क्यों US के लिए भी मुश्किल है कोरोना से मुकाबले में न्यूजीलैंड से बराबरी? new zealand fully eliminated coronavirus | knowledge – News in Hindi
16 अप्रैल को पीएम ऑर्डन ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि ये मौका है कि देश वो कर सके, जो अब तक किसी देश ने नहीं किया है. ये है वायरस का खात्मा. इस संबोधन से पहले से ही यहां यात्रा पर प्रतिबंध की शुरुआत हो गई थी. 28 फरवरी को यहां कोरोना का पहला मामला आया. उसके 19वें रोज देश ने अपनी सीमाएं दूसरे देशों के लिए सील कर दीं. इस बीच जो भी लोग बाहर से लौटे थे, उन्हें सख्त सेलफ आइसोलेशन अपनाने की सलाह दी गई.
21 मार्च को यहां पर चार स्तर का एक अलर्ट सिस्टम बनाया गया. इसके तहत चौथे अलर्ट पर सबसे सख्त बंदी लगाई गई, जिसमें देश के लगभग सारे कामकाज बंद रहे. धीरे-धीरे अलर्ट तीन और दो की तरफ आया. इस दौरान एक-एक करके जरूरी सुविधाएं खोली जाती रहीं. 13 मई को अलर्ट दूसरे स्तर पर पहुंच गया, जिसके तहत लगभग सारी चीजें खोल दी गईं लेकिन लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर रखनी थी. आज से देश अलर्ट लेवल 1 पर चला जाएगा. इसके तहत रात 11:59 बजे से न्यूजीलैंड में सामान्य दिनचर्या दिख सकती है.
पिछले 17 दिनों में कोरोना का एक भी मामला नहीं आने पर देश लॉकडाउन खोलने की तैयारी में जुट गया है (Photo-pixabay)
वैसे यहां के लॉकडाउन को दुनिया के सबसे सख्त लॉकडाउन में शुमार किया जाता रहा. जब यहां पर कोरोना के 100 मरीज भी नहीं हुए थे, तभी पीएम ने सचेत कर दिया कि हमें सख्त कदम लेने होंगे ताकि सुरक्षित रह सकें. सिर्फ दवा और राशन की दुकानें छोड़कर सबकुछ बंद रहा. निजी बिजनेस के लिए पीएम ने अलग से बंदी का एलान कर दिया ताकि कोई भी दफ्तर न खोल सके.
न्यूजीलैंड की आबादी लगभग 50 लाख है. कम जनसंख्या और ज्यादा सुविधाएं होने की वजह से यहां बहुतेरे देशों से एकदम अलग तरीका अपनाया गया. यहां बीमारों को एक जगह बंद करने की बजाए सीधे कोरोना को खत्म करने पर जोर दिया गया. इसके तहत 3 लाख से ज्यादा टेस्ट हुए. और जरूरत के मुताबिक लोगों को घर पर इलाज दिया गया या अस्पतालों में भर्ती किया गया.
वे न केवल टीवी के जरिए आम लोगों से जुड़ीं, बल्कि इसके लिए फेसबुक लाइव भी किया
कोरोना से मुकाबले में बड़ी भूमिका देश की पीएम की भी रही. 39 साल की पीएम जेसिंडा ने वक्त रहते सख्त कदम लिए. वे न केवल टीवी के जरिए आम लोगों से जुड़ीं, बल्कि इसके लिए फेसबुक लाइव भी किया. वे सीधे अपने घर के लिविंग रूम से लाइव किया करतीं और अपील करतीं कि लोग लॉकडाउन में परेशान न हो, बल्कि उसका पालन करें. अपील में लगातार वे देशवासियों को एक टीम की तरह जोड़तीं. इस दौरान दूसरे सरकारी अधिकारी भी “our team of five million” कहने लगे थे, जिसका घबराई हुई जनता पर अच्छा असर पड़ा. अब फरवरी के बाद से पहली बार यहां जीवन पटरी पर लौटने जा रहा है. इस वजह से देशभर में जश्न का माहौल बना हुआ है.
हालांकि एक्सपर्ट ये भी मान रहे हैं कि कोरोना से जंग के लिए न्यूजीलैंड ने जो तरीका अपनाया, वो बहुत ही कम देश लागू कर सकते हैं. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है यहां की कम जनसंख्या. लगभग 40 लाख की आबादी वाले इस देश में घनी आबादी वाली जगहें बहुत कम हैं. इससे सोशल डिस्टेंसिंग का तरीका काफी कारगर रहा. इसके साथ ही ये देश प्राकृतिक तौर पर आइसोलेटेड लोकेशन में है. दक्षिणपश्चिमी पेसिफिक में बसा होने के कारण यहां पर फरवरी के आखिर में कुछ ही सैलानी पहुंच सके, जिसके बाद से देश ने अपने बॉर्डर सील कर दिए. टाइम की रिपोर्ट के मुताबिक इस देश के कोरोना -मुक्त होने में बड़ी वजह इसकी भौगोलिक संरचना है. द्वीप पर बसा देश होने के कारण इसे दुनियाभर से काटना आसान रहा.
ये भी पढ़ें:
कौन थे सफेद मास्क पहने वे लोग, जो रात में घूमकर अश्वेतों का रेप और कत्ल करते?
किस खुफिया जगह पर खुलती है वाइट हाउस की सीक्रेट सुरंग
क्या है डार्क नेट, जहां लाखों भारतीयों के ID चुराकर बेचे जा रहे हैं
क्या ऑटिज्म का शिकार हैं ट्रंप के सबसे छोटे बेटे बैरन ट्रंप?
अश्वेत लोगों के साथ रहने पर आदतें बिगड़ने का डर था गांधी जी को
नॉर्थ कोरिया में उड़ते गुब्बारे देखकर क्यों डर रहा है किम जोंग का परिवार