छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

राजिम पुन्नी मेले में सजी छत्तीसगढ़ के पारंपरिक साजो सामान की दुकानें

दुर्ग। छत्तीसगढ़ शासन धर्मस्व एवं संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित राजिम माघी पुन्नी मेले के शुभारंभ के बाद दूसरे दिन भी मेले में लोगों की अच्छी खासी भीड़ रही। त्रिवेणी संगम के पावन स्थल पर लगे मेले में छत्तीसगढ़ी पारंपरिक साजो सामान की दुकानें सज गई हैं। खिलौनों से लेकर खाने पीने की वस्तुओं की दुकानों में लोगों की भीड़ उमड़ रही है। दूर दराज के गांवों से राजिम माघी पुन्नी मेले की भव्यता को देखने परिवार के साथ पहुंच रहे हैं। महाशिवरात्रि तक पूरे 15 दिनों तक चलने वाले इस माघी पुन्नी मेले का शुभारंभ 19 फरवरी को हुआ। विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत व गृह, जेल, लोकनिर्माण, धार्मिक न्यास, धर्मस्व व संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू ने महानदी आरती कर माघी पुन्नी मेले का शुभारंभ किया था। शुभारंभ के बाद अब माघी पुन्नी मेले में रौनक दिखने लगी है। हजारों की संख्या में लोग मेले देखने पहुंच रहे हैं। सुबह महानदी स्नान से शुरू होने के बाद दिन भर मेले में लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। नदी के बीचो बीच विभिन्न प्रकार के स्टॉल लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। मेले में लगे स्टॉल से छत्तीसगढ़ की परंपरा दिख रही है। विभिन्न साजो सामान व व्यंजनों से सजी इन दुकानों की ओर लोग बरबस ही खिंचे चले आते हैं। खिलौनों की दुकानें ऐसी की बचपन याद आ जाए। महंगे इलेक्ट्रनिक खिलौनों की जगह शुद्ध देशी खिलौने बच्चों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। प्लास्टिक के इन खिलौनों की कीमत भी ऐसी की लोग हंसी खुशी अपने बच्चों को दिला रहे हैं। इसके अलावा मेले में पारंपरिक व्यंजनों की दुकानें भी सजाई गई हैं। मेले में भ्रमण के दौरान लोग इन स्टॉल्स में जाकर व्यंजनों का स्वाद ले रहे हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित दालभात केन्द्रों में लोगों को रियायती दरों पर भोजन की व्यवस्था भी की गई है।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए आमंत्रित किए गए समितियां

छत्तीसगढ़ के प्रयागराज राजिम में माघी पुन्नी मेला के अवसर पर छत्तीसगढ़ की पारंपरिक विधाओं को लेकर कार्यक्रमों का सिलसिला शुरू हुआ। इस कड़ी में आज प्रदेश की अति महत्वपूर्ण कथा विधा पंडवानी का सम्मेलन हुआ। सम्मेलन में प्रदेश भर के विभिन्न जिलों से लगभग 22 पंवानी समूहों ने हिस्सा लिया। दोपहर 12 बजे से नदी परिसर में बने विशाल मंच पर पंडवानी की कार्यक्रम शुरू हुआ जो दे शाम तक चला। पंडवानी सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग जमा हुए। राजिम माघी पुन्नी मेले में सांस्कृतिक कार्यकमों के लिए प्रदेश के सभी जिलों से लोक कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। अगल अलग दिन अलग अलग कलाकारों की उनकी विधाओं के अनुरूप कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की गई है। इस कड़ी में बुधवार को पंडवानी सम्मेनल का आयोजन किया गया। पंडवानी सम्मेलन में प्रभा यादव (चंदखुरी, रायपुर), मीनासाहू (रनचिरई, जामगांव), चेतन देवांगन (पाहंदा, दुर्ग), महेन्द्र चैहान (साजा, बेमेतरा), अनुसुईया गंधर्व (कंकालीन, बालोद), इंदिराबाई जांगड़े (सिलियारी), फूल सिंह कन्नौजे (देवर तिल्दा), विष्णु प्रसाद साहू (परसट्टी), अर्जुन सेन (पलारी), प्रेमशीला वर्मा (नवागढ़, धमतरी), भारतलाल धींवर (रसौंटा), अमृता साहू (भिभौंरी, धमधा), टेमिन बाई (कोकड़ी, दुर्ग), बीजिया बाई साहू (दाउकांपा), मंजू रामटेके (कांकेर), पद्मिनी निषाद (मेघा, धमतरी), रेणु साहू (भिलाई), राज कुमारी खुटेल (परसबोर्ड), उर्मिला साहू (मोहगांव), शांति बाई चेलक (पिरदा), प्रतिमा बारले (कबीरधाम), गनपत साहू (गोरदी, भाठापारा) ने अपने अपने अंदाज में पंडवानी की कथा प्रस्तुत की। राजिम माघाी पुन्नी मेले में 20 फरवरी से शुरू हुए उक्त कार्यक्रम 3 मार्च तक निरंतर होंगे। छत्तीसगढ़ लोक संगीत से जुड़े इन कार्यक्रमों का आयोजन सम्मेलन के रूप में होगा। 21 को पंडवानी, भरथरी, चंदेनी, चैंका, भजन, 22 को रामधुनी, 23 को राऊत नाचा, 24 को नाचा गम्मत, 25 को रामायण, 26 को सरगुजा, बस्तर नृत्य, 27 को पंथी नृत्य, 28 फरवरी को सुवा नृत्य, 1 मार्च को बांसगीत, फागगीत, अखाड़ा, करतन, 2 को जसगीत व 3 मार्च को कर्मा एवं डंडा नृङ्गत्य का आयोजन होगा। कार्यक्रम के अंत में नाचा गम्मत का विशेष आयोजन होगा।

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