छत्तीसगढ़

दुनिया के टॉप 50 प्रदूषित शहरों की सूची से रायपुर बाहर, अब यहां आबोहवा ठीक है

सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़ रायपुर- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक रायपुर दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित 50 शहरों की सूची से बाहर हो गया है। साल 2012 में रायपुर तीसरे पायदान पर था। इसके बाद से प्रदूषण नियंत्रण पर तेजी से काम हुआ और आज स्थिति बहुत बेहतर है। आबोहवा शुद्ध है। जबकि मौजूदा रिपोर्ट कहती है कि टॉप 10 में भारत के छह शहर हैं जबकि टॉप 30 में 22 शहर। रायपुर की स्थिति में सुधार के की वजह आवास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा उद्योंगों के प्रदूषण पर सख्ती से नियंत्रण रही। इसके अलावा नगर निगम, रायपुर स्मार्ट सिटी द्वारा किए गए कार्यों और कुछ ठोस निर्णयों के साथ जनता में आई जागरूकता की भी प्रदूषण मुक्त शहर बनाने में अहम भूमिका रही।

दुनिया के तीन हजार शहरों में यह सर्वे हुआ है। ‘नईदुनिया’ पड़ताल में सामने आया कि रोलिंग मिलों में कन्टिन्यूअस ऑनलाइन स्टेक मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए गए, प्रमुख उद्योगों में ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए गए। पूरे रायपुर को ग्रिड में बांटकर मॉनिटरिंग की जा रही है। उद्योगों नियम तोड़ते हैं तो सख्त कार्रवाई भी हो रही है। पीएम10, पीएम 2.5 नियंत्रित हैं।

पर्यावरण प्रदूषण की वर्तमान स्थिति 25 फरवरी से 3 मार्च तक-

2.5 पीएम (फाइन पर्टिकुलेट मैटर)- वार्षिक औसत वर्ष 2016 में 37.13 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जो वर्ष 2017 में 33.55 रहा है। 2019 में यह मार्च तक औसत 31.15 दर्ज किया गया।

पीएम10- हवा में मौजूद महीन कणों को रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर यानी आरएसपीएम या पीएम कहते हैं। इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर होता है। पीएम10 का औसत 73.303 रहा है, जो अच्छा है।

 

प्रदूषण की बड़ी वजह थी उद्योग, इन पर हुई सख्ती-

उरला, सांकरा, गोगांव, सोनडोंगरी, सिलतरा और मंदिरहसौद पूरा औद्योगिक इलाका है। सबसे पहले एक-एक उद्योगों में जाकर प्रदूषण का स्तर मापा गया। उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए लगाई गई डिवाइज की जांच की गई। 17 प्रकार के अति प्रदूषणकारी 140 उद्योगों में ऑन-लाइन कंटिन्यूअस स्टेक एमिशन मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया गया। 111 रोलिंग में भी यही सिस्टम लगाया।102 बड़े उद्योग की भी ऑनलाइन मॉनिटरिंग शुरू की गई।

खुले में कचरा जलाने पर प्रतिबंध- शहर में खुले में कचरा जलाने पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया गया। साथ ही कचरा जलाने वालों पर जुर्माना भी किया गया। लकड़ी-कोयला जलाने पर भी रोक लगाई गई।

वाहनों की जांच- प्रदूषण का एक बड़ा कारण वाहन भी हैं, इनकी जांच युद्ध स्तर पर की गई। प्रदूषण जांच के लिए अलग-अलग जगहों पर केंद्र खोले गए। हर छह महीने में वाहनों की जांच करवानी है, लेकिन यह बंद है। वाहन मालिक नहीं करवा रहे, पुलिस और आरटीओ भी सुस्त पड़ गया है। बता दें कि शहर में 13 लाख से अधिक वाहन हैं।

पटाखों पर प्रतिबंध- शहर में पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रतिबंध लगाया गया। पटाखे फोड़ने का समय निर्धारित किया गया।

जो प्रयास हुए हैं उन्हें निरंतर जारी रखा जाएगा। विभाग अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रहा है कि नियमों का कड़ाई से पालन करवाया जाए। कहीं पर नियमों का उल्लंघन हो रहा है तो विभाग को सूचना दें, कार्रवाई होगी।

अमर प्रकाश सावंत, पीआरओ, पर्यावरण संरक्षण मंडल

विशेषज्ञ की राय-

प्रदूषण का स्तर कम हुआ है और इसका स्वास्थ्य पर असर आने वाले तीन-चार साल में दिखाई देगा। मरीजों की संख्या घटती है तो स्पष्ट है कि प्रदूषण घटा है। मुझे लगता है कि लोगों को जागरूक होने की और भी जरूरत है। उद्योगों पर, बिल्डिंग निर्माण करने वालों पर, कचरा जलाने वालों पर कार्रवाई जारी रहे तो इससे दूसरों पर डर पैदा होता है।

डॉ. आरके पंडा, विभागाध्यक्ष, टीबी एंड चेस्ट, डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल

 

 

विज्ञापन समाचार हेतु सपर्क करे-9425569117/9993199117

Related Articles

Back to top button