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अल्मोड़ा: प्रवासियों के घर पहुंचने पर भी है चुनौती, एक कमरे के घर में कैसे हों Home Quarantine | The big challenge for migrants who reach home, how to quarantine in a one-room house | almora – News in Hindi

अल्मोड़ा: प्रवासियों के घर पहुंचने पर भी है चुनौती, एक कमरे के घर में कैसे हों Home Quarantine

अल्मोड़ा में घर वापस आने वाले प्रवासियों ने बढ़ाई चिंता

महामारी कोरोना (Pandemic coronavirus) के संक्रमण से बचाव के लिए ग्रामीण अपने बच्चों को गांव के ही सरकारी भवनों में रख रहे हैं, जो एक चुनौती है. समस्या को देखते हुए जन-प्रतिनिधि अब स्कूलों को भी इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन सेंटर बनाने की मांग कर रहे हैं.

अल्मोड़ा. जनपद में 20 हजार से अधिक युवा देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) के चलते अपने घरों को लौट आये हैं. लेकिन कोरोना महामारी (Pandemic Coronavirus) के चलते उन्हें होम क्वारंटाइन (Home quarantine) करने की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की है. लेकिन यहां एक बड़ी समस्या सामने आ रही लोगों ने वापस लौटे अपने ही बच्चों व घर के लोगों को ही घर में होम क्वारंटाइन करने से मना कर दिया. लोगों का कहना है कि उनके घर छोटे हैं ऐसे में बाहर से आए लोगों को घर में क्वारंटाइन करना बहुत मुश्किल है.

सरकारी भवनों में रख रहे अपनों को
ग्रामीण महामारी कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए अपने बच्चों को गांव के ही सरकारी भवनों में रख रहे हैं, जो एक चुनौती है. समस्या को देखते हुए जन-प्रतिनिधि अब स्कूलों को भी इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन सेंटर बनाने की मांग कर रहे हैं. जिले में तेजी से वापस आ रहे युवा गांवों में आ रहे हैं उनमें से अधिकांश लोगों के घरों में एक ही कमरा है. इसलिए लोग भी 14 दिन इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन करा रहे हैं. लेकिन सरकारी स्कूलों और पंचायत घरों में रखने के कोई आदेश प्रशासन की तरफ से नहीं है. अब गांव में आकर प्रवासियों ने नई परेशानी खड़ी कर दी है.

क्षेत्र पंचायत सदस्य राहुल खोलिया का कहना है कि क्षेत्र में अधिकांश लोगों के घरों में एक ही कमरा है. तब गांव के लोग अपनों को घरों में रखने के बजाय आस-पास के सरकारी भवनों में या फिर स्कूलों में ही इंस्ट्यूशनल क्वारंटाइन करना चाहते हैं. जिस पर सभी स्कूलों को इंस्ट्यूशनल क्वारंटाइन सेंटर बनाना जाये जिससे गरीबों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी. वहीं गांव में लौटे प्रवासी उमेश जोशी का कहना हैं कि मेरे घर के पास ही पंचायत घर है मैं वहां रह रहा हूं. गांव के घरों में एक ही कमरा होने के कारण में परिवार से दूरी बनायी है. कोरोना संक्रमण बच्चों और बुजुर्गों से लिए खतरनाक है जिसकी वजह से मैं 14 दिनों तक सार्वजनिक भवनों में ही रह रहा हूं.चुनौती तो है…

वहीं एसडीएम सीमा विश्वकर्मा ने कहा कि जो भी ग्रामीण अपने स्कूल या पंचायत घर में रहने के लिए खाने और रहने की व्यवस्था कर रहे हैं उन्हें स्कूलों और पंचायत घरों को खोलने की अनुमति दी जा रही है. लोगों को घबराने की आवश्कता नहीं है. ये भी सच है कि उत्तराखण्ड में प्रवासियों की वजह से कोरोना संक्रमित की संख्या सौ तक पहुंचने वाली है. पहले प्रवासियों को घर लाने की चुनौती थी अब जब ये घर पहुंच रहे हैं तो इन्हें क्वारंटाइन कराना भी चुनौती बन गया है. आए दिन बाहर से आए लोगों व गांवों में ग्राम प्रधान के साथ झगड़े और बहस की खबरे आ रही हैं.

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First published: May 18, 2020, 8:44 PM IST



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