25 जून इंदिरा के आपातकाल को भाजपा ने माना काला दिवस

कोंडागाँव। भारतीय जनता पार्टी मुख्यालय में आज 25 जून को कांग्रेस के द्वारा लगाए गए आपातकाल को काला दिवस के रूप में मनाते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस लिया गया। जिसमे जिला अध्यक्ष दिपेश अरोरा ने कहा कि 25 जून 1975 को तब की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा देश मे जबरन थोपा गया “आपातकाल” इतिहास का ऐसा ही एक काला अध्याय है जिसे हमे कभी भूलना नही चाहिए और उसे बार बार हर बार स्मरण करते रहने की जरूरत है ताकि सत्ता के मद में चूर होकर कांग्रेस या कोई दल फिर से इस भयानक इतिहास को दुहराने का साहस नही कर पाए।
बड़े ही त्याग और बलिदान से प्राप्त इस लोकतंत्र को तब की प्रधानमंत्री रही श्रीमती इंदिरा गांधी ने आधी रात को खत्म कर देश को फिर से तानाशाही और गुलामी के दौर में डालते हुए आपातकाल लगाया। आपातकाल में इंदिरा गांधी ने राजनीतिक प्रतिद्वन्दियो का निर्ममता से दमन किया, न्यायपालिका और मीडिया की स्वतंत्रता को बुरी तरह कुचला और दुनिया के सबसे जीवंत लोकतंत्र भारत को एक फासीवादी देश मे तब्दील कर दिया गया था।उस दौर में तानाशाही पूरे देश मे काबिज हो गए थे।वो मासूमों पर जुल्म ढा रहे थे। निर्दोषों को जबरन जेल में ठूसा जा रहा था।बस्तियों को बुलडोजर चलाकर उजाड़ा जा रहा था। लोगों की जबरन नसबंदिया की जा रही थी। आपातकाल की घोषणा होते ही स्वयंसेवको और तमाम गैर कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारी शुरू हो गयी थी। उन पर प्रताड़नाओं का सिलसिला से चल रहा था। देश भर में लाखों लोग जेल गए लोकनायक जयप्रकाश नारायण, मोरारजी भाई देसाई, अटलबिहारी बाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, शरद यादव समेत अधिकतर विपक्ष को जेल में डाल दिया गया था। अविभाजित मध्यप्रदेश से भी कई नेता गिरफ्तार कर लिए गए थे। रायपुर में उपासने परिवार समेत कई लोग जेल गए थे। जगदलपुर में भी कई लोग जेल गए थे।
उस समय मीडिया पर तत्काल प्रतिबंध लगाया गया था।25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल लगाने के तुरंत बाद अखबारों के दफ्तरों की बिजली काट दी गयी थी, ताकि ज्यादातर अखबार अगले दिन आपातकाल के समाचार ना छाप सकें। 327 पत्रकारों को मीसा कानून के तहत जेल में भी बंद किया गया था। 290 अखबारों में सरकारी विज्ञापन बंद किया गया था। सबसे ज्यादा आपातकाल में पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार हुआ और पत्रकारों ने आपातकाल के दर्द को बहुत झेला है। आज भी छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार के द्वारा आपातकाल जैसे हालात निर्मित हो रहे हैं। बात चाहे पत्रकार अर्णब गोस्वामी पर हुए छत्तीसगढ़ में सैकड़ो मुकदमे लाद देने का हो या भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा को छग में प्रताड़ित करने की कोशिस का हो। हाल में सोशल मीडिया पर लिखने के कारण दर्जनों भाजपा कार्यकर्ताओं एवं आम नागरिकों की गिरफ्तारी हुई। बिजली जाने की शिकायत करने मात्र से आम लोगो पर राजद्रोह का मुकदमा दायर किया गया और जेल भेजने की कार्यवाही की गई।
इस कार्यक्रम मे मुख्य रुप से गोपाल दीक्षित, ओमप्रकाश टावर, नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती हेमकुवर पटेल, जितेन्द्र सुराना, जसकेतु उसेन्डी, बालसिह बघेल, जेनेन्द्र ठाकुर अस्वनी पान्डे, प्रतोश त्रिपाठी, सलीम मेमन, लछ्मी ध्रुव, दयाराम पटेल, उत्तम मण्डल, कुलवन्त, तिमीर, दिलावर, प्रदीप, विकास सहित अन्य कार्यकर्त्ता उपस्थित थे।
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