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क्या तुम कब्र में भी मेरा पीछा नहीं छोड़ोगी, हां बोलने वाली पोती और दादी की हादसे में मौत – Will you not follow me to the grave yes granddaughter and grandmother die in an accident in Kanpur | kanpur – News in Hindi

क्या तुम कब्र में भी मेरा पीछा नहीं छोड़ोगी, हां बोलने वाली पोती और दादी की हादसे में मौत

शनिवार को दादी-पोती का शव जब बलरामपुर जिले के पनवापुर लाया गया तो पूरा गांव शोक में डूब गया. (प्रतीकात्मक फोटो)

सोमैया 6 माह की उम्र से अपनी दादी के ही साथ रही. वह उसे पल भर के लिए भी नहीं छोड़ती थी. इशरत अक्सर सोमैया से पूछती थी कि क्या तुम कब्र में भी मेरा पीछा नहीं छोड़ोगी. इस पर वह कहती थी कि ‘हां, मैं भी साथ चलूंगी.’ यही शब्द तब उसकी नियति बन गई जब दुर्घटना में दोनों की मौत हो गई.

बलरामपुर (उत्तर प्रदेश). कोविड-19 (COVID-19) के कारण लॉकडाउन (Lockdown) के इस दौर में रिश्तों और विडम्बनाओं से जुड़े अनेक किस्से रोज जन्म ले रहे हैं. प्रवासी मजदूरों पर आपदा की अंतहीन घटनाओं में ताजा मामला बलरामपुर (Balrampur) की एक महिला और उसकी तीन साल की पोती का है. अपनी दादी के साथ हर जगह यहां तक कि कब्र तक जाने की भी जिद करने वाली बच्ची की यह ख्वाहिश आखिरकार उसकी नियति बन गई और घर लौटते वक्त एक हादसे में दोनों की मौत हो गई.

हां, मैं भी साथ चलूंगी
बलरामपुर के पनवापुर गांव के रहने वाले रईस अहमद (28) पिछले आठ साल से अहमदाबाद में रहकर मजदूरी करते थे. अहमद ने रविवार को बताया कि उसकी मां इशरत जहां (42) को अपनी पोती सोमैया से बेहद लगाव था. वह छह माह की उम्र से अपनी दादी के ही साथ रही. वह उसे पल भर के लिए भी नहीं छोड़ती थी. इशरत अक्सर सोमैया से पूछती थी कि क्या तुम कब्र में भी मेरा पीछा नहीं छोड़ोगी. इस पर वह कहती थी कि ‘हां, मैं भी साथ चलूंगी.’

कानपुर में हो गया हादसायह कहते ही अहमद फफककर रो पड़ा. उसने बताया कि लॉकडाउन से करीब दो हफ्ते पहले उसने मां को इलाज के लिए अहमदाबाद बुलाया था. मां के साथ सोमैया भी जिद करके आई थी. उसने बताया कि अचानक लॉकडाउन हुआ और जब बचाकर रखे गए पैसे खत्म हो गए तो अपनी मां और भतीजी सोमैया को अपने गांव वालों के साथ एक ट्रक बुक कराकर पनवापुर गांव की तरफ चल दिए, लेकिन 13 मई को यह ट्रक बलरामपुर पहुंचने से पहले कानपुर में कानपुर—झांसी राजमार्ग पर खड़े ट्रक से जा टकराया. इस हादसे में इशरत और सोमैया सहित तीन लोगों की मौत हो गई.

शनिवार को दादी-पोती का शव जब पनवापुर लाया गया तो पूरा गांव शोक में डूब गया. मृतका इशरत के पति अकबर अली की आंखें दादी-पोती के बीच हुई कब्र वाली बात को याद करके नम हो जाती हैं. जिलाधिकारी के. करुणेश ने रविवार को बताया कि दादी-पोती के शव को गांव के कब्रिस्तान में दफना दिया गया है. हादसे में मामूली रूप से घायल 16 लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद क्वारंटाइन में भेज दिया गया है.

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First published: May 17, 2020, 3:52 PM IST



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