कुदरत ने उन्हें इतनी समझ तो दी है कि इंसानों की तरह वे भी बाइक पर इत्मीनान से बैठकर कुछ खा सके

सबका संदेश न्यूज छत्तीसगढ़ बलौदाबाजार- बंदरों में इंसान की तरह विवेक भले काम न करता तो लेकिन कुदरत ने उन्हें इतनी समझ तो दी है कि इंसानों की तरह वे भी बाइक पर इत्मीनान से बैठकर कुछ खा सके। सर्कस के खेल, पेड़ की डाल या छत के छज्जे से उछलकूद करते बंदरों को आपने भी देखा होगा लेकिन बुधवार को जिला मुख्यालय के कल्याण स्वरूप मिश्रा हॉस्पिटल के पास कुछ और ही नजारा देखने को मिला। यहां एक बंदर को चनाबुट से लदी हुई बाइक पसंद आ गई। बंदर उससे उतरने को राजी नहीं हुआ। बाइक वाले ने आवाज देकर उसे बाइक से उतारने हर संभव कोशिश की लेकिन बंदर बाइक की सीट छोड़ने को राजी नहीं हुआ। बाइक मालिक ने आव देखा न ताव और दूर से ही एक चप्पल फेंककर बंदर को मार दी। इसके बाद वो हुआ जो शायद बाइक मालिक ने कभी नहीं सोचा होगा। बंदर और बाइक वाले के बीच में ऐसी जंग छिड़ गई कि जैसे दोनों रेसलिंग के रिंग में हो और पुरस्कार पाने के लिए फाइट कर रहे हो। इस जंग में जीत किसकी हुई यह नहीं पता लेकिन बंदर अपना भूखा पेट भर चुका था।
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