देश दुनिया

कविता-प्रकाशित करने हेतु

प्रकाशित करने हेतु

मेरा सपना आज साकार हुआ।
मेरे घर में बेटी का जन्म हुआ।
आज मेरे घर को रोशन करने।
लक्ष्मी ने बेटी रूप में अवतार लिया।
आई मेरे घर को रोशन करने बेटी।
एक नही दो कुलों को रोशन करने बेटी।
मां की आस और पिता का विश्वास है बेटी।
मेरे घर में सबकी लाडली है बेटी।
सिंधु,सायना का मान है बेटी।
पिता का अभिमान है बेटी।
मेरे घर की उजाला है बेटी।
दो कुलों का मान है बेटी।
घर को रोशन करती है बेटी।
ससुराल का शान है बेटी।
पढ़ लिख के पाँव में खड़ा होती बेटी।
आज देश का उद्धार कर रही है बेटी।
आज बेटे पाने की लालसा में।
गर्भ में मारे जा रही है बेटी।
अब नहीं बचाओगे बेटी को।
तो हम बहु कहां से लायेंगे।
समाज बन रहा बेटी का दुश्मन।
डूबोते जा रहे बेटी का भविष्य।
बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ।
यह अभियान चलाना है।
बेटी का भविष्य बनाना है।

*परमानंद निषाद “प्रिय”*
ग्राम- निठोरा,पो.- थरगांव
तह.- कसडोल,जिला- बलौदा बाजार (छ.ग.) पिन 492112
मोब.- 797438903

Related Articles

Back to top button