उर्दू के बहुत बड़े जानकार तथा देश के जाने-माने शायर थे हयात रिजवी
इंग्लैंड तथा यूरोप के देशों में भी लोकप्रिय थी हयात रिजवी की तकनीकी किताबें
कोंडागाँव। जाने माने शायर व अंग्रेजी के विद्वान हयात भाई रिजवी का मंगलवार सुबह सुबह अचानक हृदय गति रुकने से इंतकाल हो गया खबर पर समूचा साहित्य जगत भाव शून्य है, देश के हरदिल अज़ीज़ शायर, हिंदी और उर्दू व अंग्रेजी के बहुत बड़े जानकार, मजहबी एकता के पैरोकार जनाब हयात रिजवी साहब का आज सुबह अचानक हृदय गति रुकने से इंतकाल हो गया है।
आप छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद के कोंडागांव इकाई के संरक्षक और प्रमुख आधार स्तंभ थे। आपके शेर और ग़ज़लें पूरा देश गुनगुनाता रहा है। उर्दू अदब की दुनिया में आपका नाम बड़े अदब के साथ लिया जाता है। आपने इस देश की गंगा जमुनी तहजीब के पौधे को ताउम्र सींचा और परवान चढ़ाया है। आपकी लिखी और हालिया प्रकाशित महत्वपूर्ण किताब मेरा पैगाम मोहब्बत है हिंदू मुस्लिम एकता के लिए एक न केवल एक मील का पत्थर है, बल्कि हमारे देश व समाज की सदियों से कायम बेहद खूबसूरत समावेशी जीवनशैली की बुनियाद और आधारशिलाओं को और मजबूत बनाने वाली बेमिसाल मशाल है। आप जनजातीय सरोकारों की दिल्ली से प्रकाशित होने वाली राष्ट्रीय पत्रिका ‘ककसाड़’ मैं नियमित रूप से लिखते रहे हैं। हाल ही में आपका एक बेबाक साक्षात्कार भी ककसाड़ में प्रकाशित हुआ था, जिसकी पूरे देश में काफी चर्चा हुई थी। आपने कुछ दशक पहले कई तकनीकी पुस्तकें भी लिखीं थी, जो केवल भारत ही नहीं बल्कि यूरोप में भी काफी प्रसिद्ध हुई थी।
आपके शेर और गजलें तो अमर हो ही गई हैं, आपकी लिखी है यह किताब आने वाली सदियों सदियों तक दोनों कौमों को सभी के साथ मिलजुल कर, भाई चारे के साथ रहने का सबक पढ़ाएगी, तथा हमारे रास्ते को रोशन करेगी। हकीकत तो यहीं है कि आपकी जैसी शख्सियतें कभी मरती ही नहीं हैं, हयात साहब आप हमेशा जिंदा रहेंगे हमारे दिलों में। सचमुच अपनी रचनाओं के साथ ही आप भी अमर हो गए हैं।
आप कोंडागांव की अदबी महफिलों की जान थे, कोई भी साहित्यिक गोष्ठी हो,कवि सम्मेलन हो अथवा मुशायरा हो बिना आपकी शिरकत के मुकम्मल हो ही नहीं सकता था। हमें समझ में नहीं आता आपके जाने के बाद आगे यह सब चीजें कैसे चल पाएंगी हकीकत तो यहीं है कि आप की जगह आगे अब कोई नहीं ले सकता, यह एक ऐसी कमी है ,जो अब कभी पूरी नहीं हो पाएगी। मुशायरे तो अब भी होंगे ही, साहित्यिक गोष्ठियां और कवि सम्मेलन भी होंगे, पर अफसोस कि इन सब में, हम सबकी आंखें अपने हरदिल अजीज शायर को ढूंढेंगी पर पाएंगी नहीं। आपका जाना हम सबके लिए अपूरणीय क्षति है।