बांस पर आधारित कंडरा बंसोड़ समाज को शासन द्वारा निर्धारित बसोड़ बही के मुताबिक 1500 बांस दिया जाये-कुरैशी
भिलाई / छत्तीसगढ राज्य के पूर्व मंत्री बदरूदीन कुरैशी ने वन एवं पर्यावरण परिवहन मंत्री प्रभारी दुर्ग जिला मोहम्मद अकबर को ई.मेल कर एवं पत्र लिख कर आग्रह किया है कि छत्तीसगढ के अधिकांश कंडरा बसोढ समाज अनुसूचित जाति जनजाति एवं बांस से बनाई हुई चीजों को बेचकर गुजर बसर करते है शासन द्वारा निर्धारित प्रतिवर्ष प्रति बसोढ बही से 1500 बांस देने के निर्णय को पालन करवाने का अनुरोध किया । कुरैशी ने अपने पत्र में लिखा है मध्यप्रदेश राज्य शासन द्वारा सन् 1977 में कंडरा बसोड समाज अनुसूचित जाति जनजातिद्ध एवं बांस द्वारा बनायी चीजों को बेचकर जीवीकाउर्पाजन करने वालों को बंसोड बही के माध्यम से प्रति वर्ष प्रति बही 1500 बंास कास्टगार डिपो एवं जंगल से देने का निर्णय मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने लिया था उस आधार पर मध्यप्रदेश में कंडरा बंसोड समाज के अतिरिक्त बांस के काम करने वाले को बांस दिया जाता था छत्तीसगढ राज्य बनने के बाद मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा जो कंडऱा बंसोड समाज के लिए बसोढ बही बनाया गया था उसी बंसोढ बही को छत्तीसगढ राज्य बनने के बाद मान्य करते हुए बने हुए बसोढ बही को सन् 2000 से नवीनकरण किया जा रहा है लेकिन प्रतिवर्ष प्रति बसोढ बही 1500 बांस छत्तीसगढ के यदाकदा जिलों को छोड कर अधिकांश जिलों में 1500 बांस प्रदाय नहीं किया जा रहा है छत्तीसगढ के जंगलों में इतने बांसों का उत्पादन होता है कि प्रतिवर्ष निस्तारी के अतरिक्त छत्तीसगढ के कंडरा बसोढ समाज अनुसूचित जनजाति को एवं बांस का काम करने वालों को जीविकानिर्वाह करने वन विभाग से बांस पर्याप्त मात्रा में बांस उपल्बध किया जा सकता है लेकिन अफसोस कि बात है कि पिछले कई वर्षो से अधिकांश जिलों में प्रति बसोढ बही प्रतिवर्ष 500 -600 बांस के अधिक बांस उपल्बध नहीं किया जा रहा है जिसकी शिकायत वन विभाग के तत्कालीन उच्च अधिकारियों से करते चले आ रहे है लेकिन कोई उचित कार्यवाही नहीं कि जा रही है। कुरैशी ने मंत्री से अनुरोध किया है कि शासन द्वारा निर्धारित बसोढ बही के मुताबिक प्रतिवर्ष प्रति बसोढ बही 1500 बंास सभी जिलों के वन विभाग डिपो से उपलब्ध कराया जाय। चूंकि इस समाज का पुस्तेनी धंधा बांस कि बनायी हुई चीजों को टुकना, सुपा,टाट आदि बनाकर बेच कर अपना एवं अपने परिवार का गुजर बसर करते आ रहे है शासन के द्वारा निर्धारित बांस उपलब्ध कराया जाये ।