इंग्लिश मीडियम के सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए है असीम संभावनाएं- कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे

डीपीएस रिसाली स्कूल में आयोजित इंडक्शन प्रोग्राम में शिक्षकों को विशेषज्ञों ने साझा किये अपने अनुभव
दुर्गं। हिंदी मीडियम से इंग्लिश मीडियम स्कूलों में आने पर किस तरह से परिवर्तन किये जाने चाहिए ताकि बच्चे नये बदलावों में सहज महसूस कर सकें और इस माध्यम में भी शानदार प्रदर्शन कर सकें। इसके लिए डीपीएस स्कूल रिसाली में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के शिक्षकों का इंडक्शन प्रोग्राम आरंभ हुआ। इसके पहले सत्र को संबोधित करते हुए कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने कहा कि स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल न केवल अधोसंरचना में उत्कृष्ट होंगे अपितु शैक्षणिक गुणवत्ता के दृष्टिकोण से भी बेहतरीन होंगे। इस इंडक्शन कार्यक्रम के पीछे भी यही मकसद है कि हिंदी माध्यम से इंग्लिश मीडियम में आये छात्र-छात्राओं की चुनौतियों को समझकर इसके अनुरूप शैक्षणिक प्लानिंग की जा सके। कलेक्टर ने कहा कि इंग्लिश मीडियम स्कूलों के माध्यम से बच्चे मातृभाषा के साथ ही इंग्लिश का भी अध्ययन कर सकेंगे। अपनी मातृभाषा के साथ ही अंग्रेजी भाषा का ज्ञान बच्चों का कौशल संवर्धन करेगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए शुरूआती दौर में शिक्षकों को बच्चों पर कड़ी मेहनत करनी होगी। बच्चों के शब्द कोष पर और उन्हें इंग्लिश सीखाने के लिए नवाचार की कोशिशों के माध्यम से भी। कलेक्टर ने कहा कि सत्र में आपस में संवाद भी होगा।
मैं हिंदी मीडियम से था, सीखी छह भाषाएं- जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक ने इस अवसर पर कहा कि अगर ठान लिया जाए तो बहुभाषाविद होना कठिन नहीं है। मेरी मातृभाषा हिंदी थी लेकिन मैंने प्रयत्न कर इंग्लिश के साथ ही पांच अन्य भाषाएं भी सीखी। नई भाषा सीखना चुनौतीपूर्ण भी है और आनंददायक भी।