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चिकन से फैलेगा अगला संक्रमण, आधी दुनिया हो जाएगी खत्म- वैज्ञानिक ने किया दावा virus from chicken can kill half of the world population after coronavirus scientists warn | knowledge – News in Hindi

दुनियाभर में कोरोना संक्रमितों का आंकड़े 61 लाख पार कर चुका है. वैज्ञानिकों को फिलहाल इसकी असरदार दवा की खोज में कोई सफलता नहीं मिल सकी, जबकि वैक्सीन पर काम चल ही रहा है. इसी बीच अमेरिका के साइंटिस्ट डॉ माइकल ग्रेगर ने चेताया है कि खाने के लिए हमारी जानवरों पर निर्भरता कोरोना से बड़ी आफत लाने वाली है. बता दें कि ये चेतावनी उस वक्त आई है जब बहुत से एक्सपर्ट कोरोना को चमगादड़ से इंसानों तक आया वायरस मान रहे हैं.

इसी बीच डॉ ग्रेगर, जो लगातार शाकाहार पर जोर देते आए हैं, कहते हैं कि अगली महामारी आएगी या नहीं आएगी, जैसी कोई बात ही नहीं, बस हमें ये जानना है कि ये कब तक आएगी. ग्रेगर का मानना है कि चिकन पर चूंकि दुनिया की बड़ी आबादी निर्भर है, ऐसे में चिकन से फैलने वाली महामारी की व्यापकता और भयावहता दोनों ही कहीं ज्यादा होगी और दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी इसमें खत्म हो जाएगी.

वैसे ग्रेगर की इस चेतावनी से मिलती-जुलती कई चेतावनियां सामने आ चुकी हैं. खासकर कोरोना के बाद दुनिया के कई विशेषज्ञ लगातार जानवरों का मार्केट बंद करने की बात कह रहे हैं. बता दें कि जानवरों में वायरल लोड इतना ज्यादा होता है कि उन्हें खाने पर या उन्हें काटने और साफ-सफाई के दौरान इंसानों के वायरस की चपेट में आने का खतरा काफी ज्यादा होता है.

कोरोना के बाद दुनिया के कई विशेषज्ञ लगातार जानवरों का मार्केट बंद करने की बात कह रहे हैं (Photo-pixabay)

यूनॉटिक (zoonotic) यानी जानवरों से इंसानों में वायरस के संक्रमण का खतरा देखते हुए कई मीट-ईटर देशों में वेट मार्केट अस्थायी रूप से बंद भी हो रहे हैं. जैसे हाल ही में चीन ने डॉग मीट पर पांच सालों का प्रतिबंध लगा दिया, साथ ही वुहान के पास स्थित वेट मार्केट भी बंद करवा दिया. ये वही मार्केट है, जहां से चमगादड़ या पेंगोलिन जैसे किसी जंतु के जरिए वायरस हम तक पहुंचा माना जा रहा है.

अलग-अलग रिसर्च में ये निकलकर आता रहा है कि मांसाहार से कई बीमारियों का खतरा है. जैसे हाल ही में हुई एक रिसर्च में सामने आया कि प्रोसेस्ड मीट या फिर चिकन खाने से कार्डियोवस्कुलर बीमारियों (cardiovascular disease) का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. इस बारे में Northwestern University Feinberg School of Medicine के प्रोफेसर Norrina Allen बताते हैं कि इसकी वजह से दिल की बीमारियों का खतरा लगभग 7 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. इनमें हाई बीपी और स्ट्रोक से लेकर दिल की जन्मजात बीमारियां भी शामिल हैं, जो गर्भवती से बच्चे में पहुंचती हैं. अलावा कई गंभीर बीमारियां जैसे कैंसर (cancer) का खतरा भी गोश्त खाने वालों को ज्यादा रहता है.

हाल ही में चीन ने डॉग मीट पर पांच सालों का प्रतिबंध लगा दिया (Photo-pixabay)

U.S. Dietary Guidelines Advisory committee की सदस्य Linda Van Horn कहती हैं, मांसाहार की बजाए हमें प्लांट-बेस्ड डायट लेनी चाहिए. जैसे सूखे मेवे, मूंगफली, चना, बीन्स और मटर जैसी चीजें मांस से मिलने वाले प्रोटीन की तरह ही शरीर को पूरा पोषण दे सकती हैं.

वैसे मांसाहार खाने से ही नहीं, एक्सपर्ट्स की मानें तो पालतू जानवरों के संपर्क से भी कई तरह की बीमारियों का खतरा होता है, हालांकि लगातार साफ-सफाई और वैक्सिनेशन के कारण ये खतरा अधिकतर कम गंभीर बीमारियों का होता है. जैसे कुत्ते-बिल्ली से रिंगवॉर्म हो सकता है, जो एक तरह का स्किन इंफेक्शन है. इसी तरह से पक्षी पालने वालों को पैरट फीवर का डर रहता है. इससे रिकवर होने के लिए एंटीबायोटिक लेनी होती है वरना बुखार और गले में दर्द से संक्रमण गंभीर अवस्था तक भी पहुंच सकता है. गाय या बकरियों से Brucellosis बीमारी फैलती है. आमतौर पर इंफेक्टेड गायों या बकरियों का दूध पीने पर ये बीमारी हो सकती है लेकिन अगर आप गाय पालने के शौकीन हैं तो शरीर पर हुए हल्के-फुल्के जख्मों के जरिए भी इस बीमारी के बैक्टीरिया भीतर पहुंच जाते हैं. इसके लक्षण फ्लू से मिलते-जुलते हैं. एंटीबायोटिक से इस बीमारी का भी इलाज संभव है.

ये एक बेहद खतरनाक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो मरीज की जान भी ले सकती है (Photo-pixabay)

इन सामान्य बीमारियों के अलावा कई गंभीर किस्म की बीमारियां भी जानवरों को खाने से हो सकती हैं. जैसे एक है Mad cow disease, जिसे bovine spongiform encephalopathy (BSE) के नाम से भी जाना जाता है. ये एक बेहद खतरनाक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो मरीज की जान भी ले सकती है. ये prion नामक वायरस से फैलती है. बीमार गाय, भेड़ या बकरी का गोश्त खाने पर ये बीमारी होती है. मैड काऊ डिसीज के साथ सबसे खतरनाक बात ये है कि इसके लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं, तब तक मस्तिष्क की कोशिकाओं का नुकसान हो चुका होता है और आखिरकार मरीज की मौत हो जाती है. इसी तरह से रेबीज बीमारी को पालतू जानवरों से होने वाली सबसे खतरनाक बीमारियों में गिना जाता है. वायरस से फैलने वाली ये बीमारी पालतू जानवरों में आसपास रहने वाले जंगली जानवरों से आती है और पालतू जानवरों की सफाई के दौरान इंसानी शरीर में इसके वायरस प्रवेश कर जाते हैं. फ्लू की तरह लक्षणों से बीमारी की शुरुआत होती है, जो जल्द ही मतिभ्रम, बेहोशी या पैरालिसिस में बदल जाती है. पूरी दुनिया में हर साल लगभग 50 हजार मौतें इसी बीमारी की वजह से होती हैं. मॉर्डन चिकित्सा में इसका इलाज तो है लेकिन हर जगह उपलब्ध नहीं.

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