देश दुनिया

Rainfall occurred in most parts of India at the beginning monsoon Locust attack increases risk of crop damage | मानसून की शुरुआत में भारत के अधिकांश हिस्सों में हुई वर्षा; टिड्डी हमले से फसल के नुकसान होने का खतरा बढ़ा | nation – News in Hindi

नयी दिल्ली. मानसून (Monsoon) की शुरुआत में शनिवार को पश्चिमी तट के कुछ स्थानों को छोड़कर पूरे भारत में मध्यम से भारी वर्षा हुई, जबकि अप्रैल के अंत में पाकिस्तान (Pakistan) से होकर देश में आने वाली टिड्डियों से फसल के नुकसान होने का खतरा बढ़ गया है. राजस्थान (Rajasthan), हरियाणा (Haryana) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में कई क्षेत्रों में टिड्डियों के हमले की खबर आई है, जबकि प्रशासनों ने कीटनाशकों का छिड़काव कर उन्हें भगाने या मारने की कोशिश शुरू कर दी है.

टिड्डियों के दल के गुरुग्राम और दिल्ली के कुछ सीमावर्ती इलाकों तक पहुंचने के बाद दिल्ली सरकार ने सभी जिलों को हाईअलर्ट पर रखते हुए जिलाधिकारियों से कहा कि वे दमकल विभाग से कीटनाशक के छिड़काव के लिये संपर्क करें ताकि फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले इन कीटों के संभावित हमले को रोका जा सके. फसलों को नुकसान पहुंचाने वाली टिड्डियों के दल के दिल्ली के बाहरी इलाके में प्रवेश के बीच केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि राजस्थान से और दलों को हरियाणा और उत्तर प्रदेश में इन्हें रोकने के लिये चल रहे अभियान में तैनात किया गया है.

टिड्डियों को काबू में करने के लिए बड़ा अभियान चलाया जाएगा
मंत्रालय ने कहा कि टिड्डियों का दल दिन भर उड़ता रहता है और शाम को अंधेरा होने के बाद ही रुकता है. जमीन पर उन्हें नियंत्रित करने के लिये दल लगातार उन पर नजर बनाए हुए हैं और जब एक बार वो रुक जाएंगी तो उन्हें काबू में करने के लिये बड़ा अभियान चलाया जाएगा. मंत्रालय ने कहा कि इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश में नियंत्रण दलों को सतर्क कर दिया गया है. मंत्रालय ने कहा कि राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में उन्हें नियंत्रित करने के लिये अभियान चल रहा है.मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “राजस्थान से कुछ और नियंत्रण दलों को हरियाणा और उत्तर प्रदेश में टिड्डी नियंत्रण कार्यों में मदद करने के लिए भेजा जा चुका है.” इसमें कहा गया कि झुंझुनू (राजस्थान) में 26 जून 2020 की सुबह टिड्डी दल देखा गया था और टिड्डियों को खत्म करने के लिए नियंत्रण दलों को तैनात किया गया था. बचे हुए टिड्डे 26 जून की शाम को फिर इकट्ठा हुए और हरियाणा में रेवाड़ी पहुंच गए जहां कल से शनिवार सुबह तक उन्हें नियंत्रण करने का काम चल रहा था.

तीन समूहों में विभाजित हो गईं टिड्डियां
बयान में कहा गया बची हुयी टिड्डियां फिर एकत्र होकर तीन समूहों में विभाजित हो गयीं, जिनमें से एक गुरुग्राम की ओर चला गया, और वहां से फरीदाबाद और बाद में उत्तर प्रदेश की तरफ चला गया.
मंत्रालय के मुताबिक, टिड्डियों का एक और दल दिल्ली में द्वारका की तरफ बढ़ गया, वहां से दौलताबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद और यह झुंड उत्तर प्रदेश में भी प्रवेश कर गया. वहीं टिड्डियों के तीसरे दल को पलवल (हरियाणा) में देखा गया और यह भी उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ गया.

मंत्रालय ने कहा कि राजस्थान, हरियाणा और उप्र के राज्य कृषि विभागों, स्थानीय प्रशासनों और केंद्रीय टिड्डी चेतावनी संगठन के अधिकारियों के दलों द्वारा टिड्डियों के झुंडों के सभी समूहों पर नज़र रखी जा रही है और नियंत्रण कार्य जारी है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शनिवार को पड़ोसी राज्य हरियाण के गुरुग्राम में टिड्डी दल के हमले के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी के दक्षिण और पश्चिमी जिला प्रशासनों से अत्यधिक सतर्क रहने को कहा है. राय ने हालात को देखते हुए शनिवार को एक आपात बैठक बुलाई. बैठक में शामिल हुए अधिकारियों के अनुसार मंत्री को बताया गया कि टिड्डियों का एक छोटा दल दक्षिण दिल्ली के असोला भट्टी इलाके में भी पहुंच गया है.

इन राज्‍यों को टिड्डियों ने पहुंचाया नुकसान
कृषि विभाग से दिल्ली में टिड्डी दल के हमले की आशंका को देखते हुए सभी जिला मजिस्ट्रेट और उप मंडलीय मजिस्ट्रेट को विस्तार से परामर्श जारी करने के निर्देश दिए गए हैं. गौरतलब है कि मई में देश में टिड्डी दलों ने पहले राजस्थान में हमला किया. इसके बाद इन्होंने पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में फसलों को नुकसान पहुंचाया.

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में मुख्य रूप से टिड्डियों की चार प्रजातियां पाई जाती हैं – रेगिस्तानी टिड्डी, प्रवासी टिड्डी, बॉम्बे टिड्डी और वृक्ष टिड्डी. इनमें से रेगिस्तानी टिड्डी को सबसे विनाशकारी माना जाता है. यह कीट तेजी से अपनी संख्या बढ़ाता है और एक दिन में 150 किलोमीटर की दूरी तय करने में सक्षम है. यह कीट अपने शरीर के वजन से अधिक खा सकता है. एक वर्ग किलोमीटर के टिड्डियों के झुंड में लगभग चार करोड़ टिड्डियां हो सकती हैं और ये 35 हजार लोगों के बराबर का अन्न खा सकती हैं. विशेषज्ञ टिड्डियों के इस बढ़ते खतरे की वजह जलवायु परिवर्तन को बताते हैं. उत्तरप्रदेश के देवरिया जिले सहित विभिन्न जिलों में टिड्डी दलों का खतरा मंडरा रहा है.

यूपी के इन जिलों तक पहुंचा दल
कृषि विभाग द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, ’26 जून को सूचना मिली कि झांसी, चित्रकूट, प्रयागराज, प्रतापगढ़, भदोही, आजमगढ़ और अंबेडकरनगर जिलों के विभिन्न विकास खंडों में टिड्डियों का झुंड उड़ रहा है. इन जिलों की कृषि विभाग की टीमें टिड्डी दलों पर निरंतर निगरानी रख रही हैं. टिड्डियों के विश्राम लेते ही उनके नियंत्रण की कार्रवाई शुरू कर दी जायेगी. इन जिलों के अलावा इनसे सटे हुए जिलों हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, कौशांबी, मिर्जापुर, सुल्तानपुर, मऊ और बलिया जपनदों के अधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिये गये हैं.’

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने शनिवार को बताया कि ‘देवरिया में टिड्डियों का एक झुंड आया था, लेकिन वह केवल बैसिला मैनुद्दीन गांव पहुंचा था. वहां के स्थानीय लोगों ने शोर मचाकर वहां से उन्हें भगा दिया. झुंड देवरिया से चला गया, टिड्डियों का दल जिन- जिन जनपदों में जा रहा है वहां रसायनों का छिड़काव कर उनका खात्मा किया जा रहा है. आसपास के गांवों को सावधान कर दिया गया है. रसायनों का छिड़काव अग्निशमन गाड़ियों की मदद से किया जा रहा है.’

टिड्डी दल को भगाने के लिए ये काम करें
उन्होंने कहा कि लोगों से कहा गया है कि टिड्डी दल को भगाने के लिये थाली बजायें, पुलिस सायरन बजायें और धुएं का इस्तेमाल करें. शाही ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों में टिड्डी दल के हमले के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रत्येक जनपद में मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति का गठन किया गया है, साथ ही प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में पांच- पांच लाख रूपये रसायनों के छिडकाव के लिये उपलब्ध करा दिये गये है.

राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में टिड्डियों का लगातार आक्रमण अधिकारियों के लिए चुनौती बन गया है. अधिकारी व उनका अमला इन पर नियंत्रण के लिए जुटा हुआ है. कृषि विभाग में उपनिदेशक बी आर कडवा ने बताया, ‘‘पिछले लगभग डेढ़ महीने से पाकिस्तान से लगते हमारे सीमावर्ती जिलों में टिड्डियों का लगातार हमला हो रहा है. उन पर काबू पाने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है.’’

उन्होंने कहा कि टिड्डियों के पुराने दल तो खत्म हो गए लेकिन अब नये दल आ रहे हैं. अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार ने इस समस्या पर काबू पाने व दवा छिड़कने के लिए हेलीकाप्टर के इस्तेमाल की अनुमति केंद्र सरकार से मांगी है. फिलहाल टिड्डियों की समस्या से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, श्रीगंगानगर है जिनकी सीमा पाकिस्तान से लगती है. मानूसन की बारिश और रबी की फसलों की बुवाई को ध्यान में रखते हुए अधिकारी टिड्डियों पर जल्द से जल्द काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं जो भारत व पाकिस्तान के बीच फैले रेगिस्तान में प्रजनन कर सकती हैं.



Source link

Related Articles

Back to top button