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मिसाल: लॉकडाउन में चले तो थे घर की ओर, लेकिन लोगों की परेशानियां देख बन गए स्वयंसेवी | Seeing problems migrants decided to volunteer instead returning to Jharkhand | ranchi – News in Hindi

मिसाल: लॉकडाउन में चले तो थे घर की ओर, लेकिन लोगों की परेशानियां देख बन गए स्वयंसेवी

अजीत (48) ने कहा कि वह हालात बेहतर होने और आश्रय स्थल से सभी प्रवासी मजदूरों के चले जाने के बाद ही देवघर वापस जाएंगे.

पिछले कई साल से कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन पर खाने-पीने की चीजों का ठेला लगाने वाले झारखंड के देवघर जिला निवासी अजीत लोचन मिश्रा ने आश्रय गृह में स्वयंसेवी के तौर पर अपना पंजीकरण कराया.

नई दिल्ली. लॉकडाउन (Lockdown) के चलते झारखंड (Jharkhand) में अपने गांव लौटने के लिए पिछले महीने दिल्ली के यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स स्थित आश्रय गृह आने के बाद एक व्यक्ति ने जब वहां लोगों की दशा देखी, तब उनकी अन्तरात्मा ने उसे वहां से जाने की इजाजत नहीं दी और उन्होंने स्वयंसेवी के तौर पर असहाय प्रवासियों की मदद करने का फैसला किया.

पिछले कई साल से कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन पर खाने-पीने की चीजों का ठेला लगाने वाले झारखंड के देवघर जिला निवासी अजीत लोचन मिश्रा ने आश्रय गृह में स्वयंसेवी के तौर पर अपना पंजीकरण कराया. अजीत (48) ने कहा कि वह हालात बेहतर होने और आश्रय स्थल से सभी प्रवासी मजदूरों के चले जाने के बाद ही देवघर वापस जाएंगे.

लॉकडाउन के कारण बंद हुआ था काम
अजीत ने भाषा से कहा, ‘मेट्रो (Delhi Metro) बंद है और लॉकडाउन (Lockdown) के बाद मेरे पास कोई काम नहीं था. मैं यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स स्थित आश्रय स्थल अप्रैल के दूसरे सप्ताह में वापस अपने गांव जाने की उम्मीद के साथ आया था. जब मैंने यहां लोगों की दशा देखी, तो मेरी अन्तरात्मा ने वहां से जाने की इजाजत नहीं दी.’पत्नी को बता चुके हैं सारी बातें

उन्होंने कहा, ‘ इसके बाद, मैंने यहीं रुकने और स्वयंसेवी के तौर पर काम करने का फैसला किया. मैं लोगों को भोजन बांटता हूं और लोगों को कतार में रहने और आपस में दो गज दूरी बनाए रखने को कहता हूं. यहां रहने वाले बच्चों को अगर किसी तरह की समस्या आती है तो उसे दूर करने की कोशिश करता हूं. गांव में मेरी पत्नी और दो बच्चे हैं और उन्हें इस बारे में बता चुका हूं.’

प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचाते हैं समस्याएं
शाहदरा जिले के एग्जक्यूटिव मजिस्ट्रेट और आश्रय गृह के प्रभारी आशीष मिश्रा ने कहा कि अजीत पिछले करीब 40 दिन से बतौर स्वयंसेवी सेवा दे रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘वह यहां मौजूद लोगों से बात करते हैं और अगर किसी को परिवार से जुड़ा या अन्य कोई आपात स्थिति जैसी परेशानी आती है, तो अजीत हमें सूचित करते हैं. फिर हम ऐसे लोगों को जल्द से जल्द वापस भेजने का प्रबंध करते हैं.’

 

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First published: May 23, 2020, 5:19 PM IST



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