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Kondagaon: वन विभाग ने तोड़ा गरीब का आशियाना, फसल को रौंदा, परिवार ने मांगे जहर खाने के लिए कलेक्टर से पैसे

कोण्डागांव। वन विभाग की बर्बरतापूर्ण कार्यवाही से सातगांव के एक भूमिहीन गरीब ग्रामीण गोरखनाथ के बेघर होने के बाद, जिला कार्यालय कोण्डागांव में पहुंचकर कलेक्टर से सिधे जहर खरीदने के लिए पैसे मांगने का मामला सामने आया है। जिला व तहसील कोण्डागांव के अंतर्गत आने वाले तथा जिला मुख्यालय कोण्डागांव से मसोरा होकर बालोण्ड की ओर जाने वाली मार्ग पर बसे ग्राम सातगांव का है, जो कि जिले के वन विभाग कोण्डागांव के उत्तर वन मण्डल केषकाल क्षेत्र के अंतर्गत आता है। सातगांव से 15 अक्टूबर को कलेक्टर से मिलने के लिए अपनी बूढ़ी मां लच्छनदई, पत्नी रामबाई एवं लगभग 4-5 वर्षीय पुत्र को लेकर कलेक्टोरेट पहुंचे भूमिहीन ग्रामीण गोरखनाथ पिता तिलकूराम सेठिया ने प्रेस को जानकारी देते हुए बताया कि 14 अक्टूबर को वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने लगभग डेढ़ दो वर्ष पूर्व मजबूरी में वन भूमि की खाली जगह पर बनाए गए घर को जेसीबी से तोड तथा थोडे से हिस्से में लगाए गए धान को रौंद दिया गया है। जिसके कारण ही वे सभी दुखी होकर कलेक्टर से जहर खरीदने के लिए पैसे मांगने आए हैं। गोरखनाथ का कहना है कि यहां वे कलेक्टर से वन विभाग पर कोई भी गंभीर आरोप लगाकर अधिकारी-कर्मचारियों की षिकायत करने के लिए नहीं आए हैं, उन्हें अपनी गलती का अहसास कि उन्हें वन क्षेत्र में अपना घर नहीं बनाना था, बल्कि लगभग दो वर्ष पूर्व जब ग्राम पंचायत सातगांव के पदाधिकारियों व ग्रामवासियों के द्वारा उनके माता-पिता द्वारा बनाए गए घर को सड़क निर्माण कराए जाने के लिए हटाने को कहने पर उनके द्वारा अपना घर तोड देने के बाद, से उन्हें अपना गुजारा किसी पेड की छांव में कर लेना था, लेकिन उनके परिवार की मजबूरी को देखते हुए एवं घर बनाने हेतु कोई जमीन नहीं होने पर कुछ ग्रामवासियों के द्वारा ही कह दिया गया कि उक्त खाली पडी जगह पर अपना घर बना लो, तो उन्होंने अपनी जमापूंजी, पत्नी का गहना आदि गिरवी रखकर तथा अपने परिचितों से उधार लेकर अपना घर बनाकर रहना शुरु कर दिया गया और लगभग डेढ़-दो साल बाद अचानक वन विभाग द्वारा उन्हें नोटिस देकर जवाब मांगा जाने लगा, जिसका जवाब देने के बावजूद भी उनके घर को तोड दिया गया। अपनी व्यथा बताते हुए आगे कहते हैं कि उसके जन्म के कई वर्ष पूर्व से ही उसके माता-पिता ग्राम सातगांव के निवासी हैं और उनके माता-पिता के नाम पर कुल मात्र डेढ़ एकड धान की खेती वाली कृषि जमीन है, जहां घर बना पाना संभव नहीं है। वे चार भाई हैं और वर्तमान में आर्थिक तंगी के कारण सभी अलग-अलग हो चुके हैं। गोरखनाथ ने बताया कि पहले सड़क निर्माण हेतु पुराने घर और वर्तमान में वन भूमि में घर बनाए होने की वजह से घर तोड देने के बाद गांव में अन्य कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण ही वे कलेक्टर से जहर खरीदने के लिए पैसे मांगने को पहुंचे थे लेकिन कलेक्टर ने उनकी समस्या को ध्यान से सुनकर जल्द कोई समाधान करने का आष्वासन देकर वापस सातगांव चले जाने को कहा है, पर गांव में कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण वे जिला कार्यालय में ही तब तक रहेंगे जब तक कि उनके रहने हेतु घर की व्यवस्था नहीं हो जाती है। समाचार लिखे जाने तक पीडित परिवार कलेक्टर कार्यालय में ही शरण लिए नजर आया। ज्ञात हो कि उत्तर वन मण्डल के फरसगांव रेज अंतर्गत आने वाले ग्राम सातगांव में वन कर्मियों के द्वारा एक बडी कार्यवाही करते हुए अपनी वन भूमि को बचाने के कर्तव्य का निर्वहन तो कर लिया गया, लेकिन उक्त कर्तव्य निर्वहन में जिस भूमिहीन ग्रामीण परिवार को बेघर होने के साथ ही आर्थिक क्षति भी उठानी पडी, उसे किस नजरीए से देखा जाए। क्या गोरखनाथ परिवार द्वारा रातोंरात अपना घर बना लिया गया था ? गोरखनाथ द्वारा जब नींव खोदकर व खेत बनाने हेतु हरे-भरे पेडों को क्षति पहुंचाई जा रही थी तब संबंधित वन कर्मी ने तत्काल कार्यवाही क्यों नहीं की ? क्या वन विभाग, गोरखनाथ के घर के पूरा बन जाने का इंतजार कर रहा था, ताकि पूर्ण हो चुके घर को तोडने से गोरखनाथ की कमर पुरी तरह टूट जाए और वह सपरिवार आत्महत्या कर ले ? वहीं सरपंच द्वारा गोरखनाथ जैसे एक भूमिहीन परिवार को प्रधान मंत्री आवास योजना के लाभ से क्यों वंचित रखा गया ?

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राजीव गुप्ता

Rajeev kumar Gupta District beuro had Dist- Kondagaon Mobile.. 9425598008

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