छत्तीसगढ़

ग्राम सलना की महिलाओं ने हस्त निर्मित राखियां बना दिखाया अपना हुनर, बिक्री को मिल रहा अच्छा प्रतिसाद

कोण्डागांव। यह जिले के निवासियों के लिये सुखद आश्चर्य होगा कि भाई-बहन के मुख्य त्यौहार रक्षाबंधन के अवसर पर स्थानीय दुकानों में जिले की ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित राखियां बिक्री के लिये दिखेंगीं। आमतौर पर अब तक जिले के बाहर अन्य क्षेत्रों से राखियां स्थानीय बाजारों में बिकती थीं परन्तु जिले के विकासखण्ड विश्रामपुरी अंतर्गत ग्राम पंचायत सलना के कुछ स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा हस्त निर्मित राखियां बनाकर अपनी कलात्मक अभिरूचि का परिचय देने के साथ-साथ इस त्यौहारी सीजन में स्वरोजगार का एक नया साधन तलाशा गया है और निश्चित ही यह स्वागत योग्य है कि स्थानीय बाजारों में स्वनिर्मित राखियों की आपूर्ति करने का सराहनीय प्रयास किया गया है।

महिलाओं ने बनाया फैंसी एवं ईको फ्रेंडली राखियां

सबसे बड़ी बात तो यह है कि इन ग्रामीण महिलाओं ने गूगल नेट और यूट्यूब जैसे आधुनिक संचार साधनों में डिजाईन देखा और स्थानीय वस्तुओं का इस्तेमाल कर सुंदर और आकर्षक राखियों का निर्माण किया गया और तो और इन महिलाओं द्वारा निर्मित राखियों की मार्केटिंग को भी अच्छा प्रतिसाद मिला है एवं स्थानीय दुकानदारों ने भी इन राखियों की खरीदी में खासी दिलचस्पी दिखाई है। इस क्रम में ग्राम पंचायत सलना कलस्टर के तहत् जागरण स्व-सहायता समूह, कृष्णा स्व.सहा.स., बमलेश्वरी स्व.सहा.स., दन्तेश्वरी स्व.सहा.स., लक्ष्मी स्व.सहा.स., गुलाब स्व.सहा.स. की महिलाओं ने हस्त निर्मित राखियों का बीड़ा उठाया है। दन्तेश्वरी स्व.सहा.स. की महिला सदस्य श्रीमती प्रीति सोनी एवं देवन्ती नेताम बताती हैं कि जनपद पंचायत विश्रामपुरी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने हमें राखी बनाने हेतु सर्वप्रथम प्रोत्साहित किया। इसके बाद कुल 10 स्व.सहा.स. ने राखी निर्माण करने में रूचि दिखाई और अब स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्रियों से भी राखियां बनाई जा रहीं है। यहां तक की परिष्कृत गोबर जैसे उत्पाद एवं छींद पेड़ के पत्तों से भी इको फ्रेंडली राखी बनाये गये हैं। इस प्रकार उनके पास अभी पांच रूपये से लेकर 35 रूपये तक की राखियां उपलब्ध है और समूहों द्वारा 3000 राखी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। उक्त सदस्य महिलाओं ने आगे बताया कि अब तो स्थानीय दुकानदार भी समूहों से राखी खरीदने के लिये उनके पास पहुंचने लगे हैं। इस संबंध में ग्राम की ही एक स्थानीय दुकानदार लक्ष्मी सेठिया ने बताया कि की हर साल बाहर से राखी आने पर इस सीजन में राखी का व्यापार भली-भांति हो जाता था लेकिन इस वर्ष कोविड-19 के कारण लाॅकडाउन होने से उन्हें उम्मीद नहीं थी कि राखी का व्यापार अच्छे से हो पायेगा। लेकिन जब उन्हें पता चला कि जब गांव की महिलाएं ही अपने हुनर से राखी बना रहीं है तब कुछ उम्मीद जगी और अब उनके अलावा अन्य विकासखण्ड के कई दुकानदार भी यहीं से राखी खरीदकर बाजारों में बेच रहे हैं। महिलाओं से चर्चा करने पर यह भी पता चला कि ग्राम सलना कलस्टर में कुल 50 समूह है और ये सभी महिला स्व.सहा.स. राखी निर्माण के अलावा मास्क सिलाई, ट्री-गार्ड निर्माण, मुर्गी बकरी पालन, मशरूम उत्पादन, दोना पत्तल, महुआ लड्डू निर्माण जैसी विभिन्न रोजगार परक गतिविधियों में जुटी हुई हैं और इससे सभी की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक सुधार भी आया है।

आत्मनिर्भरता से जीवन में आया बदलाव

गुलाब स्व.सहा.स. की महिलाएं बताती है कि समूह से जुड़ने से पहले उनके रोजमर्रा की जिंदगी में खेती किसानी एवं मजदूरी के अलावा और कोई विकल्प नहीं था न ही आजीविका के अन्य साधन थे और न ही सरकारी योजना का लाभ मिलता था परन्तु छ0ग0 राज्य आजीविका मिशन बिहान के माध्यम से उनके आर्थिक एवं सामाजिक जीवन में बदलाव आया और सभी समूहों की महिलाओं द्वारा आज आत्मनिर्भर बनके समाज एवं परिवार में एक नई पहचान बनाई गई है। इसके साथ ही समूहों से जुड़ने से एक लाभ यह हुआ कि सभी महिलाएं एक दूसरे की आवश्यकताओं एवं समस्याओं के बारे में खुल कर चर्चा करती हैं साथ ही नई सरकारी योजनाओं से जुड़ने का भी अवसर मिलता है। कुल मिलाकर यही निष्कर्ष निकलता है कि इस बार राखी पर्व पर बंधने वाली राखियों में बस्तर की मिट्टी की महक होगी साथ ही यह हम सभी का कर्तव्य है कि इस वर्ष राखी के अवसर पर इन ग्रामीण महिलाओं द्वार निर्मित राखियों की ही खरीदी करें ताकि न केवल उन्हें आर्थिक प्रोत्साहन मिले बल्कि उनकी आत्मनिर्भरता का भी सम्मान हो।

राजीव गुप्ता

Rajeev kumar Gupta District beuro had Dist- Kondagaon Mobile.. 9425598008

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