बार-बार तूफान का शिकार क्यों बनती है बंगाल की खाड़ी? – Know Why does the Bay of Bengal become a victim of repeated storms where what when how achknow? | knowledge – News in Hindi


भारतीय उपमहाद्वीप में आए अब तक के सबसे भयंकर 36 चक्रवाती तूफानों में से 26 बंगाल की खाड़ी में ही आए हैं.
ओडिशा और पश्चिम बंगाल में तबाही मचाने के बाद सुपर साइक्लोन अम्फान (Super Cyclone Amphan) कमजोर पड़ चुका है. पश्चिम बंगाल (West Bengal) में अम्फान से 72 लोगों की मौत हो चुकी है. आइए जानते हैं कि क्यों बार-बार पूर्वी तट पर ही आफत बनकर क्यों टूटता है तूफान?
हवा के बहाव और गर्म मौसम के कारण आते हैं ज्यादा तूफान
बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की तुलना में ज्यादा तूफान आने का सबसे अहम कारण हवा का बहाव है. पूर्वी तट पर मौजूद बंगाल की खाड़ी के मुकाबले पश्चिमी तट पर स्थित अरब सागर ज्यादा ठंडा रहता है. मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, ठंडे सागर के मुकाबले गर्म सागर में तूफान ज्यादा आते हैं. बता दें कि इतिहास के 36 सबसे घातक उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone) में 26 चक्रवात बंगाल की खाड़ी में आए हैं. बंगाल की खाड़ी में आने वाले तूफानों का भारत में सबसे ज्यादा असर ओडिशा में देखा गया है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, पश्चित बंगाल और तमिलनाडु भी इससे प्रभावित होते रहे हैं. इसके अलावा पूर्वी तटों से लगने वाले राज्यों की भूमि पश्चिमी तटों से लगने वाली भूमि की तुलना में ज्यादा समतल है. इस वजह से यहां से टकराने वाले तूफान मुड़ नहीं पाते. वहीं, पश्चिमी तटों पर आने वाले तूफान की दिशा अकसर बदल जाती है.
अरब सागर के तूफान पश्चिमी तट को छोड़ते हुए गुजर जाते हैंभारत में आने वाले पांच समुद्री तूफानों में औसतन चार पूर्वी किनारों से टकराते हैं. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर से उठने वाले तूफानों के अलावा उत्तर-पश्चिमी प्रशांत से बिखरने वाले तूफान दक्षिणी चीन सागर से होते हुए बंगाल की खाड़ी में पहुंच जाते हैं. यही वजह है कि हमारा पूर्वी तट हमेशा दबाव में रहता है. दृष्टि की रिपोर्ट के मुताबिक, तूफान अरब सागर में भी बनते हैं, लेकिन ये अमूमन भारत के पश्चिमी तट को छोड़ते हुए उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ जाते हैं. पूर्वी तट पर बने तूफान ज्यादा ताकतवर होते हैं. तूफान का वर्गीकरण कम दबाव के क्षेत्र में हवा की रफ्तार से होता है. अगर हवा की रफ्तार 119 से 221 किमी प्रति घंटे के बीच होती है तो यह प्रचंड तूफान माना जाता है.
दुनियाभर में तूफानों से हुई मौत की 25 फीसदी भारत में हुईं
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, अप्रैल से दिसंबर तक तूफानों का मौसम होता है. लेकिन 65 फीसदी तूफान साल के अंतिम चार महीनों सितंबर से दिसंबर के बीच आते हैं. बंगाल की उत्तरी खाड़ी के ऊपर बनने वाले चक्रवात भारत-गंगा के मैदानी इलाकों में उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ते हैं, जिससे अधिकांश उत्तरी भारत में बारिश होती है. अरब सागर के ऊपर औसतन वर्षा बहुत कम होती है. दुनिया भर में बीते 200 साल में उष्ण कटिबंधीय चक्रवात से दुनिया भर में हुई कुल मौत में 40 फीसदी सिर्फ बांग्लादेश में हुई है, जबकि भारत में एक चौथाई जानें गई हैं. चक्रवात समंदर में ज्यादा तापमान वाली जगहों से उठता है. उत्तरी ध्रुव के नजदीक वाले इलाकों में साइक्लोन घड़ी चलने की उलटी दिशा में आगे बढ़ता है. वहीं, भारतीय उपमहाद्वीप के आसपास चक्रवात घड़ी चलने की दिशा में आगे बढ़ता है.
48 फीसदी तूफान ओडिशा और 22 फीसदी आंध्र में आते हैं
गुजरात इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च की अससेमेंट ऑफ वल्नरैबिलिटी टू साइक्लोन एंड फ्लड्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वी भारत में आने वाले 48 फीसदी तूफान अकेले ओडिशा में, जबकि 22 फीसदी आंध्र प्रदेश में आते हैं. इसके अलावा पश्चिम बंगाल में 18.5 फीसदी और तमिलनाडु में 11.5 फीसदी तूफान आए हैं. पश्चिमी तट में पूर्वी तट की तुलना में आने वाले तूफान 8 गुना कम हैं. बता दें कि उष्ण कटिबंधीय चक्रवात एक तूफान है, जो विशाल निम्न दबाव केंद्र और भारी तड़ित-झंझावतों के साथ आता है. ये तेज हवा और मूसलाधार बारिश के हालात बनाता है. नेशनल साइक्लॉन रिस्क मिटिगेशन प्रोजेक्ट के मुताबिक, 1891 से 2000 के बीच भारत के पूर्वी तट पर 308 तूफान आए. इसी दौरान पश्चिमी तट पर सिर्फ 48 तूफान आए.
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First published: May 22, 2020, 1:03 PM IST