छत्तीसगढ़

बड़ों का आशीर्वाद अवश्य ले – ज्योतिष कुमार

*बड़ों का आशीर्वाद अवश्य ले – ज्योतिष कुमार*
बड़ों का आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए। बहुत मूल्यवान होता है। बस, आपको थोड़ा सा झुकना पड़ेगा, परंतु लाभ बहुत अधिक होगा।
सभी लोग लाभ की बात सोचते हैं। सोचनी भी चाहिए, इसमें कोई दोष नहीं है। परंतु हर एक व्यक्ति के पूर्व जन्मों के संस्कार अलग-अलग हैं, जिनके कारण उसके विचारों में, सोचने के तरीके में, बुद्धि के निर्णय में बहुत अंतर उत्पन्न हो जाता है। इसलिए सब लोगों का निर्णय प्रायः एक जैसा नहीं होता।
जिस व्यक्ति के संस्कार जैसे होते हैं, उन्हीं के अनुसार उसके विचार और इच्छाएं उसके मन में उत्पन्न होती हैं। और जो उसका बुद्धि का स्तर है, जैसा उसको माता-पिता और गुरुजनों आदि से प्रशिक्षण मिला है, उसके आधार पर उस व्यक्ति के विचार और निर्णय उसी प्रकार से बनते जाते हैं।
सही गलत या हानि लाभ का निर्णय करने की उसकी वैसी ही कसौटियां बनती जाती हैं। फिर वह अपनी उन्हीं कसौटियों के आधार पर, सही गलत हानि लाभ का निर्णय करता है। और उस निर्णय के अनुसार ही वह अपना आचरण व्यवहार करता है।
पुराने समय में जो बुद्धिमान लोग थे, वे इस बात को जानते थे, कि हमारे कार्यों में, यदि हमारे बड़े बुजुर्गों का समर्थन है, सहयोग है, तो इससे हमें बहुत अधिक आनंद होगा।इसलिए वे सदा अपने कार्यों में, अपने बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर उन कार्यों को करते थे। (बड़ों का आशीर्वाद ही उनका समर्थन और सहयोग कहलाता था।)
वे पुराने लोग, बच्चे आदि जब भी घर से बाहर जाते थे, तो माता-पिता का आशीर्वाद लेकर जाते थे , उन्हें बता कर जाते थे, कि हम किस काम के लिए जा रहे हैं। यदि उनका कार्य उचित होता था, तो माता-पिता उनको आशीर्वाद देते थे, यह उनकी ओर से समर्थन होता था। यदि माता-पिता उनके कार्यों से सहमत नहीं होते थे, तो वहीं बता देते थे, कि यह काम ठीक नहीं है , इसे नहीं करना चाहिए। तो बच्चे लोग उस गलत काम को नहीं करते थे, और भविष्य में होने वाली अनेक हानियों से बच जाते थे।
इसी प्रकार से, जब वे घर लौटकर आते थे, तो अपने माता-पिता के पांव छूकर उनका आशीर्वाद लेते थे। उस आशीर्वाद से उनको उनके कार्यों में समर्थन और बहुत उत्साह मिलता था, जिससे उनका आनंद बढ़ता था।
आजकल के लोगों का विचार कुछ इससे भिन्न हो गया है। आजकल के देशी विदेशी लोग अब माता-पिता और गुरुजनों का उतना महत्व नहीं समझते। उनको कोई विशेष बुद्धिमान नहीं मानते। इसलिए उनका आशीर्वाद लेना भी उचित नहीं समझते। बल्कि ठीक ढंग से उनको नमस्ते अभिवादन स्वागत सत्कार सम्मान भी नहीं करते। सारे महत्वपूर्ण निर्णय स्वयं अकेले ही करते हैं। इसलिए जीवन में अनेक अवसरों पर वे असफल हो जाते हैं। जैसे विवाह आदि के क्षेत्र में।
तो हमारा सुझाव यह है, कि घर से बाहर जाते समय, घर लौट कर, और प्रत्येक बड़े कार्य का निर्णय लेते समय, अपने माता-पिता का आशीर्वाद अवश्य लेवें।आपको उनसे बहुत सहायता मिलेगी। बहुत उत्तम सुझाव मिलेंगे। जिसका मूल्य केवल इतना होगा कि – पांव छूकर उनको सम्मान पूर्वक नमस्ते करना। इतने थोड़े मूल्य में आपको लाखों रुपए की, मूल्यवान सलाह मिलेगी, जो आपके लिए अत्यंत हितकारी और सुखदायक होगी। बाजार में लाखों रुपया खर्च करके भी ऐसी हितकारी सलाह मिलना कठिन है।
इसलिए आशीर्वाद के लाभ को समझते हुए अपने बड़ों का, माता-पिता गुरुजनों आदि का, सम्मान करना सीखें। पैर छूकर उनका सदा आशीर्वाद लेवें। आपको लाभ ही लाभ होगा।

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