सचिव पर लगा आरोप पंचायत में नियमित नहीं आने का, ग्रमीण शिकायत लेकर पहुंचे कलेक्टोरेट
कोण्डागांव । ग्राम पंचायत सचिव को अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग को लेकर कुछ ग्रामवासियों के जिला कार्यालय कोण्डागांव पहुंचने पर एक ऐसा मामला प्रकाष में आया है, जो यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि अब ग्रामवासी जागरुक होने लगे हैं, लेकिन वहीं एक अन्य बात यह भी सामने आई जो यह सिद्ध करने के लिए काफी है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे ? प्रकाष में आया मामला है कोण्डागांव जिला के तहसील/जनपद पंचायत फरसगांव के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत कबोंगा का जहां के कुछ ग्रामवासी सरपंच, पंचों के साथ जिला कार्यालय कोण्डागांव में 5 मार्च को पहुंचकर कलेक्टर कोण्डागांव के अनुपस्थित रहने पर अपना लिखित आवेदन अपर कलेक्टर श्री कुर्रे को दिया। ग्रामवासियों द्वारा अपने लिखित आवेदन में उल्लेख किया गया है कि वे सभी ग्राम पंचायत कबोंगा एवं आश्रित ग्राम कोसागांव के निवासी हैं, ग्राम पंचायत कबोंगा के ग्राम पंचायत सचिव के रुप में बिजूराम नेताम निवासी जैतपुरी की नियुक्ति वर्ष 2010 से हुई है। ग्राम पंचायत मुख्यालय कबोंगा से जैतपुरी की दुरी मात्र 5 किलोमीटर होने के बाद भी बिजूराम नेताम नियमित रुप से ग्राम पंचायत कबोंगा में नहीं आता है, जिससे ग्राम पंचायत कबोंगा में नियमित रुप से आयोजित किए जाने वाले बैठकों का संचालन सही ढ़ंग से नहीं हो पा रहा है। बैठकों का संचालन सही ढ़ंग से नहीं हो पाने के कारण ग्रामवासियों को षासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी नहीं मिल पाती है, जिससे गरीब पात्र ग्रामवासियों को जन कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रहना पड़ता है। इसलिए ग्राम पंचायत कबोंगा में पदस्थ बिजूराम नेताम को तत्काल ही अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए। ग्रामवासियों द्वारा ग्राम पंचायत सचिव के ग्राम पंचायत की बैठकों में नियमित रुप से नहीं आने से ग्रामवासियों को शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी नहीं मिलने आदि जैसी कार्यषैली से लंबे समय से परेषान हो चुकने के बाद ग्राम पंचायत सचिव को हटाने हेतु कलेक्टर से मिलकर एवं लिखित में मांग करने के प्रयास में जिला कार्यालय कोण्डागांव तक पहुंचने की प्रक्रिया यह सिद्ध करती है कि ग्रामवासी जागरुक होने लगे हैं। लेकिन वहीं जब मौके पर समाचार संकलन हेतु पहुंचे प्रेस प्रतिनिधियों के द्वारा उक्त मामले को कैमरे के सामने कहने की बात कहने पर ग्राम पंचायत के सभी जनप्रतिनिधिगण ग्राम पंचायत सचिव बुरा मान जाएगा कहते हुए, कैमरे के सामने आने से मना करते हुए इधर-उधर हट गए। जो यह सिद्ध करता प्रतीत होता है कि चाहे सरपंच हो, या फिर सचिव हो, या फिर कोई अधिकारी-कर्मचारी हो अपने कर्तव्य का निर्वहन अच्छे से न कर रहा हो और ऐसे लोगों की वजह से ग्रामवासियों को चाहे जितनी भी परेषानी हो कोई भी षिकायत करने को राजी होता नजर नहीं आता है। संभवतः ऐसी परिस्थितियों को मद्देनजर रखकर ही किसी ने चुहे-बिल्ली की कहानी बनाई और यक्ष प्रश्न खडा कर दिया कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे ? कुल मिलाकर कुछ ग्रामवासियों ने जैसे तैसे ग्राम पंचायत सचिव की कार्यषैली से हो रही परेषानी को कलेक्टर के समक्ष पहुंचाते हुए बिल्ली के गले में घण्टी बांधने का साहस तो कर दिखाया है, लेकिन अब देखने वाली बात यह होगी कि कलेक्टर कोण्डागांव संबंधित ग्राम पंचायत सचिव के खिलाफ कार्यवाही कराने का आदेष कब तक जारी करते हैं।
सबका संदेस ब्यूरो, कोंडागांव 9425598008