एंटरप्रेन्योरशिप की दुनिया में आगे बढ़ रहे हैं सागर गुलाटी जैसे युवा, लॉकडाउन भी नहीं रोक पाया रफ्तार! | sagar gulati is uplifting himself in the world of entrepreneurship even lockdown unable to stop him | nation – News in Hindi
इस कठिन घड़ी में अगर किसी क्षेत्र में नौकरियों के बचे रहने और भविष्य में अवसर बढ़ने की बात की जा रही है तो वो है डिजिटल मार्केटिंग और एंटरप्रेन्योरशिप.
इस कठिन घड़ी में अगर किसी क्षेत्र में नौकरियों के बचे रहने और भविष्य में अवसर बढ़ने की बात की जा रही है तो वो है डिजिटल मार्केटिंग और एंटरप्रेन्योरशिप.
इसमें एक एप्लीकेशन (मिथ बस्टर) ऐसा भी है जो फेक न्यूज को पकड़ लेता है. दरअसल, कोरोना काल में कोरोना के खतरे के बराबर ही फेक न्यूज का खतरा भी बढ़ा हुआ है. ना केवल कोरोना से उबरने के लिए अजीबोगरीब तरीके बताए जा रहे हैं बल्कि कई तरीकों से लोगों में भ्रम फैला रहे हैं. ऐसे में सागर गुलाटी की ओर से बनाया जा रहा ऐप काफी मददगार साबित होगा. सागर बताते हैं कि इस ऐप में कोई भी व्यक्ति किसी भी खबर की सच्चाई के बारे में पूछ सकता है. इसके बाद टीम उस खबर की तह तक जाकर उसके इंटरनेट पर डाले गए समय से लेते हुए अब तक की इंटरनेट पर पड़ी सभी जानकारियों को गहराई से टेस्ट करते हुए उस खबर की सत्यतता को बता देंगे. इस एप्लीकेशन का नाम मिथ बस्टर है.
सागर ये भी कहते हैं कि लॉकडाउन उनके बिजनेस को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाया है. लॉकडाउन का असर केवल आम दिनों में होने वाली मीटिंग्स पर पड़ा है. कई बार उन्हें क्लाइंट्स से सीधे आमने-सामने बैठकर बात करने में और अपनी टीम के साथियो से भी आमने-सामने बात करने में ज्यादा बेहतर नतीजे निकलते थे. लेकिन अब वो ऑनलाइन मीटिंग्स के लिए भी ज्यादा सफल तरीका निकाल रहे हैं और वही से ज्यादा से ज्यादा काम करने की कोशिश में लगे हैं.
लॉकडाउन को लेकर सागर कहते हैं कि अब पूरी तरह से हम डिजिटल इरा में प्रवेश कर चुके हैं. अब शिक्षा, फाइनेंस समेत कई दूसरे क्षेत्रों को भी डिजिटल होना पड़ रहा है. लोग अपने पढ़ने की आदत को बदल रहे हैं. सूचनाओं के लिए सोशल मीडिया पर जा रहे हैं, ऐसे में बिजनेस भी सोशल मीडिया के जरिए आएंगे.अच्छी बात ये है कि सागर गुलाटी जैसे युवाओं ने वक्त रहते डिजिटल मार्केट को समझ लिया है. सागर गुलाटी का जन्म 31 मई 1994 में को अम्बाला कैंट, हरियाणा में हुआ था. हरियाणा के अंबाला कैंट में जन्मे सागर का इंटरनेट की दुनिया से 12 साल की उम्र में पाला पड़ा. तब वो अक्सर गेम खेलने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे. वहीं पर उनकी मुलाकात कुछ और लोगों से हुई जो डिजिटल मार्केट के जरिए कमाई कर रहे थे. सागर बताते हैं कि कुछ दिनों की चैटिंग के बाद ही उन्होंने ब्लॉगिंग करना, वेबसाइट बनाने का काम शुरू कर दिया. महज 16 साल की उम्र में उन्होंने कोडिंग आदि का काम सीख लिया. इसके बाद उन्होंने अपना वेंचर शुरू किया. इसके जरिए उन्होंने लोगों को सोशल मीडिया हैंडल्स व ब्रांड प्रमोशन का काम शुरू किया. उन्होंने कई ब्रांड्स को प्रमोट करने के लिए डिजिटल स्ट्रेटेजी आदि तैयार करना शुरू कर दिया. इस दौरान उनके माता-पिता और उनकी बड़ी बहन ने काफी सपोर्ट किया. कभी उन लोगों ने सागर पर अपने सपने थोपने की कोशिश नहीं की.
सागर कहते हैं कि वो केवल डिजिटल मार्केटिंग ही नहीं अपने खुद के प्रोडक्ट्स भी लेकर आना चाहते हैं. हालांकि ये प्रोडक्ट्स ऑनलाइन मार्केट से जुड़े होंगे. सागर कहते हैं कि मेहनत का कोई काट नहीं है. अगर कोई आगे बढ़ना चाहता है तो उसे मेहनत करनी चाहिए. मेहनत का विकल्प नहीं है. अब सागर की उम्र 25 साल हो गई है. उन्होंने अपनी एक टीम तैयार कर ली है और वो भविष्य में अपना नाम फोर्ब्स की सूची में दर्ज कराना चाहते हैं. वो खुद को एक सफल बिजनेसमैन की उंचाइयों पर देखना चाहते हैं.
First published: June 5, 2020, 12:24 AM IST