प्रेम और भक्ति से प्रभु को पाया जा सकता है सुश्री युक्ति बहन जी
प्रेम और भक्ति से प्रभु को पाया जा सकता है सुश्री युक्ति बहन जी
देव यादव (नवागढ)-बेमेतरा जिले के नवागढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत गोढीकला में श्रीमद्भागवत पुराण का छठा दिन रोचक प्रसंग का दिन रहा जिसमें व्यासपीठ से भागवत कथा के वाचक सुश्री युक्ति बहन जी ने बताया कि प्रभु को पाने का मार्ग बहुत ही सीधा और सरल है जो व्यक्ति भाव से भजन और प्रेम रूपी रस का आनंद अपने जीवन में दिनचर्या के रूप में बना लेता है उसी से ही भगवान प्रसन्न हो जाते हैं और यही एक मार्ग है जिससे प्रभु को पाया जा सकता है प्रेम और भक्ति का रास्ता बहुत ही सहज और सरल है कथावाचक में सुश्री युक्ति बहन जी ने बताया कि रस के कितने प्रकार होते हैं लेकिन भक्ति रस जीवन में अमूल्य रस होता है जिससे आत्मा शुद्ध और प्रसन्न चित्त होता है ओमकार के गुंजन से आत्मा में प्रभु का वास हो जाता है जीवन में भक्ति आनंद लेकर ईश्वरीय शक्ति भी प्रदान होती है आज के प्रेरक प्रसंग में व्यासपीठ से युक्ति बहन जी ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा रसपान करने से जीवन में भक्ति में संचार का उद्भव होता है सुखदेव जी महाराज ने भागवत कथा का रसपान राजा परीक्षित जी को सुनाया था राजा परीक्षित जी मात्र 7 दिन के दिवस ही में भागवत कथा का रसपान किए और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई उसी प्रकार से अगर व्यक्ति प्राणी मात्र अगर भागवत कथा का रसपान करें सुने और सुनाएं तो महज ही मोक्ष प्राप्ति से उसे कोई वंचित नहीं कर सकता आज के प्रेरक प्रसंग में युक्ति बहन जी ने बताया कि जिस प्रकार से एक हिरण मरुस्थल में पानी प्राप्ति के लिए इधर-उधर भटकता है मगर मरुस्थल में पानी नहीं होती है उसी प्रकार से माया मोह के जीवन में व्यक्ति इधर-उधर प्रभु को पाने की चेष्टा करता है मगर मात्र प्रेम भाव भक्ति रस से ही प्रभु को पाया जा सकता है तो फिर यहां वहां जाने की क्या आवश्यकता उसे तो अपने आत्मा में ही प्रभु को ढूंढ लेना चाहिए सुखदेव जी महाराज राजा परीक्षित को कथा का रसपान कराते हुए कहते हैं कि श्री कृष्ण भगवान अपने मित्र उद्धव को बताते हैं कि ग्वाले और ग्वालिन दोनों मुझे बहुत प्रेम करते हैं ब्रज में गोकुल में मेरे जितने भी मित्र मंडली थे ग्वाल बाल थे उनके संग मैंने पूरा अपना बाल्यावस्था बिताते हुए यह पाया कि प्रेम और आनंद ही सही जीवन यापन करना चाहिए आज प्रेम और भक्ति रस का ही पूरा दिन कथा के वाचन में था और सुदामा चरित की कथा भी बड़े ही सुंदर शब्दों में सुश्री बाल्यावस्था में ही श्रीमद्भागवत का रसपान कराते हुए युक्ति बहन जी ने बताया। श्रीमद् भागवत कथा ग्राम गोढीकला में विगत 5 दिवस से भागवत कथा प्रारंभ है और रविवार को सहस्त्रधारा, हवन आहुति भी है श्रीमद् भागवत कथा संगीतमय के साथ आयोजित हो रहा है जिसमें आयोजक संत श्री सनत कुमार वर्मा जी के सानिध्य में शिव शक्ति निकेतन आश्रम गोढीकला नवागढ़ जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़ से कथा वाचिका श्री युक्ति बहन,परायण कर्ता में दीपेश्वरी बहन जी के कथा तीसरा मंच के रूप में हो रहा है सुश्री युक्ति बहन जी ने कहा कि
नाम संकीर्तन यस्य, सर्व पाप प्रणाशनमम्
प्रणामो दुख समनः तं नमामि हरिम् परं
— उपरोक्त कथन से यह बात स्पष्ट होता है कि प्राणी को हमेशा भगवन नाम का संकीर्तन करना चाहिए और गुरु और प्रभु दोनों को कभी भी नहीं भूलना चाहिए क्योंकि गुरु ने ही ईश्वर को पाने का रास्ता दिखाया और गुरु से बड़ा कोई नहीं होता गुरु के बाद का ही दर्जा ईश्वर का होता है और संकीर्तन प्रभु के नाम मात्र से ही व्यक्ति के सभी पाप कट जाते हैं उनके दुखों का नाश हो जाता है इस प्रकार से व्यक्ति को जीवन पर्यंत अपने जीवन में थोड़ा सा समय प्रभु के नाम का भी स्मरण करते हुए जाप करते हुए बिताना चाहिए इस प्रकार भगवत कथा का छठा दिन प्रेम और भक्ति का दिन के रूप में रहा।
सबका संदेश न्यूज़ रिपोर्टर जैतपुरी संबलपुर मारो नवागढ़ बेमेतरा छत्तीसगढ़ देव यादव की खबर मो 9098647395