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सीएमओ ने की परिषद की अवहेलना, परिषद में निरस्त कार्य को नहीं हटाया गया निविदा से

सीएमओ ने की परिषद की अवहेलना, परिषद में निरस्त कार्य को नहीं हटाया गया निविदा से देवेन्द्र गोरले-16

डोंगरगढ- जैसा कि हमनें अपने पाठकों को पार्ट 1 से पार्ट 15 तक पूर्व में अवगत कराया है कि किस तरह नगर पालिका परिषद डोंगरगढ में मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने नगर पालिका अधिनियम को ताक में रखकर लगातार अपनी मनमानी की है जिसका एक और उदाहरण आपके सामने पार्ट-16 के माध्यम से प्रस्तुत कर रहे हैं जिसमें उन्होंने सीधे-सीधे परिषद की अवहेलना कर दी है।

मामला यह है कि 25 जून को हमारे द्वारा पार्ट 1 में बताया गया था कि बिना किसी प्रस्ताव के सीएमओ हॉउस में नाली निर्माण किया जा रहा है जिसके बाद आनन फानन में 27 जून को बेक डेट में यानी 25 जून की तारीख में 9 निर्माण कार्यो की निविदा निकाल दी गई जिसमें इस नियम विपरीत नाली निर्माण कार्य को भी शामिल कर दिया गया साथ ही इसी निविदा में नेहरू कॉलेज, हाई स्कूल व सरकारी अस्पताल के सामने दुकान निर्माण भी शामिल हैं जबकि 2 जुलाई तक इस कार्य को पीआईसी में भी मंजूरी नहीं मिली थी और 14 जुलाई तक परिषद में। 14 जुलाई को नगर पालिका भवन में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में विपक्ष की ओर से राजेश गजभिए को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया और मुख्य नगर पालिका अधिकारी की उपस्थिति में बैठक संपन्न हुई। बैठक में कुल 27 विषयों को शामिल किया गया था जिसके विषय क्रमांक 22 में नेहरू कॉलेज, हाईस्कूल, मंदिर के सामने व सरकारी अस्पताल के सामने दुकान निर्माण का उल्लेख किया गया है जिस पर परिषद ने निर्णय लिया कि सरकारी अस्पताल के सामने दुकान निर्माण को छोड़कर अन्य स्थानों पर दुकान निर्माण को स्वीकृति प्रदान की गई जिसका उल्लेख प्रोसिडिंग में भी किया गया है लेकिन इसके बावजूद मुख्य नगर पालिका अधिकारी हेमशंकर देशलहरा के द्वारा सीएमओ हॉउस में नाली निर्माण कार्य को निविदा से हटाया गया जबकि यह कार्य बिना टैंडर के पूर्ण हो चुका है लेकिन जो कार्य अभी हुआ भी नहीं है और परिषद ने जिसे निरस्त कर दिया है उस कार्य को निविदा से नहीं हटाया गया जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि सीएमओ देशलहरा स्वंम को परिषद से ऊपर मानते हैं इसलिए बड़ी आसानी से उन्होंने परिषद की अवहेलना कर दी।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिस सरकारी अस्पताल के सामने दुकान निर्माण को निविदा में शामिल किया गया है वह औचित्यहीन है क्योंकि जिस जगह पर दुकान निर्माण करने की योजना बनाई गई है वहां नगर पालिका की जगह है ही नहीं वह जगह स्वास्थ्य विभाग की है फिर ऐसे में इस निविदा का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता है लेकिन सीएमओ की महिमा अपरम्पार है क्योंकि बिग बॉस कह दे तो दिन में भी रात है। सीएमओ की हरकत को देखकर तो ऐसा लगता है कि यह स्वंम को परिषद से बड़ा मानते हैं और यह सब क्षेत्र के विधायक की देन हैं जो यह कहते फिर रहे थे कि आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है मैं हूँ मेरे रहते आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता मेरे रहते आपको 6 महीना कोई नहीं हिला सकता ऐसी खबर सूत्रों से प्राप्त हो रही है। सूत्रों ने यह भी बताया कि 9 जुलाई को आयोजित परिषद की बैठक को निरस्त करने में विधायक की अहम भूमिका थी और बैठक निरस्त करने के बाद नगर पालिका के अधिकारी व कर्मचारी बैठक लेकर उन्हें सख्त हिदायत दी गई थी कि किसी के भी टेबल पर पत्रकार या ठेकेदार बैठा दिखाई नही देगा जिसके टेबल यह लोग बैठे दिखाई देंगे लेकिन इसके बावजूद ठेकेदार श्याम अग्रवाल का नगर पालिका में बारहो घँटे सीएमओ व अध्यक्ष के रूम में देखा जा सकता है और रही बात पत्रकारों की तो पत्रकार वो स्वतंत्र एंजेसी है जिसे किसी का प्रतिबंध नही है तो फिर विधायक महोदय आखिर क्यों इस स्वतन्त्र एंजेसी पर अंकुश लगाना चाहते हैं आखिर वे नगर पालिका में ऐसा क्या करना चाहते हैं जो वो पत्रकारों से छुपाना चाहते हैं। इस बात को वो अच्छी तरह जान रहे हैं कि उनकर चहेते सीएमओ ने परिषद की खुलेआम अवहेलना की है उसके बावजूद वे उसे बचाने में लगे हुए हैं जिससे यह प्रतीत होता है कि उन्हें जनता के हित से उन्हें कोई लेना देना नहीं है यदि ऐसा है तो नगर पालिका चुनाव बंद कर देना

 

 

चाहिए और केवल विधानसभा चुनाव करवाना चाहिए और विधानसभा के साथ साथ नगरीय क्षेत्र के सारे अधिकार भी विधायक को दे देना चाहिए जब एक सीएमओ के आगे परिषद बौनी नजर आने लगी तो परिषद को भंग कर देना चाहिए केवल अपने विधायक को खुश करने के लिए सीएमओ परिषद को भी दांव पर लगा दे तो ऐसी परिषद का क्या महत्व इससे अच्छा तो पार्षद चुनाव बंद ही कर देना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा- इस सम्बंध में जब हमने नेता प्रतिपक्ष अमित छाबड़ा से बातचीत की और पूछा कि जब परिषद में उक्त कार्य को निरस्त कर दिया गया था तो फिर टैंडर से निरस्त क्यों नहीं किया गया तो उन्होंने बताया कि 14 जुलाई को कार्यकारी अध्यक्ष राजेश गजभिए की अध्यक्षता में आयोजित परिषद की बैठक में सरकारी अस्पताल के सामने दुकान निर्माण को निरस्त कर दिया गया था और मुख्य नगर पालिका अधिकारी को उक्त कार्य को टैंडर से निरस्त करने की बात भी कही गई थी लेकिन उसके बाद भी उक्त कार्य को निरस्त नहीं किया गया है तो यह सीधे-सीधे परिषद की अवहेलना है जबकि टैंडर फार्म 17 जुलाई से दिए जाने थे और तीन दिन में उक्त कार्य को निरस्त किया जा सकता था किन्तु ऐसा ना करके उन्होंने परिषद की गरिमा को धूमिल किया है।

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