छत्तीसगढ़

ग्राम पंचायत सचिवों को मवेशियों को गौठान में लाने का आदेश सरकार तत्काल वापस ले।। यशवंत

।। ग्राम पंचायत सचिवों को मवेशियों को गौठान में लाने का आदेश सरकार तत्काल वापस ले।। यशवंत ।।

।। कुंडा न्यूज़ ।।

छत्तीसगढ़ शासन कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रद्योगिकीय विभाग मंत्रालय द्वारा जारी आदेश 20 जुलाई 2020 के तहत गोधन न्याय योजना प्रारंभ किया गया है। जिसमें शहरी, कस्बाई एवं खासकर ग्रामीण इलाकों में गोधन के उचित देखभाल एवं रखरखाव संबंधी बिंदुवार आदेश जारी किया गया है, साथ ही साथ छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत मंत्री टी एस सिंहदेव पंचायत विभाग से भी एक आदेश जारी हुआ है जिसमें पंचायत सचिवों को कस्बाई क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र में बेलगाम घूम रहे पशुओं को रोकाछेका कर सचिवों को गौठान तक लाने की जिम्मेदारी दी गई है, जिसे विधानसभा पंडरिया के भाजपा नेता यशवंत चंद्राकर पंडरिया कबीरधाम ने समाचार पत्र के माध्यम से सरकार के पंचायत विभाग पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह आदेश प्रदेश में कार्यरत लाखों पंचायत सचिवों के हित में नहीं है।
उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार भूपेश बघेल को आड़े हाथों लेते हुए यह भी कहा है कि शासन अपने समस्त कार्य व्यवहार को छत्तीसगढ़िया कार्य व्यवहार के नाम से जो ढिंढोरा पीट रहे हैं उसका यहां पर उन्हीं के द्वारा पालन नहीं करते हुए छत्तीसगढ़िया संस्कृति को तोड़ा जा रहा है। भाजपा नेता यशवंत चंद्राकर ने उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार तभी पूर्ण छत्तीसगढ़िया हैं जब छत्तीसगढ़िया संस्कृति में लगे पलेबढ़े एवं उस संस्कृति का पालन करते हुए अपना जीविकोपार्जन कर रहे हैं उसी के अनुरूप अगर कार्य हो तो सरकार वास्तव में पूर्ण छत्तीसगढ़िया है नहीं तो कहीं ना कहीं सरकार में भी छत्तीसगढ़िया शब्द का इस्तेमाल कर मिलावटी होने का सूचना आ रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए यह भी कहा कि जिस तरह से गांव में एक नाई के कार्य को नाई हीं करें, रावत के कार्य को रावत ही करें, लोहार के कार्य को लोहार ही करें , बरेठ के कार्य को बरेठ ही करें तो सरकार वास्तविक छत्तीसगढ़िया हैं इसी तरह से उन्होंने कहा कि सचिव के कार्य व्यवहार का व्याख्या करने के लिए केवल सचिव शब्द ही काफी है। सचिव और शिक्षक कलम के सिपाही हैं अगर इनके हाथों में डंडा पकड़ा दिया जाए तो निसंदेह यह सरकार के द्वारा लिए गए निर्णय का उचित क्रियान्वयन नहीं है। प्रदेश में कार्यरत लाखों सचिवों के सम्मान में यह ठेस पहुंचाने वाली आदेश है। जिसे सचिवो के हित में नहीं बल्कि शासन अपने आप को पूर्ण छत्तीसगढ़िया साबित करने के लिए भी इस आदेश को वापस लेना ही उचित एवं न्यायसंगत होगा।।

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