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भ्रष्टाचार पर अधिकारी मौन, कार्यवाही तो दूर अब तक जांच भी नहीं 

भ्रष्टाचार पर अधिकारी मौन, कार्यवाही तो दूर अब तक जांच भी नहीं 

डोंगरगढ़- ज्ञात हो कि बीते दिनों हमनें पाठकों को नगर पालिका परिषद डोंगरगढ़ में मुख्य नगर पालिका अधिकारी, इंजीनियर व ठेकेदार की मिलीभगत से बिना प्रस्ताव व टैंडर के सीएमओ निवास(अतिथि गृह) में किये जा रहे नाली निर्माण कार्य,रंगरोगन व एसी लगवाने से अवगत कराया था जिसके बाद नगर पालिका प्रशासन तत्काल हरकत में आया और आनन फानन में 25 जून की तारीख में पंजीकृत ठेकेदारों से बंद लिफाफे में निविदा बुलाई गई। इस खबर से ना सिर्फ एसडीएम अविनाश भोई बल्कि कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा भी भलीभांति अवगत है उसके बावजूद अब तक दोषी अधिकारी, इंजीनियर व ठेकेदार पर कार्यवाही तो दूर अब तक इस मामले में जांच भी प्रारंभ नहीं की गई जिससे यह प्रतीत होता है कि कहीं ना कहीं इस भ्रष्टाचार में इन सबकी भी मौन स्वीकृति प्राप्त थी जिसके चलते दोषी भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं जबकि उक्त ठेकेदार ने ऐसे एक नहीं लगभग आधा दर्जन कार्य बिना प्रस्ताव व टैंडर के संपादित किये हैं।

सीएमओ व अध्यक्ष ने कुछ भी कहने से इंकार- इधर इस सम्बंध में जब मुख्य नगर पालिका अधिकारी से जानकारी लेने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार किया वहीं नगर पालिका अध्यक्ष सुदेश मेश्राम से इस संबंध में उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने ने भी कुछ भी कहने से मना कर दिया गया जो कहीं ना कहीं इस बात को दर्शाता है कि इस नियम विरुद्ध कार्य में इनकी भी मौन स्वीकृति ठेकेदार को प्राप्त थी जिसके बल पर ही ठेकेदार ने कार्य प्रारंभ किया। वहीं एक समाचार पत्र को अपना वर्षण देते हुए कहा कि उन्हें इस कार्य के सम्बंध में कोई जानकारी नहीं है जो यह सवाल खड़ा करता है कि उनके क्वाटर के सामने इतनी बड़ी नाली का निर्माण हो रहा है और उन्हें जानकारी ही नहीं कि वह नाली कौन बना रहा है और किस मद से बना रहा है इसके बाद भी यह कार्य पीआईसी के एजेंडे में शामिल हो जाता है और मुख्य नगर पालिका अधिकारी इसमें हस्ताक्षर करके निविदा भी निकाल देते हैं जो समझ से परे है। सूत्रो की माने तो नगर पालिका द्वारा निविदा में स्पष्ट उल्लेख है कि पंजीकृत ठेकेदार ही निविदा प्रकिया में भाग ले सकते हैं लेकिन जिस ठेकेदार ने सीएमओ निवास में नाली निर्माण का कार्य किया है वह अब तक नगर पालिका की पंजीकृत ठेकेदारों की सूची में शामिल नहीं है और सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि जब अभी तक टैंडर ही नहीं खुला है तो यह कैसे तय हुआ कि नाली निर्माण का कार्य श्याम अग्रवाल(भूत) को ही मिलेगा जिसके आधार पर उन्होंने कार्य प्रारंभ कर दिया हालांकि खबर के बाद निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई है।

 

 


सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पीआईसी के कुछ मेम्बरों को तो सीएमओ निवास में बन रही आरसीसी नाली निर्माण की

 

 

जानकारी भी नहीं है और प्रस्ताव पास हो गया तथा निविदा भी निकाल दी गई जिससे यह प्रतीत होता है कि पूर्व के अन्य कार्यों में इस कार्य को शामिल कर इस नियम विरुद्ध कार्य को नियम के अंदर लाकर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है यदि इन सभी कार्यों की सूक्ष्मता से जांच की जाये तो वास्तविकता सामने आ सकती है।

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