भारतीय जनता पार्टी के कमल चुनाव चिन्ह पर आपत्ति, Objection to lotus election symbol of Bharatiya Janata Party

भिलाई / चुनाव आयोग को भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिन्ह के रुप में इस्तेमाल हो रहे कमल को हटाने का निर्देश दिए जाने की मांग को लेकर आरटीआई व सामाजिक कार्यकर्ता अली हुसैन सिद्दीकी हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले है उनका दावा है कि कमल राष्ट्रीय फूल है! कोई राजनीतिक दल अपने प्रतीक के रुप में इसका इस्तेमाल नहीं कर सकता है, भाजपा कमल का इस्तेमाल अपने चुनाव चिन्ह के रुप में करती है,जो राष्ट्रीय प्रतीक अधिनियम 1950 का उल्लंघन है उनके मुताबिक कमल एक पवित्र,धार्मिक व राष्ट्रीय पुष्प है, इसका एक अलग आध्यात्मिक व सांस्कृतिक महत्व है, इसलिए इसका चुनाव के लिए इस्तेमाल अनुचित हैसामाजिक कार्यकर्ता अली हुसैन सिद्दीकी ने दावा किया है कि चुनाव आयोग ने भाजपा को 40 साल पहले कमल का फूल चुनाव चिन्ह के रुप में आवंटित किया था, तब किसी ने इस पर आपत्ति नहीं जताई , पर यह नियमों के खिलाफ है । कोर्ट तक पहुंचेगा ‘कमल’ का मामला, बीजेपी के चुनाव चिन्ह को जब्त करने के लिए भारतीय जनता पार्टी की पहचान राष्ट्रीय पुष्प कमल है, पिछले करीब 40 सालों से पार्टी इसी चुनाव चिन्ह के साथ राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा ले रही है, बीजेपी द्वारा राष्ट्रीय पुष्प को चुनाव चिन्ह के रूप में इस्तेमाल करने पर सवाल खड़ा किया गया है की क्यों किसी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय पुष्प कमल को चुनाव चिन्ह के रूप में इस्तेमाल करने दिया गया? राजनीति दलों द्वारा चुनाव चिन्ह का लोगो के रूप में हमेशा प्रचार के लिए छूट देना राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दल को छोड़ अन्य पंजीकृत दल और निर्दलीय प्रत्याशी के साथ भेदभाव करने जैसा होगा, क्योंकि उन्हें अपना प्रचार करने के लिए पहले से कोई चिन्ह नहीं मिलता है केवल नामांकन दाखिल करने के बाद ही उन्हें चुनाव चिन्ह आबंटित होता है!जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 व चुनाव चिन्ह आदेश 1968 के अंतर्गत चुनाव आयोग को चुनाव लड़ने के लिए राष्ट्रीय व क्षेत्रीय राजनीतिक दल को चुनाव चिन्ह आवंटित करने का अधिकार है! चुनाव आयोग को मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन करने पर दल की मान्यता वापस लेने का भी अधिकार है । बीजेपी का चुनाव चिन्ह कमल राष्ट्रीय चिन्ह भी है। इसलिए उसे जब्त करने और दुरुपयोग करने पर रोक लगाई जाए! राष्ट्रीय व क्षेत्रीय राजनीतिक दल हमेशा प्रचार करते हैं जबकि पंजीकृत दल व निर्दलीय प्रत्याशी को यह अधिकार नहीं होता उन्हें चुनाव चिन्ह केवल चुनाव लड़ने के लिए दिया जाता है । कई साक्षर देशों में चुनाव चिन्ह नहीं है, लेकिन भारत मे चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़ा जा रहा है! सरकार की चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़ने की व्यवस्था वापस लेने की मंशा भी नहीं दिखती है याचिका में हाई कोर्ट से अनुरोध किया जाएगा कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह चुनाव चिन्ह के रुप में कमल को आवंटित किए जाने को लेकर सारे रिकार्ड पेश करे और कमल को चुनाव चिन्ह से हटाया जाए ।