छत्तीसगढ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष नायक ने प्रकरणों की सुनवाई की पहली पत्नी के रहते हुए दूसरे विवाह करने पर अनावेदक पति पर की तत्काल कार्यवाही,: Chhattisgarh State Women’s Commission chairperson Nayak heard the cases Immediate action against non-performing husband on second marriage with first wife,

दुर्ग। छत्तीसगढ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने शुक्रवार को जिला पंचायत के सभा कक्ष में दुर्ग जिले से आयोग को प्राप्त प्रकरणों की सुनवाई की। उन्होंने पक्षकारों की उपस्थिति में दोनो पक्षों के कथनों को सुनकर नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही की। जिन प्रकरणों में सुनवाई पूरी कर ली गई है उन्हें नस्तीबद्ध किया गया। आज की सुनवाई में कुल 27 प्रकरण रखे गये थे, जिसमें 16 प्रकरणों पर सुनवाई कर नस्तीबद्ध किया गया है। उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि महिला आयोग महिलाओं की हितों की रक्षा करती है। महिला आयोग को प्राप्त प्रकरणों को गंभीरता पूर्वक सुनकर पीडि़त महिला को न्याय दिलाने की दिशा में कार्य करती है। महिला आयोग का उद्देश्य पीडि़त महिला को उचित न्याय दिलाकर सामान पूर्वक जीवन यापन करने की राह प्रशस्त करना है। उन्होंने कहा कि न्यायालयों में चल रहे प्रकरणों की सुनवाई महिला आयोग द्वारा नहीं की जाती है। उन्होंने कहा है कि ऐसे प्रकरण जो न्यायालय में पंजीबद्ध हो, उन्हें आयोग के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जाये।
सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में अनावेदक के द्वारा पहली पत्नी के रहते हुए दूसरा विवाह करने और पहली पत्नी को मानसिक व शारीरिक प्रताडऩा करने के माामले को बेहद गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए डॉ. नायक ने तत्काल कार्यवाही करते हुए अनावेदक पति को महिला थाने के सुपर्दग करने की कार्यवाही की। महिला थाने को जांचकर 1 माह की अवधि में आयोग को कार्यवाही रिपार्ट प्रस्तुत करने कहा है। इसी तरह भिलाई स्थित एक महिला महाविद्यालय की 11 सहायक प्राध्यपकों ने आयोग को पत्र लिखकर समय पूर्व सेवानिवृत्त किये जाने का प्रकरण दर्ज करया था। सहायक प्राध्यपकों ने शिकायत किया था कि राज्य शासन व्दारा जारी सर्क ुलर के अनुसार सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष किया गया है लेकिन उन्हें 60 वर्ष में ही सेवानिवृत्त कर दिया गया है। इससे उन्हें अनावश्यक मानसिक प्रताडऩा हो रही है। इस पर आयोग ने सुनवाई करते हुए कहा कि सहायक प्रधायापकों की नियुक्ति राज्य शासन के नियमानुसार हुई है जिसका वेतन भुगतान शत प्रतिशत राज्य शासन व्दारा किया जाता है। राज्य शासन व्दारा निर्धारित 65 वर्ष में सेवानिवृत्ति किये जाने के आदेश के विरूध्द 60 वर्ष समय सेवानिवृत्ति किया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है। इसके लिए अगली सुनवाई तिथि निर्धारित किया गया है, अगली सुनवाई के दौरान महाविद्यालय को प्रबंधन सासी आवेदिकाओं के पक्षो को सुना जाऐगा। इस अवसर पर श्रीमती तुलसी साहू, श्रीमती नीलू ठाकुर, सुश्री शमीम रहमान शासकीय अधिवक्ता सहित महिला एवं बाल विकास के अधिकारी एवं कर्मचारी तथा पुलिस प्रशासन उपस्थित रहे। प्रस्तुत प्रकरणों में शारीरिक शोषण, मानसिक प्रताडऩा, दहेज प्रताडऩा, सम्पत्ति विवाद आदि से संबंधित थे। सुनवाई के दौरान सोसल डिस्टेंसिंग व फिजीकल डिस्टेंसिंग एवं सैनिटाईजर का प्रयोग करते हुए कार्यवाही प्रारंभ की गई।