शिक्षा मंत्री टेकाम का नया फरमान आरटीई कानून का उल्लघंन
सरकारी स्कूलों के छात्रों से पढाई के मामले में सरकार क्यों कर रही है भेदभाव ?
सरकारी स्कूलों में लाउड स्पीकर और निजी विद्यालयों में वच्र्यूयल क्लासेस के माध्यम से पढाई क्यों
दुर्ग। छत्तीसगढ़ के शासकीय हिन्दी माध्यम स्कूलों में अब लाऊड स्पीकर से होगी पढ़ाई, जिसके लिए स्वयं शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम ने आदेश जारी कर इसकी शुरूआत बस्तर के स्कूलों में कर दिया है,लेकिन मंत्री के इस आदेश का विरोध भी आरंभ हो गया है। छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने इस नए फरमान को आरटीई कानून का उल्लघंन बताते हुए अपत्ति जताई है।
पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शासकीय उत्कृष्ट अंग्रेजी मिडियम स्कूलों में अत्याधुनिक तरीके यानि वर्चुवल क्लासेस से माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाएगा, वहीं दूसरी ओर शासकीय हिन्दी माध्यम स्कूलों में लाऊड स्पीकरों के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाएगा ये कहां कि इंसाफी है।
श्री पॉल का कहना है कि शासकीय उत्कृष्ट अंग्रेजी मिडियम स्कूलों में टीचरों को अत्याधुनिक तरीके यानि वर्चुवल क्लासेस के माध्यम से पढ़ाने के लिए विशेष ट्रेनिंग दिया जाएगा। वहीं शासकीय हिन्दी माध्यम स्कूलों में शिक्षकों को लाऊड स्पीकर दिया जाएगा। हिन्दी माध्यम, अंग्रेजी मिडियम, गांव के बच्चे, शहर के बच्चे, अमीर का बच्चा, गरीब का बच्चा, लड़का-लड़की, एक के लिए मॉडन टेक्नॉलजी तो दूसरे के लिए लाऊड स्पीकर, ऐसी भेदभावपूर्ण शिक्षा का छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन घोर विरोध करता है।
श्री पॉल ने बताया कि शिक्षा का अधिकार कानून (व्याख्या) का लक्ष्य यह है कि हर बच्चे को जो भारत का नागरिक है, उसको अमीर या गरीब सबको समान, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने का अधिकार है और शिक्षा मंत्री का नया फरमान आरटीई कानून का भी उल्लघंन है। छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने छत्तीसगढ़ के शिक्षा मंत्री आग्रह किया है कि वे अपने इस नए फरमान को वापस ले अन्यथा एसोसियेशन पूरे प्रदेश में इस नीति का खुलकर विरोध करेगा, जिसके लिए शिक्षा मंत्री स्वयं जिम्मेदार होगें।