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छतीसगढ़ PHE विभाग में 10 हजार करोड़ का घोटाला और भ्रष्टाचार का दुबई कनेक्शन

रायपुर / छत्तीसगढ़ में PHE विभाग में 10 हज़ार करोड़ का घोटाले  होने के बाद दो दर्जन से ज्यादा ऐसे बड़े ठेकेदारों के अरमानों पर पानी फिर गया है, जिन्होंने सरकारी तिजोरी में सेंधमारी करने के लिए हज़ारों रुपये का दाना डालकर करोड़ों रुपये कमाने की योजना को अमल में लाया था। इस मामले में टेंडर रद्द होने के तीन दिन बाद भी राज्य सरकार की ओर से ना तो विभागीय मंत्री रुद्रकुमार गुरु, तत्कालीन सचिव व आईएएस अधिकारी अविनाश चम्पावत और ENC एमएल अग्रवाल के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है और ना ही उनके गिरोह के खिलाफ। यही नहीं घोटाले में शामिल दो दर्जन से ज्यादा बड़े ठेकेदारों के खिलाफ भी शासन की ओर से ना तो FIR दर्ज कराई गई और ना ही उन्हें ब्लैकलिस्ट करने के लिए कोई प्रक्रिया प्रारंभ की गई है | अब इस मामले में कई बड़े खुलासे सामने आ रहे है |ताजा जानकारी के मुताबिक इस बड़े घोटाले को अंजाम देने की नींव विभागीय ENC ने हॉर्टिकल्चर माफियाओं के साथ रची थी | घोटाले के लिए हॉर्टिकल्चर माफियाओं ने बड़े ही सुनियोजित ढंग से भ्रष्टाचार की रकम को दुबई तक पहुंचाने का प्रबंध किया था | बताया जाता है कि राजेश – मुकेश नामक दो कारोबारियों ने ही PHE विभाग के लगभग 15 हज़ार करोड़ के कार्यों को अंजाम तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया था | ये दोनों कारोबारी पूरवर्ती सरकार पर भी काफी हावी रहे है | हॉर्टिकल्चर और कृषि विभाग से जुडी तमाम योजनाओं के क्रियान्वयन और सरकारी रकम की बंदरबांट के मामले में राजेश – मुकेश को नेता और अफसर काफी कारगर मानते है | मौजूदा कांग्रेस सरकार में भी इन दोनों ही कारोबारियों ने भ्रष्टाचार का बीड़ा उठाया हुआ है |बताया जाता है कि 10 हज़ार करोड़ रुपए के जल जीवन  और नल जल योजना  घोटाले से मिलने वाली ब्लैक मनी को दुबई में निवेश किये जाने की योजना को भी अंजाम दिया गया था | दुबई में राजेश – मुकेश ने छत्तीसगढ़ के कारोबारियों, व्यापारियों, नेताओं और बड़े नौकरशाहों की बेनामी संपत्ति को ठिकाने लगाने के लिए एक दफ्तर खोला हुआ है | इस दफ्तर से ही PHE घोटाले के तार जुड़े बताये जाते है | PHE विभाग के सभी टेंडर रद्द होने के बाद इस घोटाले की परत खुलने से कई हैरान कर देने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। बताया जाता है कि लगभग दो दर्जन ठेकेदारों ने बगैर टेंडर और वर्क ऑडर प्राप्त किये लगभग 6 फीसदी की दर से ब्लैक मनी का पूर्व भुगतान एक शख्स को किया था | इस व्यक्ति द्वारा यह रकम दुबई ट्रांसफर किये जाने की खबर मिली है | बताया जाता है कि तमाम टेंडर वर्क ऑडर के साथ सौंपे जाने वादे के बाद ही ठेकेदारों ने कमीशन की रकम राजेश – मुकेश के हाथों में सौंपी थी |PHE घोटाले का सबसे चौकाने वाला सच तो यह है कि विभिन्न जिलों में 25 फीसदी से ज्यादा का काम भी हो चुका है, वह भी बिना किसी अनुबंध और वर्क ऑडर के |  घोटाले में नौकरशाहों और विभागीय मंत्री के साथ ठेकेदार भी बराबर सहभागी बताये जाते है | छत्तीसगढ़ में राज्य की कांग्रेस सरकार की साख पर इस घोटाले ने जबरदस्त वार किया है | दरअसल केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार बिना थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन के नल जल और जल मिशन से जुड़े कार्यों का आवंटन और भुगतान नहीं किया जा सकता। लेकिन विभागीय मंत्री रुद्रकुमार गुरु के निर्देश पर थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन के बगैर ज्यादातर ठेकेदारों से कागजो पर काम करवा लिया गया |हालाँकि करोड़ो के फर्जी भुगतान के पहले केबिनेट ने PHE विभाग के समस्त टेंडरों को रद्द कर दिया | बताया जाता है कि राजेश – मुकेश ने अधिकारीयों के साथ मिल कर बगैर किसी अनुबंध के ही 75 फीसदी कार्य राज्य के बाहर के ठेकेदारों को सौंप दिया था | इन ठेकेदारों ने ही ब्लैक मनी को तय स्थानों पर पहुँचाया था

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