सवाल खडा नहीं किया जा सकता क्योकि प्रभार और कार्य की सम्पूर्ण जानकारी सब इंजिनियर भीम राव के पास है . ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योकि इस बारे में वर्तमान ईई या पूर्व समय के तात्कालिक ईई जिनसे भी कोई सवाल पूछा जाता उनका यही कहना रहता सारी जानकारी भीम राव से पता करके दी जाएगी . अमृत मिशन के कार्यो में हो रही अनियमितता के ऐसे कई मामले की शिकायत आयुत बर्मन को भी की गयी जिनके द्वारा एक हफ्ते तो कभी 10 दिन में जाँच करवा कर जवाब देने की बात कही गयी किन्तु महीनो गुजर गए ना तो आयुक्त साहब का एक हफ्ता पूरा हुआ और  ना ही सम्बंधित ठेकेदार पर कार्यवाही हुई, हां अनियमितता में लगातार तरक्की जरुर हुई है .
अभी हाल ही में अमृत मिशन के पाइप लाइन की अनियमितता की जानकारी मिली जिसमे में पाइप लाइन जिसे कपिश द्वारा बताये नियमानुसार 3 फीट के नीचे लगनी चाहिए वो आधे फीट नीचे ही लगा कर उपर से फ्लोरिंग कार्य कर दिया गया इस बारे में अमृत मिशन के सुपरवाइसर कपिश का कहना है कि अगर गलत है तो उसे सही किया जाएगा . मामला तो दब जाता, किन्तु सडक खुदाई के कारण मामला संज्ञान में आ गया वरना अमृत मिशन कार्य एजेंसी तो अपना कम कर निकल जाती और कमीशन के लालच में बिलिंग कार्य भी पूर्ण हो जाता .
महत्तवपूर्ण बात यह है कि मेन पाइप लाइन के फिटिंग में भी अगर स्थल का निरिक्षण निगम के सब इंजिनियर नहीं कर रहे तो किस मकसद से पद का लाभ ले रहे भीम राव, मिलावट पर शिकायत के बाद भी जाँच का आश्वासन दे रहे आयुक्त बर्मन आखिर गणेश मंदिर ( इंदिरा मार्केट ) , सोनाली रेस्टोरेंट ( इंदिरा मार्केट ) , पुराना बस स्टैंड , सुभाष नगर , पटेल चौक से राजेन्द्र प्रसाद चौक के कार्यो का परिक्षण क्यों नहीं करवा रहे, क्या भीम राव के कार्यो का निरिक्षण नहीं कराने का कोई शासकीय नियम है या सिर्फ भीम राव के कार्यो को निरिक्षण से बहार रखा गया है, या फिर भीमराव कोई जादूगर है जिनके कार्यो का निरिक्षण और जाँच संभव नहीं क्योकि यही भीमराव वो इंजिनियर है जो खालसा स्कूल के पीछे खेल मैदान ( हालाँकि वह कोई खेल मैदान नहीं है ) पर लाखो का शौचालय बना दिए जिनके दस्तावेजी प्रमाण के बाद भी लिखित शिकायत के बाद भी निगम आयुक्त बर्मन अभी तक कोई कार्यवाही तो दूर की बात जाँच तक नहीं करवा पाए, वही दुर्गेश गुप्ता के समय हुई पार्किंग घोटाले पर कार्यवाही थान सिंह के उपर कर दी गई, विधायक निधि से नव निर्माण होता है किन्तु सोमैय्या / गोस्वामी द्वारा हिंदी भवन के सामने के प्रतीक्षालय को तोड़ कर नया प्रतीक्षालय बन गया , पद्मनाभपुर मिनी स्टेडियम में प्रतीक्षालय को तोड़ कर नया प्रतीक्षालय बना दिया गया , पटेल चौक में भी कमोबेश यही स्थिति रही . क्या निगम के प्रशानिक मुखिया व्यक्ति देख कर कार्यवाही को अंजाम देते है या फिर भीम राव द्वारा उन्हें गलत जानकारी और गलत दस्तवेज व प्रमाण देकर दिग्भ्रमित किया जा रहा है ?

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