Kondagaon: कुपोषण से जंग लड़ रही सरकार के अंदरूनी इलाकों में बच्चों को नहीं मिल पा रहा पोषक आहार
कोंडागांव। जिले के ग्राम कुधुर में लॉक डॉउन के बाद से ही आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से छोटे बच्चों को मिलने वाला सूखा राशन (पोषक आहार) नहीं मिलने का मामला सामने आया है।
उल्लेखनीय है कि मासूम बच्चों को कुपोषण से मुक्त रखने हेतु आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों के लिए पोषक आहार का वितरण किया जाता है लेकिन जिले के अंतिम छोर पर बसे नक्सलगढ़ ग्राम कुधुर के आंगनबाड़ी केंद्रों के द्वारा पिछले कई महीनों से बच्चों को दिया जाने वाला पोषक आहार के रूप में सुखा राशन का वितरण नही होने का मामला स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा प्रकाश में लाया गया था। इस ग्राम के गरीब परिवारो ने चर्चा के दौरान बताया कि लॉकडाउन के बाद से ही आंगनबाड़ी केंद्र बंद पड़े हैं, तब से उनके बच्चों को मिलने वाला पौष्टिक आहार नहीं मिल रहा है। लॉक डाउन के बाद से कोई भी अधिकारी इस इलाके में नहीं आ रहे हैं। सरकारी आकड़ों के अनुसार कुधुर में कुल 4 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं जिनमें 64 बच्चों की संख्या दर्ज है, वहीं इनमें से 6 बच्चे गंभीर कुपोषित बच्चे बताए गए हैं। इसके बावजूद जिले अधिकारी अधिकारी-कर्मचारी बच्चों की सुध लेते नजर नहीं आ रहे हैं।
सरकार कुपोषण से जंग लड़ने और बच्चों को सुपोषित करने योजनाओं के माध्यम से पोषक आहार का वितरण करने की बात करती है लेकिन कोंडागांव जिले के अंदरुनी इलाको में कुपोषण से जंग की जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है। ऐसे में स्थानीय जिला प्रशासन कुपोषण से जंग किस तरह लडेगा।
उक्त मामले में कलेक्टर पुष्पेन्द्र मीणा ने कहा कि हमारी प्राथमिकता कुपोषित बच्चों को सुपोषित करना है, अगर इसमें किसी प्रकार की कोई लापरवाही हुई है, तो मामले की जांच करवाकर संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी।
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