पानी की तरह बहा पैसा फिर भी नही बुझि प्यास, ग्रामीण कर रहें हैं पानी की आस में मतदान
कोण्डागांव । डोंगरीगुडा जोबावासियों को पेयजल के लिए कई किलोमीटर तक का फासला तय करना पडता है, वह भी कुछ दिनों, माहों, वर्षों से नहीं बल्कि कई दषकों से। वहीं कई दषकों से प्यासे डोंगरीगुडा जोबावासी, कोई तो सच्चा जनप्रतिनिधि (विधायक/सांसद) बनकर उनकी कई दषकों की प्यास को बुझाएगा, की आस/उम्मीद में प्रत्येक चुनाव में बढ़चढ़ कर मतदान करते आ रहे हैं, लेकिन स्थानीय सहित राज्य/राष्ट्रीय स्तर का आष्वासन देकर विधायक/सांसद चुने जाकर मंत्री तक बन चुके विधायक/सांसद डोंगरीगुडा जोबावासियों की सबसे बड़ी और मुख्यपेयजल की समस्या का स्थाई समाधान नहीं निकाल सके हैं। ज्ञात हो कि जिला व तहसील कोण्डागांव के अंतर्गत आने वाले और जिला मुख्यालय से जगदलपुर की ओर रा.रा.30 पर लगभग 19-20 किमी दुर ग्राम पंचायत जोबा स्थित है और सड़क पर बसे ग्राम जोबा से लगभग 2-3 किमी दुर पूर्व दिषा में जाने पर इस ग्राम का एक आश्रित पारा है डोंगरीगुडा एवं यह डोंगरीगुडा पथरीली पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है। इस डोंगरीगुडा को ग्राम पंचायत जोबा का मुख्य बस्ती इसलिये माना जाता है, क्योंकि यहां लगभग 200 परिवार निवासरत हैं और अक्सर इसी बस्ती से ही सरपंच चुने जाते हैं। यहां उल्लेखनीय है कि डोंगरीगुड़ा बस्तीवासियों द्वारा अपनी पेयजल की समस्या का समाधान करने की मांग जनप्रतिनिधियों (विधायक/सांसद) आदि के सामने रखने पर हुआ केवल यह कि उनके द्वारा पेयजल की समस्या का समाधान करने हेतु पीएचई विभाग के अफसरों को निर्देष दिया गया कि जाओ और डोंगरीगुडा में एक हेण्डपम्प लगा दो, जनप्रतिनिधियों के निर्देष का बखूबी पालन करते हुए पीएचई के अफसर गांव में पहुंचकर बाकायदा हेण्डपम्प हेतु बोरवेल कराते हैं, लेकिन वहां पानी नहीं मिलने से बैरंग वापस आ जाते हैं और ग्रामीणों के अनुसार लगभग हर चुनाव के पूर्व ऐसा ही कुछ होते-होते डोंगरीगुडा जोबा में लगभग 20 से अधिक बार हेण्डपम्प लगाने हेतु बोरवेल कराने का प्रयास किया जा चुका है, लेकिन भूगर्भ में पर्याप्त पानी नहीं होने से हेण्डपम्प नहीं लगाया जा सका और इस तरह बोरवेल कराने का खर्च बेकार गया। ज्ञात हो कि डोंगरीगुडा की बसाहट पहाडी के नीचे पथरीली क्षेत्र में होने से यहां भूगर्भ में जल के स्तर का पता नहीं चल पाता और हेण्डपम्प लगाने के प्रयास में बोरवेल कराने का खर्च व्यर्थ हो जाता है। जब यह सिद्ध हो चुका है कि यहां हेण्डपम्प सफल नहीं हो सकता तो बार-बार हेण्डपम्प लगाने के प्रयासस्वरुप बेवजह खर्च करना बेमानी है। पेयजल की समस्या से प्रेस प्रतिनिधियों को रुबरु कराने उपस्थित ग्रामीणजनों में से गुजरलाल कष्यप, प्रेम, फुलचंद बघेल, नीलधर कष्यप, शुभचरण कष्यप, शुभचरण बघेल, प्रेम सिंह कष्यप, खुरसो कष्यप, कुमारी कष्यप, पुरनी कष्यप, सुदनी, मानबती आदि ने उक्त जानकारी के साथ ही पेयजल की समस्या के संबंध में अपने तजुर्बे के आधार पर कहा कि पहाडियों के बीच और तलहटी पर बसे डोंगरीगुडा में बस्ती से लगभग 1-2 किमी दुर बने खेतों में कुंआ खोदने पर पानी निकलता है, यदि उसी स्थान पर बोरवेल कराकर और पहाडी पर ओवरहेड टेंक बनाकर पानी को मोटर चलित पम्प से बस्ती तक पहुंचाया जा सकता है।
सीपीआई करेगी संघर्ष पेयजल समस्या समाधान हेतु
वहीं डोंगरीगुडा बस्ती की पेयजल समस्या की जानकारी को प्रेस तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले सीपीआई के जिला सचिव तिलक पाण्डे ने अपनी बात रखते हुए कहा कि जब कोसारटेडा बांध के पानी को यहां से लगभग 4 किमी दुर बसे ग्राम जामगांव तक पाईप लाईन बिछाकर पहुंचा चुकी है, तो डोंगरीगुडा तक भी पाईप लाईन बिछाकर पानी को पहुंचाया जा सकता है। वहीं बडे दुर्भाग्य की बात है कि पहले भानपुरी और फिर अब कोण्डागांव विधान सभा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत जोबा के डोंगरीगुडा के ग्रामवासियों की पेयजल समस्या को पीएचई मंत्री रह चुके केदार कष्यप, फिर बाद में मंत्री रह चुकी लता उसेण्डी और अब विगत 5 वर्ष से कांग्रेस के विधायक बने मोहन मरकाम भी समाधान नहीं कर सके हैं। अब वे डोंगरीगुडावासियों की पेयजल समस्या के समाधान हेतु सीपीआई के कार्यकर्ताओं के साथ संघर्ष करेंगे और पेयजल की समस्या का समाधान कराकर ही रहेंगे।
सबका संदेस ब्यूरो, कोंडागांव 9425598008