अटल जी के जयंती पर अटल काव्यांजलि एवं सुरजन श्रद्वांजलि सम्पन्न
अटल जी के जयंती पर अटल काव्यांजलि एवं सुरजन श्रद्वांजलि सम्पन्न
कांकेरः- अटल नाम है, धाम अटल, संग अटल विश्वास है। भारत रत्न, भारती पुत्र, फैला जग में प्रकाश है‘‘ इन्ही भावों को लेकर राष्ट्रीय कवि संगम, जिला इकाई कांकेर द्वारा अटल काव्यांजलि एवं सुरजन श्रद्वांजलि कार्यक्रम जिला वाचनालय कांकेर में 25 दिसम्बर 2020 को जिले के समस्त साहित्यकारों की उपस्थिति में आयोजित किया गया। मॉ शारदे की छायाचित्र पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्वलन के पश्चात माँ शारदे की वंदना के साथ कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। हिन्दी एवं छत्तीसगढ़ी के सशक्त हस्ताक्षर, सुमधुर कंठ के धनी वरिष्ठ साहित्यकार श्री अभिषेक मानिकपुरी जी की अध्यक्षता एवं मानस मर्मज्ञ, लोक गायक श्री जनक सिन्हा जी की मुख्य आतिथ्य में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। ‘‘कर्म कर ले कोई ऐसा की जग में नाम हो जाये, नाम लेते हुए अधरो पे सुबह- शाम हो जाये। फर्क पड़ता नहीं दुनिया को चेहरे पर लिखा क्या है। बनो हीरा कोई अनमोल जग में दाम हो जाये।‘‘ माननीय श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के कर्म प्रधान कार्यो को याद करते हुए सर्वप्रथम जिला इकाई कांकेर के उपाध्यक्ष श्री मिथलेशकर शर्मा ने अपनी पंक्तियों के माध्यम से काव्यांजलि अर्पित करते हुए अपनी प्रतिनिधि रचना उन्हें समर्पित किया। द्वितीय पुष्प के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार श्री संतोष श्रीवास्तव ‘‘सम‘‘ जी ने ‘‘ मैं दीप बनूॅ‘‘ रचना के माध्यम से पूरे सदन का प्रतिनिधित्व करते हुए अटल जी काव्यांजलि अर्पित किया। ‘‘ दुआ तेरी, दुआ मेरी, दुआ सबकी सलामत हो। की मंजिल भी मिले सबको, बुलंदी पर ही किस्मत हो।‘‘ महान व्यक्तित्व के नाम से श्री अखिलेश अरकरा जिला कोषाध्यक्ष ने सस्वर अपनी संवेदनाएॅ व्यक्त किया। ‘‘नक्षत्रों में अभिजीत बनूॅ‘‘ इन्हीं भावों से अपनी परिकल्पनाओं एवं अवधारणाओं को पंख लगाने में सक्षम हुए जिला इकाई कांकेर के संयोजक श्री अशोक यादव। ‘‘राष्ट्र जागरण धर्म हमारा‘‘ के ध्येय वाक्य की सारगर्भित व्याख्या आदरणीय जनक सिन्हा जी ने करते हुए अटल जी के अटल विचारों को अटल बताते हुए उनके पदचिन्हों पर चलने हेतु आह्वान किया। ‘‘मोला सुरता आथे, मोर सोनहा गॉव रे‘‘ छत्तीसगढ महतारी की महिमा अपने सुमधुर कंठ से पूरे सदन में परोसकर कार्यक्रम को उच्च शिखर में पहुॅचाने में सफल हुए आदरणीय अभिषेक मानिकपुरी जी। इसे दुर्लभ संयोग ही कहा जाए कि एक विषेष दिवस पर श्री अटल जयंती, गीता जयंती, तुलसी जयंती, श्री सांई जयंती, कीर्तिशेष श्री लाला जगदलपुरी जयंती, पं. मदनमोहन मालवीय जयंती आदि पर्व जो अपने आप में ऐतिहासिक भूमिका निभाते है, इस महापर्व पर सर्व श्री शिवसिंह भदौरिया, सुरेशचन्द्र श्रीवास्तव, राजेश शुक्ला, गणेश यदु, नलिनी बाजपेयी, राजकुमार पांडे, एन.आर.साव, एस.आर. बंजारे, सेवक निषाद, उत्तम मजुमदार, डॉ. गीता शर्मा, गरिमा पोयाम, कंचन तिवारी, तरूण देवदास,राधेश्याम ध्रुव,देवेंद्र पटेल, रोहित सिन्हा आदि उपस्थित समस्त साहित्यकारों द्वारा अपनी रचनाओं के माध्यम से काव्यांजलि एवं श्रद्वांजलि अर्पित की गई। ‘‘ अच्छे कर्मो पर आरोप बहुत खलते है, पर गुदड़ी के लाल यों ही नहीं पलते है‘‘ इन्हीं भावों को लेकर इकाई के सचिव श्री रिजेन्द्र गंजीर जी ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति देते हुए कार्यक्रम का अद्भुत संचालन किया । कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन संयोजक अशोक यादव द्वारा किया गया।