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सीएमओ का लंच शाम 5 बजे के बाद होता है खत्म, साढ़े 11 बजे आते हैं दफ्तर, नहीं करते हैं फिल्ड

सीएमओ का लंच शाम 5 बजे के बाद होता है खत्म, साढ़े 11 बजे आते हैं दफ्तर, नहीं करते हैं फिल्ड

 

डोंगरगढ़_ धर्मनगरी के नाम से विख्यात छत्तीसगढ़ की आराध्य नगरी डोंगरगढ़ नगर पालिका के इतिहास में शायद ही कोई ऐसा सीएमओ आया होगा जिसका दफ्तर आने का समय सुबह साढ़े 11 बजे से 12 बजे के बीच रहा हो और लंच में जाने का समय डेढ़ बजे लेकिन लंच से आने का समय बजे 5 बजे के बाद।

 

 


हम अपने पाठकों को आज ऐसे अनोखे सीएमओ के बारे में बताते हैं जो अपने कार्यक्षेत्र को गार्डन समझकर मनमर्जी से घुमने फिरने आ जाते है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में नगर पालिका में पदस्थ सीएमओ हेमशंकर देशलहरा जो नगर पालिका में सुबह साढ़े 11 बजे से 12 बजे के बीच में दफ्तर आते हैं मुश्किल से डेढ़ से दो घंटा दफ्तर में बैठते हैं और

 

दोपहर डेढ़ बजे लंच के लिए चले जाते हैं अब लंच करके वो सीधा शाम 5 बजे के बाद नगर पालिका आते हैं लेकिन क्यूं आते हैं यह समझ से परे है क्योकि शाम साढ़े पांच बजे कार्यालयीन समय तो समाप्त हो जाता है फिर कार्यालयीन समय के बाद वो कौन सा काम करने आते हैं। यह सिलसिला वो जब से यहां पदस्थ हुए हैं तब से जारी है। सूत्रों की माने तो शाम बजे के बाद वे लेखापाल के रूम में पाए जाते हैं यानी जहां पर दिन भर के आय व्यय का लेखा जोखा होता है जो यह बताने के लिए काफी है कि वे शाम को क्यों आते हैं।

नहीं करते है फिल्ड_ इसके पूर्व जो भी सी एम ओ यहां पदस्थ हुए वे दो चार दिन में, हफ़्ते में या पंद्रह दिन में नगर की समस्याओं को लेकर भ्रमण कर लेते थे और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास करते थे लेकिन सीएमओ देशलहरा को यहां पदस्थ हुए दो माह से अधिक समय बीत चुका है लेकिन आज तक देखने में तो क्या सुनने में भी नहीं आया कि आज मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने नगर के किसी वार्ड का भ्रमण किया या वार्डवासियों की समस्या से रूबरू हुए। वहीं अगर बात करें पूर्व सीएमओ की तो फिर चाहे वह सुभाष दीक्षित हो या फिर आशीष तिवारी ने अपने कार्यकाल में नगर भ्रमण कर वार्डवासियों की समस्या से रूबरू हुए और कई समस्याओं का त्वरित निराकरण भी किया, लेकिन सीएमओ देशलहर को डोंगरगढ़ की जनता की समस्याओं से कोई लेना देना ही नहीं है इसलिए वे अपने निवास और दफ्तर से बाहर निकलकर फिल्ड करना मुनासिब ही नहीं समझते, सूत्र बताते हैं कि दफ्तर में बैठने के दौरान भी वे अपने ही विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ षड्यंत्र करने में लगे रहते हैं तो फिल्ड करने का समय कहां मिलेगा।

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