कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिमा का ध्यान अधिकांशतर ग्रामीण क्षेत्रों में
शहरी वोटरों की कांग्रेस के प्रति नाराजगी पड़ सकती है भारी
भिलाई। इन दिनों लोकसभा चुनाव में दुर्ग सीट के लिए प्रचार प्रसार जोरों पर है। कांग्रेस पार्टी की ओर से दुर्ग लोकसभा के लिए प्रत्याशी बनाई गई प्रतिमा चंद्राकर के लिए शहरी वोटरों में नाराजगी दिख रही है। वहीं शहरी क्षेत्र में प्रचार प्रसार से दूरी भी कांग्रेस के लिए भारी पड़ती नजर आ रही है। खासबात यह है कि शहरी क्षेत्र में प्रतिमा चंद्राकर की पहचान एक ग्रामीण महिला की है और इस वजह से यहां वोटरों को साधना इनके लिए काफी मुश्किल लग रहा है।
लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद दुर्ग लोकसभा दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा प्रश्र है। लगातार जीतने के बाद 2014 में जहां भाजपा ने यह सीट गंवा दी हैवहीं कांग्रेस के लिए छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के बाद दुर्ग प्रतिष्ठा बन गया है। स्वयं सीएम बघेल व गृहमंत्री इस जिले से हैं इस वजह से दुर्ग लोकसभा जीतना इनके लिए बेहद जरूरी है वहीं भाजपा भी अपनी खाई हुई प्रतिष्ठा को पाने इस सीट पर एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। प्रचार प्रसार की बात की जाए तो दोनों ही दल नाकाम साबित हो रहे हैं। इस बीच यह बात सामने आई है कि ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा कांग्रेस का शहरी क्षेत्र में प्रचार प्रसार काफी कमजोर है।
विकास विरोधी नीतियों से शहरी आबादी त्रस्त
शहरी क्षेत्र में कांग्रेस की विकास विरोधी नीतियां भी नुकसान दायक साबित हो सकती हैं। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही शहरी क्षेत्र में विकास की गति थम सी गई है। खर्सीपार में केनाल रोड का काम रुक गया है जिससे यहां के हजारों लोगों को रोजना परेशानी झेलनी पड़ रही है। दुर्ग भिलाई के शहरी क्षेत्रों कई ऐसे विकास कार्य हैं जो कांग्रेस की सरकार आने के बाद या तो रुक गए हैं या फिर काम धीमा हो गया है। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर शहरी वोटरों में नाराजगी पनप रही है जिसका असर इस लोकसभा चुनाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
कहीं भारी न पड़ जाए हाउसलीज का मुद्दा
प्रतिमा चंद्राकर ने शहरी वोटरों को लुभाने के लिए बीएसपी टाउनशिप में वर्षों से लंबित हाउसलीज के मुद्दे को हवा दे दी है। 2009 के लोकसभा चुनाव मेंं 90 दिनों में हाउसलीज लाने का वादा कर सांसद बनी सरोज पाण्डेय पांच साल तक इस पर कुछ कर नहीं पाई। अब प्रतिमा चंद्राकर हाउसलीज लाने का दावा कर रही है। प्रतिमा के लिए कहीं हाउसलीज का मुद्दा भारी न पड़ जाए।
भाजपा प्रत्याशी के लिए भी गहरा गड्ढा
ऐसा नहीं है कि भाजपा प्रत्याशी विजय बघेल के लिए शहरी क्षेत्र के मतदाताओं को लुभाना आसान नहीं दिख रहा है। विधानसभा चुनाव के परिणाम यथावत रहे तो विजय बघेल के लिए काफी मुश्किल हो सकती है। शहरी क्षेत्र में एक वैशाली नगर विधानसभा को छोडक़र शेष सभी विधानसभा क्षेत्रों में विजय बघेल के लिए कड़ी चुनौती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रहे विजय बघेल की नैय्या कौन पार लगाएगा यह तो भविष्य की गर्त में है लेकिन एक बात तय है यहां से कांग्रेस व भाजपा दोनों ही प्रत्याशियों को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।