क्रोध एक भयंकर शत्रु है – ज्योतिष
*क्रोध एक भयंकर शत्रु है – ज्योतिष*
यह बहुत विनाशक है। इससे और इसके परिवार वालों से ज़रा बच कर रहें।
क्रोध क्या है। जब कोई व्यक्ति आप पर झूठा आरोप लगाए। आपके आदेश निर्देश का पालन न करे, अपनी मनमानी करे, आपकी इच्छा के विरुद्ध काम करे, आपकी किसी प्रकार की हानि करे, अथवा अन्य किसी प्रकार से असभ्यता करे, तब जो आपके मन में उससे बदला लेने की, उसका विनाश करने की इच्छा उत्पन्न होती है, इसे क्रोध कहते हैं।
क्रोध की स्थिति में बुद्धि ठीक काम नहीं करती। क्रोध में व्यक्ति दूसरों पर अन्याय करता है। अपराधी को मात्रा से अधिक दंड देता है। जब क्रोध आता है तो उसके साथ-साथ, उसके परिवार के अन्य सदस्य भी चले आते हैं। हठ छल कपट धोखा निंदा चुगली अभिमान इत्यादि। ये सब क्रोध के परिवार के सदस्य हैं। इनका विस्तृत विवरण सुविचार चित्र में देखिए। इन सब से बचकर रहें। अन्यथा ये आप का विनाश कर देंगे।
इस क्रोध से मिलता जुलता एक और तत्त्व है जिसका नाम है “मन्यु”। मन्यु का प्रयोग करने का विधान वेदो में है। *मन्यु का अर्थ होता है, एक अधिकारी व्यक्ति अपने अधीनस्थ व्यक्ति को गलती करने पर न्याय पूर्वक ठीक-ठीक दंड देवे।
जैसे घर में बच्चे गलती करें, तो माता-पिता बच्चों को उचित न्याय पूर्वक दंड देवें, इसका नाम मन्यु है।*
माता-पिता को ईश्वर ने आदेश दिया है कि *बच्चों का ठीक प्रकार से विकास करना। इनका नियंत्रण रखना, इनको दोषों से बचाना। इनके अंदर अच्छे गुणों की स्थापना करना, यह आपकी जिम्मेदारी है। इस जिम्मेदारी को निभाते हुए,
यदि बच्चे आपकी बात प्रेम से मान लें, तो ठीक है। यदि प्रेम से न मानें, तब इनको डांट लगाएं। तब भी न मानें, तो अन्य प्रकार से बच्चों के सुधार के लिए उन्हें न्यायपूर्वक दंडित करें। जैसे एक समय का भोजन बंद कर देना। उनका tv कार्टून पिक्चर बंद कर देना। उन्हें खिलौने नहीं देना। मिठाई नहीं खिलाना। उनसे झाड़ू पोछा लगवाना। उनसे बगीचे में आधा घंटा काम करवाना इत्यादि।जितना अपराध हो, उसी हिसाब से अर्थात 2/4/5 दिन दंड देना। यह आप का कर्तव्य भी है और अधिकार भी है। तो इस प्रकार की दंड व्यवस्था का नाम मन्यु कहलाता है।
जैसे ईश्वर ने माता पिता को मन्यु का प्रयोग करने की छूट दी है, ऐसे ही विद्यालय में अध्यापकों को, गांव में पंचायत को, नगरों में न्यायालय को भी न्यायपूर्वक दंड देने का अधिकार दिया है। यदि ये सब अधिकारी लोग अपने अपने क्षेत्र के अपराधियों को दंड नहीं देंगे, तो संसार बिगड़ जाएगा।
*इसलिये प्रशासन को ठीक तरह से चलाने के लिए मन्यु का प्रयोग करना उचित है, क्रोध करना अनुचित है। इसलिए क्रोध से बचें। स्वयं सुखी रहें तथा दूसरों को भी सुख देवें। उत्तम रीति से जीने का यही तरीका है।