योजना के तहत् गांव में 6 तालाब, 3 डबरी की खुदाई से मिल रही बेहतर सिंचाई सुविधा, Under the scheme, 6 ponds in the village, 3 dabri excavation, better irrigation facility
दुर्ग / जिला मुख्यालय दुर्ग से 18 किलोमीटर दूर है भेड़सर गांव। एक समय था जब इस गांव को लद्दी वाले गांव के नाम से जाना जाता था। लेकिन अब इस गांव की पहचान बदलने लगी है। दलदली और लद्दी वाली जमीन अब तालाब का रूप ले चुकी है। यह सबकुछ संभव हुआ महात्मा गांधी रोजगार गांरटी योजना से। कटीली झाडिय़ों और दलदल कीचड़ से युक्त इस गांव के लोग विकास से कोसों दूर थे। लेकिन अब यहां सडक़ें हैं, तालाब हैं, भूमि का समतलीकरण कराया गया है, और नहर नालों की नियमित सफाई से परिदृश्य पूरी तरह बदल चुका है। 503 परिवार वाले इस गांव में 315 परिवार महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत् पंजीकृत है। 100 से अधिक परिवारों का घर पक्का बन चुका है। इतना ही नहीं रोजगार के साधन भी ग्रामीणों को उपलब्ध कराए गए हैं। पहले यहां के लोग ईंट के भट्टों में मजदूरी करते थे पारिश्रमिक भी कम ही मिलता था। कठिन परिश्रम के बाद भी मुश्किल से गुजारा हो पाता था। लेकिन गांव को विकसित करने के लिए जब गांव के लोगों को जिम्मेदारी दी गई तो एक तरफ जहां गांव की तसवीर बदलने लगी वहीं दूसरी तरफ गांव के लोगों के आर्थिक हालात भी सुधरने लगे। यहां अकुशल श्रमिकों का औसत मानव दिवस 70 से अधिक ही रहता है।
कार्य योजना बनाकर दलदली और बंजर जमीन पर खुदवाए गए तालाब- पानी विकास का आधार है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए मनरेगा योजना के तहत् इस गांव में तालाब तथा खेतों में डबरी खुदवाने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया गया। पहले पहले जहां दलदली और बंजर भूमि थी वहां तालाब का निर्माण कराया गया। जिसका नतीजा यह हुआ कि गांव में निस्तारी और सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी मिलने लगा। वर्षा का जल डबरियों और तालाबों में इक_ा होने लगा। जिससे ग्राउंड वाटर का लेवल भी सुधरने लगा। तालाब और डबरी निर्माण के लिए गांव के ही लोगों को लगाया गया। वर्तमान में गांव में 6 तालाब और 3 डबरियां हैं। जिससे ग्राम वासियों को पर्याप्त मात्रा में सिंचाई और निस्तारी की सुविधा मिल रही है। मनरेगा योजना के तहत् इन तालाबों को कच्ची नालियों के माध्यम से जोड़ दिया गया है। डबरी खुदवाकर तेजराम के जीवन में आई खुशहाली, बेहतर सिंचाई मिलने से बड़ा उत्पादन:- भेड़सर के किसान तेजराम गौतम के पास 3 एकड़ जमीन थी सिंचाई के लिए पूरी तरह से बारिश पर निर्भर थे। और अगर बारिश ठीक से नहीें होती थी तो स्थिति गंभीर हो जाती थी, इसलिए तेजराम ने सोचा कि क्यों न खेत में बोर खुदवाया जाए। लेकिन 4 से 5 बार बोर कराने पर भी उन्हें सफलता नहीं मिली। धन भी व्यर्थ गया और खेत भी प्यासे ही रहे। पानी कम होने के कारण फसल का उत्पादन भी कम हो गया था। ऐसे में मनरेगा योजना के रूप में उनके सामने एक उम्मीद की किरण नजर आई। उन्हें पता चला कि योजना के तहत् किसान अपने खेत में निजी डबरी का निर्माण करा सकते हैं। रोजगार सहायक से संपर्क करके सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद तेजराम के खेत में डबरी की खुदाई शुरू हुई। जिसमें गांव के लोगों ने ही काम किया और अच्छा पारिश्रमिक हासिल किया। डबरी बनने के बाद तेजराम की मुसीबतें दूर हुईं। अब बारिश का पानी डबरी में इक_ा हो जाने से तेजराम को बेहतर सिंचाई सुविधा मिलने लगी। फसल का उत्पादन भी बढ़ा, पहले जहां तेजराम 3 एकड़ जमीन में 25-30 क्विंटल उत्पादन ले रहे थे। डबरी बनने के बाद 50-55 क्विंटल धान की पैदावार ले रहे हैं। इतना ही नहीं खेत की मेड़ों में दलहन की फसल भी ले रहें हैं। डबरी बन जाने से एक पंथ दो काज की बात सच होती नजर आई है। क्योंकि तेजराम की डबरी का उपयोग न केवल सिंचाई के लिए हो रहा है बल्कि वे इसमें मछली पालन भी कर रहे हैं। तोलागांव में दूर हुई पानी की कमी:- ग्राम पंचायत भेड़सर के आश्रित ग्राम तोलागांव में पानी की कमी बनी रहती थी। पहले यहां के दो तालाबों में जुलाई से नवंबर 4 माह पानी रहता था। इस गांव के अधिकांश लोगों का व्यवसाय पशुपालन था लेकिन मवेशियों के लिए पानी की कमी बनी रहती थी। समस्या को दूर करने के लिए मनरेगा के तहत् विस्तृत कार्य योजना बनाई गई। जिसके तहत् तालाबों में अधिक जलभराव के लिए गांव भर में कच्ची नालियों का निर्माण किया गया। जिससे खेतों को भी पानी मिला और जल संरक्षण भी होने लगा। तीसरे फेस में गौठान का काम भी हो गया है शुरू भेड़सर में तीसरे फेस के तहत् 15 एकड़ भूमि में गौठान का कार्य भी शुरू हो गया है, जिससे आने वाले दिनों में ग्रामीणों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे ।