live updates of hearing on migrant laborer in supreme court amid coronavirus lockdown | nation – News in Hindi
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने लॉकडाउन की वजह से महानगरों से पैदल और साइकिल पर अपने अपने घर की ओर जा रहे कामगारों (Migrant Laborers) की दयनीय स्थिति के बारे में मीडिया की तमाम खबरों का स्वत: ही संज्ञान लिया है. बेंच ने इस स्थिति को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया और केंद्र-राज्य सरकार को नोटिस जारी किए गए. अदालत ने 28 मई तक इसपर जवाब मांगा था. इसी पर आज सुनवाई होनी है.
यहां पढ़ें Migrant Laborers पर Supreme Court की सुनवाई के Live Updates
>> सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के मामले पर कहा कि प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के लिए रजिस्ट्रेशन, परिवहन और उन्हें आश्रय व खानपान मुहैया कराने को लेकर कई खामियां हैं. सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों की गरीबी और अन्य समस्याओं पर विचार किया. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि रजिस्ट्रेशन के बाद भी प्रवासी मजूदरों को वापस घर जाने के लिए हफ्तों को इंतजार करना पड़ रहा है. बड़ी संख्या में प्रवासियों को पैदल घर जाने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
Supreme Court hearing a matter relating to migrant labourers: SC says, we are concerned with the difficulties of migrants trying to get to their native place. There are several lapses that we’ve noticed in the process of registration,transportation&provision of food&water to them pic.twitter.com/1wKI0IcqeQ
— ANI (@ANI) May 28, 2020
>> प्रवासी मजदूरों के मामले में रणदीप सिंह सुरजेवाला की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए. केंद्र सरकार ने इसका विरोध किया और कहा कि इसका राजनीतिकरण किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा वह सिर्फ कुछ सुझाव सुनेगा इसके अलावा कुछ नहीं
>> सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रवासी मजदूरों के मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रवासियों की संख्या 80 प्रतिशत है. अब तक 91 लाख प्रवासी स्थानांतरित किए गए.
>>सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने आदेश में कहा था कि मौजूदा स्थिति में जहां देश में लॉकडाउन चल रहा है, ऐसे में प्रवासी मजदूरों को संबंधित सरकारों की मदद की बेहद जरूरत है. खासकर भारत सरकार, राज्य/ केंद्र शासित सरकारों को इस कठिन समय में प्रवासी मजदूरों की ओर मदद का हाथ बढ़ाना चाहिए.
>>जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशनकौल और जस्टिस एम आर शाह की बेंच ने कहा था, ‘हम इन कामगारों , जो देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुये हैं, की समस्याओं और परेशानियों का स्वत: संज्ञान ले रहे हैं. समाचार पत्रों की खबरों में लगातार इन कामगारों की परेशानियों और पैदल और साइकिल पर लंबी दूरी तय करने के बारे में विचलित करने वाली तस्वीरों को दिखाया जा रहा है.’
>>बेंच ने आगे कहा था, ‘समूचे देश में लॉकडाउन की मौजूदा स्थिति में समाज के इस वर्ग को संबंधित सरकार, विशेषकर केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से संकट की इस घड़ी में मदद की उम्मीद की जाती है.’
>>सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारों को उनकी मदद करनी चाहिए और उनके ज़ख्म पर मरहम रखना चाहिए. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वह इस बाबत अपना जवाब दाखिल करें. कोर्ट ने कहा था कि सरकार बताए कि इन लोगों के लिए क्या कदम उठाया गया है और क्या किया का सकता है.
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