परिषद की बैठक में नहीं बरती गई पारदर्शिता, मीडिया से बनाई गई दूरी, बैठक निरस्त अब 14 को

परिषद की बैठक में नहीं बरती गई पारदर्शिता, मीडिया से बनाई गई दूरी, बैठक निरस्त अब 14 को
डोंगरगढ- जैसा कि आप सभी पाठक को ज्ञात है कि हमनें अपने समाचार के माध्यम से पार्ट 1 से पार्ट 10 तक नगर पालिका के नये सीएमओ
हेमशंकर देशलहरा के काले कारनामों के साथ-साथ अन्य स्थानों पर पदस्थ रहते हुए वित्तीय अनियमितता, कार्य में लापरवाही व अधिकारियों के आदेश की अवहेलना से अवगत कराते हुए सच से उजागर किया जा रहा है जिसे देखते हुए अधिकारी घबरा गए हैं जिसका प्रमाण आज परिषद की बैठक में देखने को मिला। जब बैठक के दौरान एक पत्रकार समाचार संकलन के लिए पहुंचे तो बैठक का सारांश बाद में बताने की बात कहते हुए दूरी बनाने की बात कही गई और उन्हें फोटो भी खिंचने नही दी गई।
जानकारी के अनुसार राज्यसभा व लोकसभा जैसे संसद की बैठक भी मीडिया के सामने पारदर्शिता के साथ होती हैं लेकिन डोंगरगढ नगर पालिका परिषद की सामान्य सम्मिलन की बैठक में मीडिया से दूरी कई तरह के सवाल खड़े कर रही है कि आखिर परिषद की बैठक जनता के हित के लिए की जा रही थी या ठेकेदारों व अधिकारियों के हित के लिए जबकि इसके पूर्व किसी भी परिषद की बैठक में मीडिया से दूरी नहीं बनाई गई। लगभग एक सप्ताह से लगातार समाचार के माध्यम से नगर पालिका में हो रहे भ्रष्टाचार से जनता के साथ साथ जनप्रतिनिधियों को भी अवगत कराया जा रहा है जिससे विधायक भुनेश्वर बघेल भी अनजान नहीं है उसके बावजूद अधिकारी पर कार्यवाही तो दूर बल्कि उसका बचाव करते हुए नजर आए।
8 माह बाद हुई परिषद की बैठक हुई निरस्त- सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार आज आयोजित बैठक के पूर्व नवंबर 2019 को परिषद की बैठक आयोजित की गई थी जो कार्यवाहक अध्यक्ष की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी, इसके बाद आचार संहिता लागू हो गई, फिर कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के कारण सभी बैठके निरस्त कर दी गई और 18 जून को जारी शिथिलीकरण के आदेश के बाद लगभग 9 माह के बाद परिषद की बैठक आयोजित की गई थी लेकिन वह भी बिना स्टीमेट व लागत के एजेंडे के कारण निरस्त कर दी गई और 14 जुलाई को पुनः बैठक आहूत की गई हैं।
26 विषयों के एजेंडे में एक की भी लागत नहीं- आज आयोजित की गई बैठक में कुल 26 विषयों को शामिल किया गया था लेकिन एक भी विषय में इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है कि निर्माण कार्य के लिए राशि की मांग किससे की जा रही हैं और उक्त निर्माण कार्य की लागत कितनी है। शायद इसलिए बैठक से पत्रकारों से दूरी बनाई जा रही थी ताकि जनप्रतिनिधियों को अंधेरे में रखकर सारे विषयों पर सहमति ली जा सके लेकिन जनप्रतिनिधियों ने जागरूकता परिचय देते हुए बैठक को निरस्त करने की मांग की गई जिस पर विधायक ने सहमति प्रदान करते हुए बैठक निरस्त कर दी गई है।
विधायक बरसे तो सीएमओ ने बड़े बाबू पर फोड़ा ठीकरा- कल परिषद की बैठक बिना स्टीमेट व लागत के प्रस्तुत किये गए एजेंडे पर विधायक भुनेश्वर बघेल ने नगर पालिका अधिकारी कर्मचारी की क्लास लेते हुए सीएमओ पर बरसे तो सीएमओ हेमशंकर देशलहरा ने बड़ी चतुराई से पूरा ठीकरा बड़े बाबू पर फोड़ दिया। जबकि बड़े बाबू या कम्प्यूटर ऑपरेटर द्वारा वही एजेंडा बनाया गया था जो इंजीनियर द्वारा उन्हें बनाने दिया गया था इसके बाद भी पूरा एजेंडा तैयार होने के बाद जिस वक्त सीएमओ को समीक्षा के लिए दिया जाता है उस वक्त सीएमओ का दायित्व होता है उसे अच्छे से आंकलन करें और उसके बाद हस्ताक्षर करें उसके बाद ही एजेंडा पार्षदों को भेजा जाता है लेकिन सीएमओ ने ऐसा नहीं किया और आंख मूंदकर हस्ताक्षर कर दिए। जबकि सूत्र बताते हैं कि सीएमओ हेमशंकर देशलहरा कानून की पढ़ाई कर चुके हैं और इनकी प्रथम नियुक्ति भी सीधे सीएमओ के पद पर हुई थी आज इनकी नियुक्ति को लगभग 30 वर्ष से ऊपर का समय बीत चुका है लेकिन उसके बाद भी इन्हें यह ज्ञान नहीं आया कि परिषद का एजेंडा किस तरह तैयार करवाया जाता है लेकिन अपनी व इंजीनियर की नाकामी को छुपाने के लिए इन्होंने बड़ी ही सफाई से बड़े बाबू व कम्प्यूटर ऑपरेटर के ऊपर ठीकरा फोड़ दिया। वाह रे भगवान तेरी लीला विधायक ने किया टाईट तो सीएमओ ने बड़े बाबू को कर दिया ढीला
नये पुल की जगह कर दी पुराने पुल की मरम्मत- आज आयोजित परिषद की बैठक के लिए बनाए गए एजेंडे में क्रमांक 4 में शामिल विषय वार्ड नं 13 परमारबाड़ा रेलवे स्टेशन रोड का जर्जर पुल निर्माण उपरांत शेष बची राशि 24 लाख रुपये से वार्ड क्रमांक 13 व वार्ड क्रमांक 11 में नवीन कार्य कराये जाने हेतु स्वीकृति जबकि ठेकेदार के द्वारा जर्जर पुल को तोड़कर नया पुल निर्माण ना कर जर्जर पुल को ही मरम्मत कर रंगरोगन कर दिया गया है।
बिना प्रस्ताव के निकाल दिया टैंडर- इसी तरह विषय क्रमांक 25 में नेहरू कॉलेज, सरकारी अस्पताल के सामने एवं हाई स्कूल के सामने दुकान निर्माण को शामिल किया गया था जबकि इस कार्य को अब तक परिषद की स्वीकृति नहीं मिली है क्योंकि आज बैठक निरस्त हो गई जो 14 जुलाई को आयोजित होगी। अब सवाल यह उठता है कि जब अभी इस विषय पर परिषद ने कोई विचार नहीं किया है और ना ही कोई निर्णय लिया है तो फिर किसके इशारे पर और किसके कहने पर निविदा बुलाई गई। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस विषय पर परिषद की सहमति भी नहीं बन सकती और ना ही निर्णय लिया जा सकता है क्योंकि पहले से जो व्यवसायिक परिसर बने हुए हैं उनका पांच साल से अधिक समय बीतने के बाद भी आज तक उनका आबंटन नहीं हो पाया तो नई दुकानों के निर्माण का क्या औचित्य है।