Kondagaon_ 10दिनों में नियमित करने का वादा आज तक पूरा नही कर पाई प्रदेश सरकार- करन कुमार
राजीव_गुप्ता@कोंडागांव। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संघ कोंडागांव के जिलाध्यक्ष करन कुमार ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि, मैं छत्तीसगढ़ की समस्त जनता को और सरकार को निवेदन कर यह बताना चाहता हूं कि यह हड़ताल कोई तात्कालिक लिया गया निर्णय नहीं है, ना ही हमने आपदा में अवसर का कोई ऐसी नीति अपनाया है, न हीं हम सरकार के ऊपर कोई दबाव बनाकर अपनी मांग पूरी करवाने पर तुले हुए हैं। हड़ताल के बीज 15 जुलाई 2017 को डाला जा चुका था और 15 जुलाई 2017 के हड़ताल में माननीय स्वास्थ्य मंत्री जो तत्कालीन समय में विपक्ष में थे उन्होंने हमारे मंच पर आकर के हम संविदा अनियमित कर्मचारियों के दर्द को समझते हुए हमें यह मौखिक आश्वासन दिया था कि हमारी सरकार बनते ही 10 दिवस के भीतर समस्त संविदा नियमित कर्मचारियों को नियमित कर दिया जाएगा। ईश्वर की कृपा से उनकी सरकार बनी और हमें विश्वास हो गया कि 10 दिन में हम समस्त कर्मचारी अब नियमित होने वाले हैं। किंतु आज सरकार बने ढाई वर्ष से अधिक हो चुके हैं। हमें माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी 14 फरवरी 2018 को हमारे मंच पर आकर यह विश्वास दिलाया था कि यह वर्ष हमने किसानों के लिए दिया है। आने वाला वर्ष आप सब कर्मचारियों का होगा। इसी विश्वास से हमने धैर्य रखकर लगातार ढाई वर्ष तक जनता की सेवा की है। हम यह बताना चाहते हैं। हम बार-बार सरकार से उनके किए गए वादे को याद दिला कर नियमित किए जाने हेतु आवेदन निवेदन करते रहे किंतु मार्च 2020 तक भी हमारी मांगों पर किसी प्रकार का कोई विचार नहीं किया गया और इसी बीच कोरोना महामारी पूरे विश्व में व हमारे भारत में हमारे प्रदेश में भी पहुंच चुका था। फिर भी हम अपनी जान की चिंता किए बगैर तब भी हड़ताल नहीं किया और यह जानते हुए भी कि हमारे कोरोना के चपेट में आकर मृत्यु हो जाने पर हमारे परिवार के लिए कोई सुरक्षा नहीं है। हम लगातार छः महीने से जनता की सेवा कर रहे हैं। किंतु 6 माह बीत जाने के बाद भी। हमारे कोरोना वायरस के सम्मान में सरकार के द्वारा कोई ठोस निर्णय नहीं लिए जाने के दुखी होकर हम लगातार सरकार से अपनी मांग को लेकर आवेदन निवेदन कर रहे हैं। सरकार के द्वारा किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं मिलने के व हमारे 10 15 वर्ष से कार्यरत एएनएम बहनों के पदों के विरुद्ध नियमित भर्ती निकाल दिए जाने के कारण हम सब दुखी होकर सरकार के पास इसे रद्द कर हमारे पिछले कई वर्षों से कार्य रत एवं बहनों को इस पदों में समायोजित करने हेतु आवेदन के लिए पहुंचे। उनके द्वारा फिर भी किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दी गई ना ही कोई निर्णय लिया गया। इस सभी से दुखी होकर हमने सरकार को व विभाग को ज्ञापन देकरदिनांक 8 सितम्बर तारीख से काली पट्टी लगाकर कार्य किया 19 सितंबर तक हमारी मांगों पर कोई निर्णय नहीं आने पर हड़ताल किए जाने की सूचना बहुत पहले से दे दी गई थी। इस प्रकार की सूचना देने के बाद भी सरकार के द्वारा हमारी मांगों को गंभीरता पूर्वक नहीं सुना गया। वह हमारे व जनता की जान को जोखिम में डाल दिया गया। हम भी सरकार की जानता ही है। हमारे परिवार भी सरकार की जनता ही है। पूर्व नियोजित सूचना के बाद भी हमारे लिए किसी प्रकार के निर्णय नहीं लिए जाने से हम सब मजबूरी वस हड़ताल कर रहे हमें भी अपने जनता की सेवा करने का इच्छा है, पर हम मजबूर है क्योंकि हमारा भी परिवार है। यदि इस कोरोना काल में हमारी मृत्यु हो जाती है तो हमारे परिवार को न हीं नियमित कर्मचारी की तरह कोई अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान है। न हीं हमारे परिवार को पेंशन का प्रावधान है, न हीं हमारे परिवार को बहुत बड़ी राशि मिलने वाली है। विगत 06 महीने में हमारे कई संविदा कर्मचारी अधिकारी चिकित्सक काल के गाल में समा चुके हैं और उनके परिवार को सम्मान के अलावा किसी प्रकार के नियमित कर्मचारी जैसे सुविधा नहीं मिली है। बस इसी कारण हम हड़ताल का रुख अपनाने को को मजबूर हुए हैं। अब तो हमारे बहुत से समाज सेवी संगठनों को भी हमारा समर्थन मिला है और उन्होंने हमारे हड़ताल को जायज बताते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी को हमारी मांग को पूरा करने हेतु आग्रह किया जा रहा है। साथ ही हमें सत्ता पक्ष के भी कई विधायकों का व सांसदों का पूर्ण समर्थन मिल रहा है वे भी हमारे हड़ताल को जायज बताते हुए हमारे मांग को तत्काल पूर्ण किए जाने हेतु माननीय मुख्यमंत्री जी को आग्रह कर रहे हैं। मीडिया साथी भी समझ गयी हैं कि कोरोना काल मे इनकी मांग कितनी ज़रूरी है,। इसके साथ ही कई समाजसेवी संगठन साथ ही कर्मचारी संगठन के द्वारा भी हमें पूर्ण रुप से समर्थन मिल रहा है। हम भी इस सरकार की जानता ही है। हमारे परिवार भी छत्तीसगढ़ की जनता ही है। हमारे परिवार की जान की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है। हम वही मांग रहे हैं जिसको सरकार ने 10 दिन में पूरा करने का वादा किया था। अतः हम सरकार से निवेदन करते हैं कि हमारी मांगों को तत्काल पूर्ण करें। ताकि हम निश्चिंत होकर अपने ड्यूटी पर वापस लौट सकें व पुनः सेवा कर सकें।
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