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नई दिल्ली. कोरोना (Corona) के चलते हुए लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान गर्भवती महिलाओं  को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है. पिछले दो महीनों में देशभर से सैकड़ों प्रसव की घटनाएं सामने आई हैं जिनमें सही इलाज समय पर न मिल पाने के कारण महिलाओं या नवजातों को जान गंवानी पड़ी है.

इन गर्भवती महिलाओं का कहना है कि आगरा, दिल्ली (Delhi), भरतपुर और नोएडा (Noida) में कोरोना के कारण अधिकांश प्राइवेट अस्पताल डिलिवरी करने से साफ इनकार कर रहे हैं. वहीं सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ने की आशंका है. महिलाओं का कहना है कि पहले से ही सरकारी अस्पतालों की स्थिति ठीक नहीं थी, अब जबकि कोरोना फैल रहा है तो एक भी लापरवाही जानलेवा हो सकती है.

दिल्ली में गायनेकोलॉजिस्ट संगीता कहती हैं कि लॉकडाउन में गर्भवती महिलाओं के चेकअप, अल्ट्रासाउंड आदि बाधित हुए हैं. हालांकि सरकारी अस्पतालों में डिलिवरी की सुविधा है लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कतें उनको अस्पतालों तक पहुंचने में हो रही हैं. जबकि प्राइवेट अस्पताल काफी हद तक कोरोना के चलते डिलिवरी केसेज नहीं ले रहे.

गर्भवती महिलाओं के लिए पर्याप्त नहीं हैं गाइडलाइनजेएनयू में सेंटर फॉर सोशल मेडिसिन एंड कम्युनिटी हेल्थ की प्रोफेसर डॉ. रमिला बिष्ट लॉकडाउन में गर्भवती महिलाओं को लेकर कई बार आवाज उठा चुकी हैं. उनका कहना है कि कोविड लॉकडाउन में गर्भवती महिलाओं को लेकर परिवार और कल्याण मंत्रालय ने गाइडलाइन जारी की हैं जो नाकाफी हैं. जबकि इनके लिए ठोस निर्देश आने चाहिए.

उनका कहना है कि राज्य कोरोना में संसाधन लगाने के बाद गर्भवती महिलाओं को आ रही परेशानियों पर ध्यान नहीं दे रहे. एक ओर महिलाओं के रूटीन चेकअप, वेक्सिनेशन नहीं हो पा रहे वहीं गरीब तबके से आने वाली गर्भवती महिलाओं को एम्बुलेंस तक की सुविधा नहीं मिल पा रही. जबकि गर्भावस्था को सरकार ने भी एक अति संवेदनशील मुद्दा माना है.

हॉटस्पॉट इलाके में ज्यादा समस्या इसलिए आगरा से पास बनवाकर आईं मथुरा

गर्भवती निधि अग्रवाल बताती हैं, ‘पिछले आठ महीने से आगरा के मल्होत्रा अस्पताल में गाइनी की डॉक्टर से उनका इलाज चल रहा था, लेकिन सात महीने पूरे होने के बाद उन्हें अस्पताल की ओर से साफ मना कर दिया गया. उनसे कहा गया कि डिलीवरी कहीं और कराओ. इतना ही नहीं निधि को टिटनेस का इंजेक्शन भी नहीं लगा और न ही दवाएं मिलीं. फिलहाल चौथा लॉकडाउन शुरू होने पर उन्होंने आगरा में प्रशासन से अपना पास बनवाया और मथुरा आ गईं. उन्होंने यहां कई प्राइवेट डॉक्टर्स से बात की है. यहां डिलीवरी हो रही हैं.

बच्चा हो गया एक दिन पहले, उसके बाद आई कोविड की रिपोर्ट

तीसरे लॉकडाउन में मां बनीं रिंकी बताती हैं कि आगरा में कई अस्पतालों में चक्कर काटने के बाद उन्होंने पुष्पांजलि अस्पताल में कोविड टेस्ट कराया लेकिन तीन दिन बाद भी रिपोर्ट नहीं आयी. एक दिन अचानक उन्हें दर्द उठा और एक अन्य हॉस्पिटल में नॉर्मल बच्चा हो गया. उसके बाद दूसरे दिन उनकी रिपोर्ट आई.

रिंकी बताती हैं कि इससे पहले भी वो दो अस्पतालों में चक्कर काट चुकी थीं, समय ऊपर होता जा रहा था वहीं डॉक्टर ने पानी की कमी भी बताई थी. सरकारी अस्पताल में जाने की हिम्मत नहीं हुई.

चेकअप के लिए बदल रहीं अस्पताल

शारदा की जून में डिलीवरी होने वाली है, लेकिन उन्हें नोएडा के सेक्टर 52 की निजी डॉक्टर ने इलाज और चेकअप करने से मना कर दिया. शारदा को नाक से खून आता है साथ ही प्रेग्नेंसी की अन्य परेशानियां हैं, लेकिन अब वो दिल्ली के जीटीबी अस्पताल और नोएडा के ही सेक्टर 51 के अस्पतालों में पर्चे बनवाकर दिखाती घूम रही हैं.

सभी प्रकार की डिलिवरी, प्रसव अनुदान, खाना दे रहे सरकारी अस्पताल

मथुरा जिला अस्पताल में महिला मामलों के चीफ मेडिकल सुप्रिएंटेंडेंट डॉ. बसन्त लाल ने न्यूज़18 हिंदी को बताया कि केंद्र सरकार या प्रदेश सरकार की ओर से गर्भवती महिलाओं के लिए कोई खास गाइडलाइंस जारी नहीं की गयीं बल्कि इंफेक्शन प्रिवेंशन कंट्रोल प्रोग्राम ( IPC) के तहत ही जो भी निर्देश दिए गए हैं उनका पूरी तरह पालन किया जा रहा है. जिसमें कोरोना संक्रमण से गर्भवती महिलाओं को बचाये रखने के निर्देश हैं.

सीएमएस लाल कहते हैं कि मथुरा के साथ ही आगरा और अलीगढ़ का जिला अस्पताल भी कोविड के लिए नहीं है. लिहाजा यहां गर्भवतियों को हर प्रकार की सुविधा दी जा रही है. नॉर्मल, सिजेरियन डिलिवरी के साथ ही जेएसवाई के तहत अनुदान, खाना दिया जा रहा है. इस समय मथुरा जिला अस्पताल में ही 44 बेड हैं. वहीं कमी पड़ने पर आगरा या अलीगढ़ रेफर कर दिया जाता है.

किसी भी कीमत पर नहीं रोकी जा सकती प्रेग्नेंट महिला की डिलिवरी

सीएमएएओ के प्रेसिडेंट और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट के.के अग्रवाल ने न्यूज़ 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहा, ‘सरकार के सर्कुलर के मुताबिक प्रेग्नेंट महिलाओं की डिलिवरी एक आवश्यक सेवा है. इसे किसी भी कीमत पर रोका नहीं जा सकता. अगर कोई सरकारी या प्राइवेट डॉक्टर ऐसा कर रहा है तो ये गलत है. ऐसा करने पर डॉक्टरों को आईएमए को एडवांस नोटिस भी देना होगा.’ अग्रवाल कहते हैं कि किसी महिला को कोरोना नहीं है तो उसकी डिलिवरी करानी होगी. इसके लिए मना न किया जाए.

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