बीएमसी कंट्रोल रूम के 22 स्टाफ को कोरोना, 26 कर्मचारी ले रहे 4000 कॉल – 22 staff detect corona so only 26 left to take 4000 calls a day at BMC control room | nation – News in Hindi
बीएमसी का आपदा प्रबंधन नियंत्रण कक्ष बीएमसी मुख्यालय की दूसरी मंजिल पर स्थित है. इस नियंत्रण कक्ष से ही पूरे राज्य में कोरोना मरीजों तक मदद पहुंचाने का काम किया जा रहा है. मरीजों को एम्बुलेंस मुहैया कराना, अस्पतालों में बेड की स्थिति की जानकारी रखना और संबंधित अस्पताल से बात कर मरीजों को हर मुमकिन मदद देना, यहां तक की कोविड 19 से जुड़े सवालों के जवाब भी इसी नियंत्रण कक्ष से दिए जाते हैं.
आपदा प्रबंधन विभाग से जुड़े अधिकारी महेश नारवेकर ने बताया, कोरोना महामारी से पहले हमें एक दिन में लगभग 800 कॉल आया करती थीं लेकिन अब 4000 से अधिक फोन आते हैं. हमारा स्टाफ काफी तनाव में काम कर रहा है. राज्य को अगर कोरोना से हराना है तो हमारी भूमिका काफी अहम हो जाती है. उन्होंने बताया कि कोरोना की इस जंग में हमारा स्टाफ घटकर आधा हो गया है. कॉल बढ़ती जा रही हैं लेकिन स्टाफ की संख्या कम होती जा रही है.
स्टाफ से जुड़े एक सहायक प्रभारी ने कहा कि वह मंगलवार तक काम कर रहे थे लेकिन अब उन्हें क्वारंटाइन किया गया है. उन्हें पता है कि उनकी गैर मौजूदगी में अन्य स्टाफ का काम बढ़ गया है और वह अब और तनाव में हैं. उन्होंने बताया कि पिछले दो महीनों से हम सभी स्टाफ के लोगों को एक होटल में ठहराया गया है. कोई भी घर नहीं गया था. मैं थोड़ा कमजोर महसूस कर रहा था और सूखी खांसी थी इसलिए मैंने जांच कराना ही उचित समझा. जांच में मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. मुझे बुखार नहीं है इसलिए मुझे विले पार्ले के एक होटल में रखा गया है. मैं होटल में रखकर खुद को दोषी मान रहा हूं. मैं उस दिन का इंतजार कर रहा हूं जब मैं ठीक होकर फिर से काम पर लौट सकूंगा.इसे भी पढ़ें :- महाराष्ट्र में कोरोना का कहर, सरकार ने केरल से मांगी मदद, कहा- भेजें डॉक्टर और नर्स
स्टाफ कम होने का असर मरीजों पर पड़ रहा
नियंत्रण कक्ष के एक अन्य कर्मचारी ने बताया कर्मचारी कम होने के साथ हमें लोगों की मदद करने में देरी हो रही है. कर्मचारी ने एक कॉल का जिक्र करते हुए कहा, पांच दिन पहले एक फोन आया, जिसमें लड़के ने बताया कि उसकी मां को कोरोना है. मां को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस चाहिए. दूसरी कॉल पर व्यस्त होने के कारण हमें कॉल लेने में 25 मिनट तक लग गए और एंबुलेंस को उस तक पहुंचने में 1 घंटे से अधिक का समय लग गया. तब तक मरीज की हालत काफी खराब हो चुकी थी. वह बच गई है लेकिन हमें आपना काम करने में काफी समय लग गया.
इसे भी पढ़ें :- उद्धव ने चेताया, और खराब हो सकते हैं महाराष्ट्र के हालात, घरेलू उड़ान के लिए मिले और समय
आसान नहीं है कंट्रोल रूप में काम करना
महेश नारवेकर ने बताया कि 22 कर्मचारियों को तुरंत बदलना आसान नहीं है. सही व्यक्ति को कॉल करना और अस्पताल में बेड और एम्बुलेंस को ट्रैक करना बहुत की तकनीकी काम है. यह केवल कॉल उठाने का ही काम नहीं है. कंट्रोल रूम में का करने के लिए डोमेन नॉलेज होना जरूरी है क्योंकि हम भी फॉलो-अप करते हैं. उन्होंने अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों की तुलना हवाई यातायात नियंत्रक से की और कहा कि इस काम में भी गति और सटीकता की आवश्यकता है.
इसे भी पढ़ें :-