जब बंगोली में नक्सलियों ने किया था पहला विस्फोट, प्रत्यक्षदर्शी ने सुनाई उस दिन की पूरी दास्तान…|When the Naxalites had the first blast in Bangoli chhattisgarh full story nodtg | kondagaon – News in Hindi
रिटायर्ड शिक्षक गिरजा शंकर यादव (फाइल फोटो)
इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी 77 साल के रिटायर्ड शिक्षक गिरजा शंकर यादव आज भी उस घटना को याद का सिहर जाते हैं. गिरजा शंकर यादव अतीत को याद करते हुए बताया कि उस वक्त वे चिंगनार प्राथमिक स्कूल (Chingnar Primary School) में थे.
मतदान दल को बनाया था निशाना
आज से लगभग 30 साल पहले 20 मई 1991 को लोकसभा के लिए दिनभर मतदान होने के बाद देर शाम मतदान दल सुरक्षा बल के जवानों के साथ वापस लौट रहे थे तब नक्सलियों ने बंगोली के रास्ते में बम प्लांट एम्बुश लगाया था. जैसे ही मतदान दल मतदान केंद्र से पांच सौ मीटर दूर पहुंचे ही थे की नक्सलियों ने बम ब्लास्ट कर दिया. किसी को कुछ समझ में आता उसके पहले ही मतदान दल को लेकर आ रही 407 वाहन के परखच्चे उड़ गए. वाहन में मतदान पेटी, फोर्स के जवानों के साथ दस-पंद्रह मतदान कर्मचारी थे. चारों और चीख पुकार और गोलियों की तड़तडाहत ही सुनाई दे रही थी. इस घटना में एक शिक्षक, कोटवार और एक जवान ही जिंदा बचे थे.
अकेले जवान ने संभाला मोर्चाइस घटना के प्रत्यक्षदर्शी 77 साल के रिटायर्ड शिक्षक गिरजा शंकर यादव आज भी उस घटना को याद का सिहर जाते हैं. गिरजा शंकर यादव अतीत को याद करते हुए बताया कि उस वक्त वे चिंगनार प्राथमिक स्कूल में थे. उन्होंने कहा कि 1991 के लोकसभा निर्वाचन में मेरी ड्यूटी फरसगांव के बंगोली में मतदान केंद्र में लगी. दिनभर मतदान कराने के पश्चात शाम को 407 वाहन से मतदान पेटी चुनाव सामग्री व जवानों के साथ 10 -15 लोग जैसे ही फोर्स की वाहन में वहां से वापस आने निकले की लगभग 500 मीटर की दूरी पर एक जोर का धमाका हुआ. किसी को कुछ समझ आता उससे पहले वाहन के परखच्चे उड़ गए. चारों ओर लाशें बिछ गई. घटना में मेरे अलावा एक जवान, कोटवार और मैं जिन्दा बचे थे. कोटवार व मैं बेहोश हो चुके थे. किसी तरह होश आने पर उठे हमें भी चोट लगी थी. जवान बिखरे पड़े बंदूकें जमा करने लगा. इसी बीच जंगल की ओर से फायरिंग की आवाज आई. जवान ने हमें खेत के मेड आड़ में लेट जाने कहा और वह स्वयं मोर्चा संभाले जवाबी फायरिंग करने लगा दोनों ओर से फायरिंग होती रही. रात गहराने के बाद मेड की आड़ में कोहनियों के बल रेंग कर किसी तरह लगभग 2 से 3 किलोमीटर दूर कोटवार का पहचान होने से दूसरे गांव जाकर रुके. सुबह फरसगांव से एंबुलेंस हमें लेने बंगोली पहुंची, एंबुलेंस में बैठकर फरसगांव आए और चिकित्सालय में उपचार कराया. प्रशासन की ओर से प्रोत्साहन राशि देने की बात कही गई थी पर अभी तक प्राप्त नहीं हुआ.
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First published: May 20, 2020, 9:40 PM IST