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हिंदी भवन स्थित संभागायुक्त कार्यालय में राजस्व अधिकारियों की हुई कार्यशाला, Workshop of Revenue Officers held at Divisional Office, Hindi Bhawan

दुर्ग। हिंदी भवन में आज संभाग के सभी एसडीएम एवं तहसीलदारों की कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में अधिकारियों को राजस्व एवं कानून व्यवस्था से जुड़े सैद्धांतिक एवं मैदानी क्षेत्र में उपयोगी पहलुओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। संभागायुक्त टीसी महावर ने कहा कि राजस्व अधिकारी बहुमुखी  अधिकारी होते हैं। वे अपने अधिकारों का पूरी तरह क्रियान्वयन कर जनहित में बेहतरीन कार्य कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि वे भू राजस्व संहिता सहित रेवेन्यू एवं नियमों एवं कानूनों पर लिखी पुस्तकों का नियमित अध्ययन करें। नियमों की जानकारी जितनी ज्यादा होगी, प्रशासनिक रूप से आप उतने ही प्रभावी होंगे। उन्होंने कहा कि सैद्धांतिक पक्ष के साथ ही अपने मैदानी स्तर की व्यावहारिक समझ एवं संवेदना भी बेहद जरूरी है। पूरे ध्यान से आवेदक की बातें सुने एवं यथासंभव उनकी मदद करें। उन्होंने कहा कि राजस्व अधिकारी न्यायालय के लिए नियत दिनों में कोर्ट में बैठकर कोर्ट में न्यायालयीन कार्य करें। उन्होंने राजस्व अधिकारियों को क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा भ्रमण करने एवं मौके पर ही मामलों के निराकरण के लिये निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि अपने रूटीन कामों के साथ ही शासन की प्राथमिकता वाली योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी विशेष नजर रखें और अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। इस मौके पर आईजी विवेकानंद सिन्हा ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला बहुत उपयोगी होती है क्योंकि मैदानी स्तर पर की अलग तरह की चुनौतियां होती हैं। पूर्व में वरिष्ठ अधिकारियों ने जिस कुशलता के साथ इन्हें हल किया, उनके अनुभव का लाभ आप लोगों को मिलता है। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने कहा कि कोर्ट बहुत महत्वपूर्ण होता है। लोग काफी उम्मीद लेकर आते हैं। यथासंभव कोर्ट में मौजूद रहने की कोशिश करें। इस तरह का समन्वय बनायें कि कोर्ट के कार्य प्रभावित न हों। एसपी प्रशांत ठाकुर ने कहा कि जिले में कानून व्यवस्था के बेहतर संचालन के लिए राजस्व विभाग और पुलिस में अच्छा समन्वय बहुत आवश्यक होता है। यहां एक और एक मिलकर दो नहीं होता ग्यारह हो जाते हैं। वाजिब उल अर्ज और निस्तार पत्र में क्या अंतर है- संभागायुक्त ने कहा कि मैदानी स्तर में लगातार काम करने के दौरान हमारी पढने की आदत छूटती हैं और हम अक्सर नियमों से संबंधित किताबें नहीं पढ़ पाते। यह बेहद जरूरी है इससे त्वरित और न्यायपूर्ण निर्णय लेने में मदद मिलती है। उन्होंने प्रश्न भी राजस्व अधिकारियों से पूछे। भू राजस्व संहिता में फारसी के शब्दों के अर्थ और उनका प्रशासनिक उपयोग भी उन्होंने पूछा। मसलन वाजिब उल अर्ज और निस्तार पत्र में क्या अंतर है अथवा तौजियां पत्र किसे कहते हैं इस तरह के प्रश्न? साथ ही उन्होंने शासन की प्राथमिकता वाली योजनाओं जैसे गोधन न्याय योजना आदि के नवीन निर्देशों के बारे में भी अधिकारियों से पूछा। उन्होंने राजस्व अधिकारियों से भी अपने विचार रखने कहा। टूर सेगमेंट प्रोग्राम पर दिया फोकस- संभागायुक्त ने कहा कि टूर सेगमेंट प्रोग्राम राजस्व अधिकारियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इससे अपने कार्यक्षेत्र की समझ ब?ती है। लोगों से प्राथमिक जानकारी मिलती है जिससे उनके लिए बेहतर कार्य करने की गुंजाइश बनती है। उन्होंने कहा कि दौरे में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की स्थिति, अस्पतालों की स्थिति, स्कूलों में मध्याह्न भोजन, पटवारी हल्कों का निरीक्षण, छात्रावास, पेयजल की उपलब्धता, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के अप्रत्याशित आवागमन आदि बातों पर भी विशेष ध्यान रखें। कार्य की प्राथमिकता और समन्वय सबसे जरूरी- संभागायुक्त ने कहा कि राजस्व अधिकारियों के लिए कार्य की प्राथमिकता तय करना और अन्य विभागों से समन्वय बेहद जरूरी है। इन दोनों क्षेत्रों में विशेष ध्यान देकर बेहतरीन कार्य किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में सक्रिय मौजूदगी के साथ ही कार्यालयीन प्रणाली में भी दक्षता बेहद आवश्यक है। इन दोनों गुणों का संयोग आपको अच्छा अधिकारी बनाएगा और लोग अच्छे अधिकारी को केवल काम के कारण ही याद करते हैं। संभागायुक्त ने आशा की कि इस कार्यशाला से अधिकारियों को काफी मदद मिलेगी। समय-समय पर इस तरह की कार्यशाला का आयोजन किया जाता रहेगा।

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