
राजीव_गुप्ता@कोण्डागांव। कांकेर पुलिस के सामने ही कांग्रेस के पार्षदों द्वारा पत्रकारों से मारपीट किए जाने के मामले को निंदनीय बताते हुए कोण्डागांव जिला के पत्रकारों द्वारा मुख्य मंत्री छग शासन एवं पुलिस महानिदेषक छ.ग. से मांग किया है कि उक्त तरह से मारपीट करने वालों सहित मुकदर्षक बनकर मारपीट किया जाता देखने वाले संबंधित पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों पर भी तत्काल कडी से कडी कार्यवाही किए जाने की मांग की गई है। ज्ञात हो कि 26 सितम्बर 2020 को बस्तर संभाग के जिला मुख्यालय कांकेर जैसे स्थान और वह भी पुलिस थाने के समीप कांकेर के वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला के साथ कांग्रेस के पार्षदों द्वारा मारपीट किए जाने की घटना घटित हुई है और वह भी तब जबकि वे एक अन्य पत्रकार के साथ मारपीट होने के मामले में मारपीट के पीडित पत्रकार का हालचाल जानने के लिए पुलिस थाने में पहुंचे थे। यहां गौरतलब और महत्वपूर्ण बात यह भी है कि पुलिस थाना परिसर के अंदर रहते हुए ही माहौल गर्म होता देखकर पत्रकार कमल शुक्ला द्वारा संबंधित पुलिस अधिकारियों के द्वारा थाना परिसर के अंदर ही रहने देने का आग्रह किया जाता रहा, लेकिन पुलिस द्वारा उन्हें थाना परिसर से बाहर कर दिया गया और जब कांग्रेस के पार्षदों द्वारा वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला के साथ मारपीट किया जाने लगा तो आसपास में पुलिस बल भी नजर आई, लेकिन उन्होंने मारपीट को रोकने का प्रयास नहीं किया, जो पुलिस विभाग जैसे अनुषाषित विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को शोभा नहीं देता और यह जाहिर करने के लिए भी काफी है कि उक्त मारपीट की घटना में पुलिस की भी सहमति रही हो सकती है, जो कि जांच का विषय है। कुल मिलाकर पत्रकार सुरक्षा कानून लाने का दावा करने वाली कांग्रेस के शासनकाल में पत्रकारों पर जिस तरह के हमले हो रहे हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि उक्त हमला पत्रकारों पर नहीं बल्कि सिधे छग शासन पर हो रहा है और उक्त हमला करने वाले भी शासन के यानि कांग्रेसी ही हैं। जिसकी जितनी और कडी से कडी निंदा की जाए कम है। उक्त घटना की कोण्डागांव जिला के समस्त पत्रकारजन कडी निंदा करते हैं।