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राजनीतिक दबाव के चलते सीएमओ के खिलाफ नहीं हुई एफआईआर दर्ज

राजनीतिक दबाव के चलते सीएमओ के खिलाफ नहीं हुई एफआईआर दर्ज देवेन्द्र गोरले-पार्ट – 15

डोंगरगढ- धर्मनगरी के नाम से विख्यात डोंगरगढ़ की नगर पालिका परिषद इन दिनों केवल एक अधिकारी के कारण युद्ध का मैदान बनकर रह गई है, हैरानी की बात तो यह है कि इस युद्ध में कर्ण की तरह जनता द्वारा चुने गए विधायक भी दुर्योधन जैसे भ्रष्ट अधिकारी का साथ दे रहे हैं

 

 

और उसे बचाने में लगे हुए हैं जबकि वे भी अच्छी तरह जानते हैं कि अधिकारी किस तरह नियम विपरीत कार्य कर रहा है उसके बावजूद केवल अपनी प्रतिष्ठा को बनाये रखने के लिए उसका साथ दे रहे हैं।
घटना 21 जुलाई की शाम की है जब टैंडर फार्म नहीं मिलने से नाराज ठेकेदार विजय अग्रवाल ने नगर पालिका भवन में ही दीवारों से अपना सर टकरा लिया और बेहोश हो गए किसी तरह उन्हें होश में लाया गया और होश में आने के बाद मीडिया के सामने उन्होंने जो खुलासे किए उससे मुख्य नगर पालिका अधिकारी और स्थानीय सत्तासीन नेताओं के चेहरे बेनकाब कर दिए लेकिन माहौल बिगड़ता देख सीएमओ हेमशंकर देशलहरा व इंजीनियर विजय मेहरा दोनों को कंट्रोल रूम विधायक निवास बुला लिया गया इधर ठेकेदार विजय अग्रवाल के साथ अन्य ठेकेदारों ने नायब तहसीलदार को नियम विपरीत हो रहे टैंडर को निरस्त करने के लिए ज्ञापन सौंपा तत्पश्चात वे विधायक निवास भी गए और विधायक को इस समस्या से अवगत कराना चाहा लेकिन इसी दौरान विधायक ने मीडिया कर्मियों से बदसलूकी की जिससे नाराज ठेकेदारों ने विधायक से कोई बातचीत नहीं की और बेरंग लौट गए किन्तु ठेकेदार विजय अग्रवाल सीएमओ के बाहर आने का इंतजार करते रहे और बाहर आने पर उनसे टैंडर फार्म नहीं देने का कारण पूछा साथ ही टैंडर फार्म के बदले पैसे की मांग करने पर उन्हें खरी खोटी सुनाई जिसके बाद सीएमओ कुछ कांग्रेसी पार्षदों के साथ ठेकेदार विजय अग्रवाल व उनके साथी आशीष अग्रवाल के खिलाफ थाने में जातिगत गाली देने को लेकर एफआईआर दर्ज कराने पहुंच गए जहां पर उनकी एफआईआर बकायदा दर्ज की गई लेकिन ठेकेदारों के द्वारा सीएमओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग पर पुलिस ने आवेदन लेने की बात कही एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया जिससे ठेकेदारों में रोष व्याप्त है।
ठेकेदार विजय अग्रवाल, आशीष अग्रवाल एवं नेता प्रतिपक्ष अमित छाबड़ा ने कहा कि राजनीतिक दबाव के चलते हमारी एफआईआर दर्ज नहीं की गई जबकि जातिगत गाली देने का आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि यह सीएमओ जहां भी पदस्थ रहे हैं वहां पर इनका विवादों से नाता रहा है। इनके द्वारा किसी ना किसी के खिलाफ जातिगत गाली देने के नाम पर एफआईआर दर्ज करवाई गई है क्या हर जगह इन्हें लोग जातिगत गाली देते रहते हैं यदि देते हैं तो ये ऐसा कौन सा कार्य करते हैं कि लोग इन्हें गाली देने पर मजबूर हो जाते हैं कहीं ना कहीं इनकी कार्यप्रणाली ही ऐसी होगी क्योंकि जिस तरह ये डोंगरगढ में आते ही नियम विपरीत कार्य करने लगे इसी तरह अन्य स्थानों पर भी किया होगा। उन्होंने कहा कि इनके द्वारा कुछ दिन पूर्व ही महिला पत्रकार के साथ अभद्र व्यवहार किया गया था उन्हें गंदे इशारे किये गए थे लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते अब तक इन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। अमित छाबड़ा ने बताया कि संपूर्ण घटना से जिले के सांसद संतोष पांडे को अवगत करा दिया गया है और उन्होंने उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया है।

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