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बस स्टैंड पर कैसे पहुंची कोरोना पॉजिटिव मरीज की लाश? परिवारवाले भी हुए हैरान – Body of corona patient found at bus stand in Ahmedabad, CM orders for investigation | nation – News in Hindi

बस स्टैंड पर कैसे पहुंची कोरोना पॉजिटिव मरीज की लाश? परिवारवाले भी हुए हैरान

अहमदाबाद के सिविल अस्पताल की बड़ी लापरवाही आई सामने. (सांकेतिक फोटो)

अहमदाबाद के सिविल अस्पताल (Ahmedabad Civil Hospital) से छुट्टी मिलने के बाद कोरोना (Corona) मरीज का शव दाणीलिमडा इलाके में बीआरटीएस बस स्टेशन के पास पाया गया.

अहमदबाद. देश में कोरोना (Corona) से सबसे प्रभावित राज्यों में महाराष्ट्र के बाद गुजरात (Gujarat) का नंबर आता है. गुजरात के अहमदाबाद (Ahmedabad) में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या सबसे अधिक है. इन सबके बीच अहमदाबाद के सिविल अस्पताल (Ahmedabad Civil Hospital) की लापरवाही के चलते एक कोरोना मरीज की मौत का मामला सामने आया है. बताया जाता है अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद कोरोना मरीज का शव अहमदाबाद के दाणीलिमडा इलाके में बीआरटीएस बस स्टेशन के पास पाया गया. मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यंमंत्री विजय रूपानी ने पूरे मामले की जांच के आदेश जारी कर दिए हैं.

जानकारी के मुताबिक गणपत मकवाना (67) को 10 मई को अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. गणपत मकवाना को खांसी, सर्दी और बुखार की शिकायत थी. शुरुआती जांच में मकवाना की रिपोर्ट पॉजिटिव आई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कर लिया गया था. बताया जाता है कि गणपत मकवाना अभी ठीक भी नहीं हुए थे और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी. सांस लेने में दिक्कत होने के बावजूद उन्हें सरकारी वाहन से घर भेज दिया गया. बताया जाता है अस्पताल से छुट्टी मिलने के कुछ समय बाद ही उनका शव दाणीलिमडा के पास बीआरटीएस बस स्टैंड पर पड़ा मिला.

घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच पड़ताल कर शव परिजनों को सौंप दिया है. इस घटना की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने पूर्व स्वास्थ्य मोर्चा सचिव जे.पी. गुप्ता को निर्देश दिया गया कि वे इस मामले की जांच करें और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें. पूरे मामले की जांच और रिपोर्ट 24 घंटे के भीतर पूर्व सीमावर्ती स्वास्थ्य सचिव जेपी गुप्ता द्वारा राज्य सरकार को दी जाएगी. गणपत मकवान के बेटे का आरोप है कि जब उनके पिता को अस्पाल में भर्ती हुए केवल चार दिन ही हुए थे और उन्हें कोरोना था. इसके बावजूद उन्हें इतनी जल्दी अस्पताल से छुट्टी कैसे दे दी गई.

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