खालेमुरवेण्ड बनेगा पर्यटन स्थल, क्षेत्र मे पर्यटन सुविधा विकसित करने हेतु वृहत कार्ययोजना

28 june, 2020/सबका संदेश
कोण्डागांव। बस्तर का प्रवेश द्वार कहलाने वाले विकासखण्ड यूँ तो अपने सुरम्य पहाड़ियों एवं घाटियों के लिए जाना जाता है परन्तु क्षेत्र मे ऐसे अनजाने अनचिन्हे दर्शनीय स्थल है। इनपर बाहरी क्षेत्र के पर्यटक नही जानते। इस क्रम मे इसी विकासखण्ड के ग्राम खालेमुरवेण्ड के समीप बहने वाली लीमधारा नदी द्वारा अपने वाटर कैचमेन्ट एरिया अन्तर्गत उबड़ खाबड़ पथरीले विशाल मैदानी क्षेत्र मे कई प्राकृतिक टापूओं का निर्माण किया गया है। यह क्षेत्र एक ओर तो पर्वत एवं संघन वनो से आच्छादित है वहीं दूसरी ओर टापूओं के बीच बहती नदी का स्वरूप वास्तव मे दर्शनीय होता हैं इस प्रकार यह स्थान एक आदर्श पर्यटन स्थल बनने की क्षमता रखता हैं इसके अलावा यह आसपास टाटामारी और पंचवटी, गढ़धनोरा जैसे पर्यटन स्थल भी जुड़े हुए है जंहा साल भर बाहरी और स्थानीय पर्यटको की आवाजाही लगी रहती है। इन सभी संभावनाओ को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा यहां पर्यटन सुविधा के साथ साथ बहुआयामी गतिविधियां जैसे सांस्कृतिक क्रियाकलाप साहसिक खेल कूद, पक्षी अभ्यारण, नौकायन, बस्तर के सांस्कृतिक गतिविधियों को दर्शाने के लिए संग्रहालय, देशी स्वल्पाहार आदि केन्द्र प्रारंभ करने योजना बनाई जा रही है ताकि अधिक से अधिक पर्यटको को आर्कशित किया जा सके।
इस संबध मे एक आवश्यक बैठक 26 जून को कलेक्ट्रेट के सभीगार मे आयोजित की गई थी। इस मौके पर वनमण्डलाधिकारी धर्मशील गणवीर, मुख्यकार्यपालन अभियंता पीएमजेएसवाय अरूण शर्मा, अनुविभागीय अधिकारी वन वरूण जैन, अनुविभागीय अधिकारी आरइएस सचिन मिश्रा सहित कार्यपालन अभियंता आरवी सिंह सहित सभी विभागो के अधिकारी उपस्थित थे। बैठक मे कलेक्टर ने कहा कि जिले को पर्यटन नक्शे में उभारने के लिए इन क्षेत्रो में सुविधाओं को विस्तार देने की जरूरत है ताकि देश दुनिया को इसकी जानकारी हो सके इसके अलावा पर्यटन से स्थानीय रोजगार से बढावा मिलेगा। इसके साथ ही उन्होने संबंधित विभागो को गाड़ियो के पार्किंग व्यवस्था के लिए शेड का निर्माण, रेस्टोरेंट, स्वच्छ प्रसाधन कक्षो की व्यवस्था, संपूर्ण क्षेत्र मे नारियल वृक्षो के रोपण और फैंसिग करवाने के लिए भी संबधित विभागो को निर्देश दिये और उन्होने सम्पूर्ण कार्ययोजना का प्रस्ताव भेजने के लिए समय-सीमा भी तय कर दिया है।